इस मंदिर के अंदर बहुत कम रोशनी में भगवान शिव की एक शानदार मूर्ति विराजमान है। शिव जी की मूर्ति के मुकुट पर मानव खोपड़ियां बनी है, जो मात्र 1 इंच चौड़ी है। इन छोटी-छोटी खोपड़ियों को इस तरह से खोखला किया गया है कि, उससे गुजरने वाली रोशनी आंखों के सुराख से होती हुई मुंह में जाकर कानों से बाहर लौट आती है। हजारों साल पहले हाथ से बनाए गए ये सुराख बहुत ही अद्भुत है।
- आम आदमी को एक और बड़ा झटका, एलपीजी सिलेंडर के दामों में 25 रुपए का इजाफा
- दिल्ली: सिस्टर पी. निवेदा ने लगाई पीएम मोदी को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज
- पीएम मोदी बोले- कृषि में प्राइवेट सेक्टर को बढ़ावा देने का वक्त आ गया है
- दिल्लीः पीएम मोदी ने AIIMS में कोरोना वैक्सीन लगवाई, लोगों से की अपील- बेफिक्र होकर लगवाएं टीका
- कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का तमिलनाडु दौरा, कन्याकुमारी में छात्रों से करेंगे संवाद
अजब-गजब: एक ऐसा अनोखा मंदिर, जिसे माना जाता है भारतीय कला का बेजोड़ नमूना

डिजिटल डेस्क। हमारे देश में ऐसे कई मंदिर हैं, जिनका संबंध या तो दूसरे युग से है या फिर उनका इतिहास कई हजारों साल पुराना है। आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका निर्माण बारहवीं-तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह मंदिर कर्नाटक के द्वारसमुद्र में स्थित है। द्वारसमुद्र का वर्तमान नाम हलेबिड है, जो कर्नाटक के हसन जिले में दक्कन के पठार पर एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। इस मंदिर का नाम होयसलेशवर मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। होयसलेशवर मंदिर एक शैव मंदिर है, लेकिन यहां भगवान विष्णु, भगवान शिव और दूसरे देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं। इन मूर्तियों को सॉफ्टस्टोन से बनाया गया है, जो समय के साथ कठोर हो जाता है।


होयसलेशवर मंदिर एक ऊंचे प्लेटफार्म पर बनी है, और इस प्लेटफार्म पर 12 नक्काशीदार परतें बनी हुई हैं। सबसे कमाल की बात ये है कि इन परतों को जोड़ने के लिए चूने या सीमेंट का इस्तेमाल नहीं हुआ था, बल्कि इंटरलॉकिंग के जरिए इसे जोड़ा गया था। पत्थरों की इंटरलॉकिंग न सिर्फ राजा को पसंद आई, बल्कि इसी इंटरलॉकिंग की वजह से आज भी मंदिर मजबूती के साथ खड़ा हुआ है। इसकी बाहरी दीवारों पर सैकड़ों खूबसूरत मूर्तियां बनी हुई हैं।

इस मंदिर की सबसे खास बात ये है कि हर मूर्ति को एक ही पत्थर से बनाया गया है। इसके साथ ही मंदिर के अंदर पत्थर के स्तम्भ भी बने हैं। पत्थर से बने ये स्तम्भ गोलाकार डिजाइन में हैं, जिसे हाथ से बना पाना नामुमकिन ही लगता है। विशेषज्ञों की माने तो ये काम मशीन के बिना संभव नहीं है। लेकिन यह बात सोचने वाली है कि उस समय में हमारे पूर्वजों ने पत्थरों को घुमाने के लिए किस मशीन का प्रयोग किया होगा?

होयसलेशवर मंदिर वास्तुशिल्प का एक बेजोड़ नमूना है जो आज भी सभी के लिए आकर्षण का केंद्र है। हालांकि इस बात का कोई साबुत नहीं है कि मंदिर को बनाने में मशीनों का इस्तेमाल किया गया था। ऐसे में कई लोगों का ये भी मानना है कि इस मंदिर का निर्माण मनुष्य जाति ने किया ही नहीं है।
कमेंट करें
ये भी पढ़े
Real Estate: खरीदना चाहते हैं अपने सपनों का घर तो रखे इन बातों का ध्यान, भास्कर प्रॉपर्टी करेगा मदद

डिजिटल डेस्क, जबलपुर। किसी के लिए भी प्रॉपर्टी खरीदना जीवन के महत्वपूर्ण कामों में से एक होता है। आप सारी जमा पूंजी और कर्ज लेकर अपने सपनों के घर को खरीदते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि इसमें इतनी ही सावधानी बरती जाय जिससे कि आपकी मेहनत की कमाई को कोई चट ना कर सके। प्रॉपर्टी की कोई भी डील करने से पहले पूरा रिसर्च वर्क होना चाहिए। हर कागजात को सावधानी से चेक करने के बाद ही डील पर आगे बढ़ना चाहिए। हालांकि कई बार हमें मालूम नहीं होता कि सही और सटीक जानकारी कहा से मिलेगी। इसमें bhaskarproperty.com आपकी मदद कर सकता है।
जानिए भास्कर प्रॉपर्टी के बारे में:
भास्कर प्रॉपर्टी ऑनलाइन रियल एस्टेट स्पेस में तेजी से आगे बढ़ने वाली कंपनी हैं, जो आपके सपनों के घर की तलाश को आसान बनाती है। एक बेहतर अनुभव देने और आपको फर्जी लिस्टिंग और अंतहीन साइट विजिट से मुक्त कराने के मकसद से ही इस प्लेटफॉर्म को डेवलप किया गया है। हमारी बेहतरीन टीम की रिसर्च और मेहनत से हमने कई सारे प्रॉपर्टी से जुड़े रिकॉर्ड को इकट्ठा किया है। आपकी सुविधाओं को ध्यान में रखकर बनाए गए इस प्लेटफॉर्म से आपके समय की भी बचत होगी। यहां आपको सभी रेंज की प्रॉपर्टी लिस्टिंग मिलेगी, खास तौर पर जबलपुर की प्रॉपर्टीज से जुड़ी लिस्टिंग्स। ऐसे में अगर आप जबलपुर में प्रॉपर्टी खरीदने का प्लान बना रहे हैं और सही और सटीक जानकारी चाहते हैं तो भास्कर प्रॉपर्टी की वेबसाइट पर विजिट कर सकते हैं।
ध्यान रखें की प्रॉपर्टी RERA अप्रूव्ड हो
कोई भी प्रॉपर्टी खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखे कि वो भारतीय रियल एस्टेट इंडस्ट्री के रेगुलेटर RERA से अप्रूव्ड हो। रियल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवेलपमेंट एक्ट, 2016 (RERA) को भारतीय संसद ने पास किया था। RERA का मकसद प्रॉपर्टी खरीदारों के हितों की रक्षा करना और रियल एस्टेट सेक्टर में निवेश को बढ़ावा देना है। राज्य सभा ने RERA को 10 मार्च और लोकसभा ने 15 मार्च, 2016 को किया था। 1 मई, 2016 को यह लागू हो गया। 92 में से 59 सेक्शंस 1 मई, 2016 और बाकी 1 मई, 2017 को अस्तित्व में आए। 6 महीने के भीतर केंद्र व राज्य सरकारों को अपने नियमों को केंद्रीय कानून के तहत नोटिफाई करना था।