नासा दे रहा है सोने के पैसे, 60 दिन आराम करने के बदले मिलेंगे 13 लाख रुपए

NASA will pay 13 lakh rupees for volunteers to sleep
नासा दे रहा है सोने के पैसे, 60 दिन आराम करने के बदले मिलेंगे 13 लाख रुपए
नासा दे रहा है सोने के पैसे, 60 दिन आराम करने के बदले मिलेंगे 13 लाख रुपए

डिजिटल डेस्क,नासा। सुबह-सुबह जब पेरेंट्स पंखा बंद कर उठने को कहते हैं, तो बहुत ही बुरा लगता है। आखिर कौन नहीं चाहता कि वह घंटों तक सोता रहे और कोई उसे डिस्टर्ब न करे, लेकिन आजकल की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में यह कहां संभव है। अगर आपको भी देर तक सोना पसंद है, तो आपके लिए एक आरामदायक जॉब का ऑफर है। अगर सोने के लिए आपको सैलरी भी मिले तो फिर कहने ही क्या। चौंकिए मत, ऐसा होने जा रहा है।अमेरिकन स्पेस एजेंसी नासा कुछ ऐसे लोगों को तलाश रही है, जो पूरे दिन बिस्तर पर सो सकें। दरअसल, नासा और यूरोपियन स्पेस एजेंसी अंतरिक्ष यात्रियों के लिए एक एक्सपेरिमेंट कर रही है। अंतरिक्ष में रहना और आराम से सोना आसान काम नहीं है। वहां मौजूद गुरुत्वाकर्षण बॉडी के फंक्शन को बुरी तरह से प्रभावित करता है। आखिर अंतरिक्ष यात्री स्पेस में बिना सोए घंटों तक कैसे काम कर सकते हैं? यही जानने के लिए नासा यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर एक ऐसा वातावरण टेस्ट करने जा रहा है जहां वह पता लगा सके किए अंतरिक्ष यात्री कैसे सो पाते हैं। इसका नाम हैं, Artificial Gravity Bed Rest Study इस स्टडी के लिए वो ऐसे कैंडिडेट्स की तलाश कर रही है, जो 60 दिनों तक लगातार बिस्तर पर सो सकें। 

हर कैंडिडेट को मिलेगें 13 लाख रुपये 
इस दौरान उन्हें खाना, नहाना और यहां तक कि टॉयलेट भी लेटे हुए ही करना होगा। खाना भी सिंपल डाइट वाला मिलेगा। इस काम के लिए वो हर कैंडिडेट को करीब 13 लाख रुपये देने को तैयार हैं। नासा को ऐसे 24 वॉलंटियर्स की तलाश है, जिनकी उम्र 24-55 साल की हो। 12 पुरुषों और 12 महिलाओं को आमंत्रित किया है। ये सभी दो महीनों तक डिजाइन किए गए एक स्पेशल बेड पर सोएंगे। इस प्रयोग के लिए उन्हें 18,500 डॉलर यानी 12 लाख 84 हजार रुपए दिए जाएंगे। इस स्टडी के दौरान वॉलंटियर्स पर विभिन्न टेस्ट किए जाएंगे, जिनमें कॉग्निशन, मसल स्ट्रेंथ, बैलेंस और कॉर्डियोवैस्कुलर फंक्शन की जांच आदि शामिल होगी। इसके अलावा आधे वॉलंटियर्स को ऐंटी-ग्रैविटी चेंबर में रखा जाएगा। यानी उन्हें ऐसे चेंबर में रखा जाएगा, जहां ग्रैविटी यानी गुरुत्वाकर्षण का कोई प्रभाव नहीं होगा। साथ ही उन्हें किसी भी ऐसी गतिविधि में शामिल नहीं होने दिया जाएगा, जिसमें थकान का अनुभव हो। 

ये स्टडी जर्मनी में सितंबर-अक्टूबर के दौरान की जाएगी। इस रिसर्च के दौरान सभी कैंडिडेट्स को अलग-अलग रूम्स में रखा जाएगा। जीरो ग्रैविटी वाले इस रूम में उनका बेड 6 डिग्री उठा होगा और सिर नीचे और पैर ऊपर की ओर होंगे। स्टडी के दौरान वॉलंटियर्स के शरीर में होने वाले बदलावों को नासा के एक्सपर्ट्स टीम मॉनिटर करेगी। इसका मकसद ये जानना है कि स्पेस में यानी ज़ीरो ग्रैविटी में मानव शरीर में क्या बदलाव होते हैं। क्योंकि लंबे समय तक स्पेस में रहने पर अंतरिक्ष यात्रियों की मांसपेशियां में असामान्य क्रियाएं होने लगती हैं। इसके साथ ही Body Fluids भी सिर की तरफ आ जाते हैं। 2017 में भी नासा ने ऐसा ही एक्सपेरिमेंट किया था। इसकी अवधि 30 दिनों की थी, जिसमें 11 लोगों ने हिस्सा लिया था।


 

Created On :   31 March 2019 11:08 AM GMT

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