इस स्कूल के बारे में जानने के बाद आपको ऐसा लगेगा कि न्यू मैक्सिका आर्टिस्टा के लोगों को पहले से पता था कि कोल्ड वार के दौरान वहां बमबारी होगी। शायद इसीलिए उन्होंने एक ऐसा स्कूल बनाया जो जमीन के ऊपर नहीं बल्कि नीचे चलता है। ये सिर्फ स्कूल नहीं बल्कि लोगों का आश्रय भी है। स्कूल में प्रवेश के लिए तीन रास्ते बने हैं। एक-एक दरवाजे का भार 800 किलोग्राम है। मतलब अंदर बंद हो जाएं तो बच्चे अकेले दरवाजा खोल भी न पाएं।
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- 10 unique schools of world where children educated differently
दैनिक भास्कर हिंदी: दुनिया के 10 अजब गजब स्कूल जिनके बारे में जान कर दंग रह जाएंगे आप

डिजिटल डेस्क। पढ़ाई लिखाई एक जरूरी चीज है जिसे गरीब से गरीब और अमीर से अमीर इंसान तवज्जो देता है। इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए मानसिक और शारीरिक रुप से एक बच्चे को तैयार किया जाता है। ताकि जब वह भागदौड़ वाली जिंदगी का हिस्सा बने तो रेस में तेजी से दौड़ सके। स्कूल सिर्फ सुबह उठकर, नहा-धोकर, टिफिन पैक करके और कंधे पर बस्ता टांगने भर का प्रोसेस नहीं है बल्कि इस पूरे चक्र के जरिए एक देश की नई पौध तैयार की जा रही होती है। शायद इसीलिए ज्यादातर देशों में बजट का बड़ा हिस्सा शिक्षा के नाम पर जाता है। शिक्षा की बात शिक्षकों के बिना अधूरी है। आइए जानते है उन स्कूलों के बारे में जहां अजब गजब हालातों में भी नई पीढ़ी को शिक्षित बनाने की जुगत में लगे हुए हैं।


अगर आप इस स्कूल के बारे में सुनेंगे तो आप हैरान हो जाएंगे। ये स्कूल हैरी पॉटर के डंबल डोर जैसे दिखने वाले ग्रेल एवनहर्ट ने तैयार किया है। इस स्कूल की स्थापना साल 2004 में की गई थी। यहां ऑनलाइन पढ़ाई होती है। इसके अलावा यहां कुल 16 डिपार्टमेंट हैं जिसमें हैरी पॉटर की तरह काला जादू वाला विभाग भी है।

इस स्कूल के बारे में जानने के बाद आपका दिल भी करेगा इसमें एडमिशन लेने का। इस स्कूल में न एग्जाम होता है, न रिजल्ट आता है, न अटेंडेंस का झंझट है और न ही होमवर्क का बवाल। यहां जिसका जो मन करे वो वह सब्जेक्ट पढ़ सकता है। यहां टीचरों को पढ़ाने के लिए बीएड डिग्रीधारी होने की भी जरूरत नहीं होती। इस स्कूल में टीचर ही नहीं होते हैं। छात्र ही टीचर होते हैं और उनको मॉनिटर कहा जाता है।

स्पेन में बसा ये स्कूल अपने आप में पूरी दुनिया के लिए मिसाल है। ये स्कूल वैश्यावृत्ति की बारिकियों के बारे में बताता है। इसके लिए लोग फीस देकर एडमिशन लेते हैं और इस स्कूल को स्पेन की सरकार से मान्यता भी मिली हुई है।

स्कॉटलेंड का ये स्कूल बड़ा ही दिलचस्प और अपने आप में अनूठा स्कूल है। यहां उन बच्चों को दुनियादारी सिखाई जाती है जो देख सुन नहीं सकते। इस स्कूल की दीवारों से लेकर जमीन तक में एक खास तरह की डिजाइन और वाइब्रेशन है। जहां ये बच्चे खुद ही अपना रास्ता तय करते हैं। स्कूल के सभी बच्चे अपना सारा काम खुद ही करते हैं।

इस स्कूल में बच्चों को किताबी ज्ञान नहीं दिया जाता है। बल्कि 6 साल के बच्चों से लेकर दसवीं तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है कि कैसे जीवन में आने वाली मुसीबतों और समस्याओं को सुलझाया जाता है। यहां के टीचरों का मानना है कि अगर आपके पास व्यवाहरिक ज्ञान है तो आपको डिग्री की खास कोई जरूरत नहीं है। यहां छात्रों को पेन-पेंसिल नहीं बल्कि औजार दिए जाते हैं।

ये एल्फ स्कूल एक आइलैंड पर है। यहां एल्फों के बारे में बताया जाता है। कम ही लोगों को मालूम होगा कि एल्फ भी 6 प्रकार के होते हैं। यहां की स्कूल में किताबें, 5 घंटे की क्लासेज और एक हैबिटेट टूर भी शामिल है।

साल 2010 में पोर्ट ओउ प्रिंस में आई तबाही ने सबकुछ तबाह करके रख दिया था। यूनिसेफ ने बच्चों की पढ़ाई जल्द से जल्द दोबारा शुरू करने के लिए टेंट स्कूल शुरू किए थे। यूनिसेफ की ये कोशिश रंग भी लाई।

यहां छात्र नहीं बल्कि स्कूल बच्चों तक खुद चल कर आता है। कोलंबिया और अमेरिका में काफी मशहूर ये स्कूल स्पेन और ग्रीस में भी काफी पसंद किया जा रहा है।

राजस्थान के अजमेर के छोटे से गांव तिलोनिया में एक अनूठा स्कूल है, जिसे संजीत रॉय ने 1970 में गरीब लोगों के लिए तैयार किया था। गरीब पुरुष और महिलाओं के लिए बनाए गए इस स्कूल में लोगों को स्किल्ड बनाया जाता है।
रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय: वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का पहला मैच रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय ने 4 रनों से जीत लिया
डिजिटल डेस्क, भोपाल। रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय के स्पोर्ट ऑफिसर श्री सतीश अहिरवार ने बताया कि राजस्थान के सीकर में वेस्ट जोन इंटर यूनिवर्सिटी क्रिकेट टूर्नामेंट का आज पहला मैच आरएनटीयू ने 4 रनों से जीत लिया। आज आरएनटीयू विरुद्ध जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के मध्य मुकाबला हुआ। आरएनटीयू ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया। आरएनटीयू के बल्लेबाज अनुज ने 24 बॉल पर 20 रन, सागर ने 12 गेंद पर 17 रन और नवीन ने 17 गेंद पर 23 रन की मदद से 17 ओवर में 95 रन का लक्ष्य रखा। लक्ष्य का पीछा करने उतरी जीवाजी यूनिवर्सिटी की टीम निर्धारित 20 ओवर में 91 रन ही बना सकी। आरएनटीयू के गेंदबाज दीपक चौहान ने 4 ओवर में 14 रन देकर 3 विकेट, संजय मानिक ने 4 ओवर में 15 रन देकर 2 विकेट और विशाल ने 3 ओवर में 27 रन देकर 2 विकेट झटके। मैन ऑफ द मैच आरएनटीयू के दीपक चौहान को दिया गया। आरएनटीयू के टीम के कोच नितिन धवन और मैनेजर राहुल शिंदे की अगुवाई में टीम अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन कर रही है।
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ब्रह्म प्रकाश पेठिया, कुलसचिव डॉ. विजय सिंह ने खिलाड़ियों को जीत की बधाई और अगले मैच की शुभकामनाएं दीं।