साल 1859 में बने इस ब्रिज का नाम ओवरटॉन ब्रिज और 1950 से 1960 के दशक में इसे पहली बार कुत्तों की आत्महत्या को लेकर नोटिस किया गया। इस ब्रिज से कुत्ते बिना किसी वजह के अचानक कूद जाते थे और 50 फीट की ऊंचाई से गिरने पर उनकी मौत हो जाती थी। कुछ घटनाओं में ब्रिज से एक बार गिरने के बाद भी अगर कुत्ता किसी तरह बच जाता तो वह दोबारा ब्रिज से कूद कर जान दे देता था। लगातार कुत्तों के खुदकुशी करने के बाद ब्रिज पर चेतावनी वाला बोर्ड लगा दिया गया।
- बंगालः कोलकाता के ब्रिगेड मैदान में पीएम मोदी की रैली आज
- अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन इस महीने के अंत में भारत का दौरा करेंगे: सूत्र
- UP: कोविड -19 को लेकर सीएम आवास पर आज समीक्षा बैठक करेंगे मुख्यमंत्री योगी
- कोरोना: पिछले 24 घंटे में देश में 18711 नए मामले, 100 लोगों की मौत- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय
- पाकिस्तान के मुल्तान में हिंदू परिवार के पांच सदस्यों की हत्या
क्यों इस जगह आकर कुत्ते कर लेते हैं सुसाइड?
डिजिटल डेस्क । इंसानों के खुदकुशी करने की खबरें तो आपने कई दफा सुनी और पढ़ी होंगी, लेकिन क्या कभी कुत्तों के सुसाइड करने की बात सुनी है? अगर नहीं सुनी तो आज हम आपको कुत्तों के आत्महत्या करने के बारे में बताएंगे, जहां हर साल कई कुत्ते आत्महत्या कर लेते हैं। दरअसल, स्कॉटलैंड के डंबार्टन के नजदीक बसे मिल्टन गांव में एक ब्रिज है। इस ब्रिज से कूदकर हर साल कई कुत्ते आत्महत्या कर लेते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये ब्रिज कुत्तों को आत्महत्या के लिए अपनी ओर आकर्षित करता है। बता दें कि 60 के दशक से अबतक इस ब्रिज से कूदकर करीब 600 कुत्ते खुदकुशी कर चुके हैं।


हैरानी की बात यह है कि जितने भी कुत्तों ने इस पुल से कूदकर खुदकुशी की वे सभी रहस्यमय थीं। क्योंकि सभी कुत्तों ने ओवरटॉन ब्रिज के एक ही तरफ से कूदकर आत्महत्या की थी। यही नहीं कुत्तों ने छलांग एक खास स्पॉट से लगाई थी। इस ब्रिज से कुत्तों के आत्महत्या करने के रहस्य को आज तक कोई नहीं जान पाया और आज भी ये रहस्य ही है। कुछ लोगों का मानना है कि इस ब्रिज पर बुरी शक्तियों का साया है।

साल 1994 में एक आदमी ने अपने बच्चे को ओवरटॉन ब्रिज से नीचे फेंक दिया और बताया कि वह बच्चा एंटी क्राइस्ट है और कुछ महीनों बाद उस इंसान ने भी उसी ब्रिज से कूदकर आत्महत्या कर ली। एक और थ्योरी के अनुसार ओवरटॉन ब्रिज ऐसी जगह है जहां जिंदा और मृत लोगों की दुनिया मिलती है और कई बार कुछ शक्तियां क्रॉस भी हो जाती हैं। माना जाता है कि कुत्ते न दिखने वाली चीजों को बहुत अच्छे से महसूस कर लेते हैं।इन सभी घटनाओं के मद्देनजर इस ब्रिज पर बोर्ड लगाकर अपने कुत्तों को ब्रिज पर सावधानी से रखने के निर्देश दिए गए हैं।
कमेंट करें
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।