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दैनिक भास्कर हिंदी: Mysterious Fort: यह है भारत का सबसे पुराना किला, जिसका रहस्य आज तक कोई नहीं सुलझा पाया

डिजिटल डेस्क। भारत में किलो की कोई कमी नहीं है। यहां एक से बढ़कर एक भव्य और प्राचीन किले हैं, जो लोगों को हैरान कर देते हैं। आज हम आपको एक ऐसे ही किले के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे भारत में मौजूद सभी किलो में सबसे पुराना किला माना जाता है। इसे कांगड़ा किले के नाम से जाना जाता है, जो हिमाचल प्रदेश में है। 463 एकड़ में फैला यह किला हिमाचल में मौजूद किलो में सबसे विशाल है। यह किला किसी रहस्य से कम नहीं है, क्योंकि यह कब बना है आज तक कोई भी नहीं जान पाया है।
इस किले का उल्लेख सिकंदर महान के युद्ध संबंधी रिकार्डों में भी मिलता है, जिससे इसके ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में मौजूद होना सिद्ध होता है। माना जाता है कि इसका निर्माण कांगड़ा राज्य (कटोच वंश) के राजपूत परिवार ने करवाया था, जिन्होंने खुद को प्राचीन त्रिगत साम्राज्य के वंशज होने का प्रमाण दिया था। त्रिगत साम्राज्य का उल्लेख महाभारत में मिलता है।
कांगड़ा किले का इतिहास काफी रोचक है। 1615 ईस्वी में मुगल सम्राट अकबर ने इस किले को जीतने के लिए घेराबंदी की थी, लेकिन वो इसमें असफल रहा था। इसके बाद 1620 ईस्वी में अकबर के बेटे जहांगीर ने चंबा के राजा (जो इस क्षेत्र के सभी राजाओं में सबसे बड़े थे) को मजबूर करके इस किले पर कब्जा कर लिया। मुगल सम्राट जहांगीर ने सूरज मल की सहायता से अपने सैनिकों को इस किले में प्रवेश करवाया था।
1789 ईस्वी में यह किला एक बार फिर कटोच वंश के अधिकार में आ गया। राजा संसार चंद द्वितीय ने इस प्राचीन किले को मुगलों से जीत लिया। इसके बाद 1828 ईस्वी तक यह किला कटोचो के अधीन ही रहा, लेकिन राजा संसार चंद द्वितीय की मृत्यु के बाद महाराजा रणजीत सिंह ने इस किले पर कब्जा कर लिया। उसके बाद 1846 तक यह सिखों की देखरेख में रहा और बाद में यह अंग्रजों के अधीन हो गया।
चार अप्रैल 1905 को आए एक भीषण भूकंप के बाद अंग्रजों ने इस किले को छोड़ दिया, लेकिन इससे किले को भारी क्षति हुई। इसके कारण कई बहुमूल्य कलाकृतियां, इमारतें नष्ट हो गईं, लेकिन फिर भी यह किला अपने आप में इतिहास की कई कहानियां समेटे हुए है। आज भी इसे देखने आने वाले लोग प्राचीन भारतीय स्थापत्य कला के अद्भुत प्रमाण को देखकर हैरान रह जाते हैं।
गणतंत्र दिवस : स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन में मनाया गया गणतंत्र दिवस समारोह
डिजिटल डेस्क, भोपाल। स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस में 74वां गणतंत्र दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. डी.एस. राघव निदेशक, स्कोप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशन उपस्थित थे। गणतंत्र दिवस के कार्यक्रम में डॉ. सत्येंद्र खरे, सेक्ट कॉलेज ऑफ प्रोफेशनल एजुकेशन के प्रिंसिपल, डॉ. नीलम सिंह, सेक्ट कॉलेज ऑफ बीएड की प्रिंसिपल और डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी, स्कोप पब्लिक हायर सेकेंडरी स्कूल की प्रिंसिपल विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुएl कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. डी.एस.राघव ने झन्डा फंहराया गया तथा विद्यालय के छात्र छात्राओं ने अनुशासन एवं कौशल का परिचय देते हुए आकर्षक परेड की प्रस्तुति दीl विद्यालय के बच्चों द्वारा शारीरिक व्यायाम के महत्व को प्रकट करते हुए मनमोहक पीटी प्रस्तुत की गई l
स्कोप इंजीनियरिंग कॉलेज, बी.एड कॉलेज, स्कोप प्रोफेशनल कॉलेज तथा स्कोप स्कूल के विद्यार्थियों ने राष्ट्रीय एकता अखंडता एवं देश प्रेम से ओतप्रोत प्रस्तुतियां दीl कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण उरी हमले पर आधारित नृत्य नाटिका तथा रानी लक्ष्मीबाई के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान को चित्रित करता हुआ नृत्य गीत था। मुख्य अतिथि डॉ डीएस राघव ने अपने संबोधन में कहा कि हम अपने कर्तव्यों का निर्वाहन ईमानदारी एवं पूर्ण निष्ठा के साथ करते हैं तो यही आज के समय में हमारी सच्ची देश सेवा है। कार्यक्रम के अंत में विद्यालय की प्राचार्या डॉ. प्रकृति चतुर्वेदी ने सभी को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कार्यक्रम की आयोजन समिति के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपने उद्देश्य के प्रति ईमानदार रहेंगे और उसके प्रति पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करेंगेl
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