केरल: जानिए धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाला विजयादशम पर्व को भारत के अलग अलग हिस्सों में किस तरीके से मनाया जाता है?

डिजिटल डेस्क, तिरुवनंतपुरम। धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक महत्व और एकता को दर्शाने वाले इस पर्व को भारत में विजयादशमी को अलग अलग क्षेत्रों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। हर क्षेत्र की अपनी विशिष्ट परंपराएँ और उत्सव का तरीका इस पर्व को और भी रंगीन बनाता है।
दक्षिण विजयादशमी का अनूठा अनुष्ठान विद्या और काम की बहाली का प्रतीक है। इस दिन बच्चों को अक्षर ज्ञान की दुनिया में दीक्षित किया जाता है। केरल के मंदिरों, स्कूलों और सांस्कृतिक केंद्रों में छोटे बच्चों के लिए यह दीक्षा समारोह 'एज़ुथिनीरुथु' (Ezhuthiniruthu) के नाम से जाना जाता है। ये पर्व बताता है कि विद्यार्थी और पेशेवर अपनी पढ़ाई और काम फिर से शुरू कर रहे हैं। इस दिन नए कार्य, व्यवसाय, या शिक्षा की शुरुआत की जाती है।
केरल की तरह तमिलनाडु में भी विजयादशमी के अवसर पर बोम्मई गोलू (गुड़िया प्रदर्शन) की परंपरा मनाई जाती है, इस दिन इनकी पूजा करके बच्चों को पहला अक्षर सिखाने के लिए विद्यारंभ अनुष्ठान किया जाता है।
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में घाटी के देवताओं के आगमन के साथ कुल्लू दशहरा उत्सव शुरू हुआ।
आज पूरे देश में दशहरा मनाया जा रहा है, नवरात्र की पूर्णता के साथ ही विजयादशमी का पर्व पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। विजयादशमी कई विशेष धार्मिक परंपराएं भी निभाई जाती हैं। देश के अलग-अलग इलाकों में शस्त्र पूजन, शमी वृक्ष की पूजा और कुछ जगहों पर अश्व पूजन भी किया जाता है।
भारत में विजयादशमी
विजयादशमी जिसे दशहरा भी कहा जाता है, देश के अलग अलग क्षेत्रों में अलग-अलग रीति-रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाई जाती है।
रामलीला और रावण दहन
नॉर्थ इंडिया (बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली )
उत्तर भारत में दशहरा मुख्य रूप से रामायण कथा में भगवान राम की रावण पर विजय के तौर पर मनाया जाता है। विजयादशमी के दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हथियारों और उपकरणों की पूजा की जाती हैं। साथ ही मेलों का आयोजन होते है।
नवरात्रि और गरबा/डांडिया
पश्चिम भारत (राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र )
गुजरात में विजयादशमी नवरात्रि के अंतिम दिन के रूप में मनाई जाती है। नौ दिनों तक गरबा और डांडिया नृत्य के आयोजन होते हैं, और दसवें दिन मां दुर्गा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
महाराष्ट्र में सीमोल्लंघन- महाराष्ट्र में विजयादशमी पर "सीमोल्लंघन" की परंपरा है, जिसमें लोग गांव की सीमा पार करते हैं और आपट्टा (आम के पेड़) की पत्तियों को इकट्ठा करते हैं, जो समृद्धि का प्रतीक हैं। लोग अपने हथियारों, औजारों और वाहनों की पूजा करते हैं।
ईस्ट इंडिया में सिंदूर
ईस्ट इंडिया (पश्चिम बंगाल, ओडिशा, असम) दुर्गा पूजा
पश्चिम बंगाल में विजयादशमी दुर्गा पूजा का आखिरी दिन होता है। भव्य पंडालों में स्थापित मां दुर्गा की मूर्तियों को विजयादशमी के दिन विसर्जन किया जाता है। इस दिन "सिंदूर खेला" की परंपरा भी है, जिसमें विवाहित महिलाएं एक-दूसरे को सिंदूर लगाती हैं। बंगाल और ओडिशा में नृत्य, संगीत और नाटक जैसे सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं।
मैसूर का दशहरा
साउथ इंडिया (केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, )
कर्नाटक में मैसूर का दशहरा विश्व प्रसिद्ध है। विजयादशमी पर मैसूर पैलेस को रोशनी से सजाया जाता है, और एक भव्य जुलूस निकाला जाता है जिसमें सजे-धजे हाथी, घोड़े और सांस्कृतिक प्रदर्शन शामिल होते हैं। मां चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती है। दक्षिण भारत में लोग इस दिन अपने औजारों, किताबों, और वाहनों की पूजा करते हैं। खासकर तमिलनाडु में यह परंपरा बहुत प्रचलित है। केरल में विजयादशमी को "विद्यारंभ" के रूप में मनाया जाता है, जिसमें छोटे बच्चों को लिखना पढ़ाना शुरुआत की जाती है।
दुर्गा पूजा
पूर्वोत्तर भारत (त्रिपुरा, मणिपुर, मेघालय)पूर्वोत्तर राज्यों में विजयादशमी को दुर्गा पूजा होती है, यहां आदिवासी परंपराओं में पारंपरिक नृत्यों और अनुष्ठानों के साथ इस पर्व को मनाते हैं।
कुल्लू दशहरा
हिमाचल प्रदेश (कुल्लू दशहरा)हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में दशहरा अनूठे तरीके से मनाया जाता है। यहाँ नवरात्रि के बाद दशहरा शुरू होता है और सात दिनों तक चलता है। कुल्लू दशहरा में स्थानीय देवी-देवताओं की मूर्तियों को पालकी में सजाकर जुलूस निकाला जाता है, और मेले का आयोजन होता है।
केरल के तिरुवनंतपुरम में केंद्रीय मंत्री और त्रिशूर से भाजपा सांसद सुरेश गोपी विजयादशमी के अवसर पर आयोजित 'विद्यारम्भम' समारोह में शामिल हुए। विद्यारम्भम समारोह औपचारिक शिक्षा की शुरुआत का प्रतीक है और केरल में नवरात्रि उत्सव का एक अभिन्न अंग है। केरल में विजयादशमी पर विद्यारम्भम का कार्यक्रम होता है। जिसमें छोटे बच्चों को पहली बार अक्षर और ज्ञान की दुनिया में प्रवेश कराया जाता है।
Created On :   2 Oct 2025 2:53 PM IST