ये है जिन्दा भूतों का गांव, इन लोगों को छूने से भी हो जाती है सीधे मौत

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ये है जिन्दा भूतों का गांव, इन लोगों को छूने से भी हो जाती है सीधे मौत
ये है जिन्दा भूतों का गांव, इन लोगों को छूने से भी हो जाती है सीधे मौत

डिजिटल डेस्क। मृत्यु, एक वो घटना है जब आत्मा अपने पुरानी देह को त्यागकर नई देह को खोजती है। कई बार उसकी यह इच्छा पूरी हो जाती है कई आत्माओं को नई देह धारण करने के लिए अधिक प्रतीक्षा करना पड़ती है और इस बीच के समय वो प्रेत योनि में भटकते हैं। मृत्यु के बाद ही प्रेत आत्माओं, भूत, पिशाच आदि का अस्तित्व बनता है। आत्माओं को हम अच्छी और बुरी श्रेणी में बांट सकते हैं,लेकिन जब बात भूत-प्रेत या पिशाच की आती है तो इनके विषय में यही धारणा हैं कि ये दुष्ट ही होती हैं, लेकिन हम आपको जिंदा भूतों से के बारे बताएंगे जिसके बाद आपकी भूतों को लेकर धारणा बदल जाएगी। 

 

अफ्रीका, जहां वुडू नामक काले जादू की शुरुआत हुई थी। वहां एक समुदाय ऐसा भी है जिससे संबंधित लोगों को “जिन्दा भूत” कहा जाता है। अफ्रीका का एक शहर है बेनिन, इस शहर के विषय में हर वो शख्स जानता होगा जिसे काले जादू जैसी बातों पर विश्वास है या जो इनके बारे में जानने की इच्छा रखता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बेनिन ही ऐसा शहर है जहां पहली बार वुडू नामक खतरनाक काले जादू को बनया गया था। इस शहर में एक गुप्त संस्था “इगुनगुन” रहती है, इन्हें जिन्दा भूत कहा जाता है।

 

जो लोग इश जादू को करते है उनमें इतनी शक्ती आ जाती है जो कि उन्हें छू ना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए इन्हें जिंदा भूत कहा जाता है। इन जिन्दा भूतों के विषय में ये मान्यता है कि जो भी इन्हें छू लेता है उसकी उसी क्षण मृत्यु हो जाती है, यहां तक कि स्वयं है इगुनगुन लोग भी मर जाते है। इसी कारण से ये अपने शरीर को पूरी तरह ढक कर रखते हैं, इनके शरीर का कोई भी भाग किसी के संपर्क में नहीं आता।

 

ये लोग अपनी पहचान छुपाने के लिए अपना मुंह तक ढककर रखते हैं। जब गांव के लोगों के बीच कोई झगड़ा या विवाद उत्पन्न हो जाता है तब इगुनगुन का कार्य उन लोगो के बीच सुलह करवाना होता है। ऐसी भी मान्यता है कि उस समय इनके भीतर मृत परिजनों की आत्मा आ जाती है जो मामला सुलझाने के लिए अपनी राय देती है। इसलिए इगुनगुन की राय को अंतिम राय माना लिया जाता है।

 

जब इगुनगुन लोग मामले को सुलझाने के लिए बैठते हैं तो उनके स्वर बहुत ऊंचे होते हैं और शब्द अस्पष्ट होते हैं। आपको ये भी बता दें कि इगुनगुन के साथ कुछ अंगरक्षक भी चलते हैं, जिनका काम इगुनगुन और अन्य लोगों के बीच दूरी रखना होता है ताकि दोनों में से किसी को भी समस्या ना हो। अगर इगुनगुन लोग कहीं बैठकर आराम करते हैं तो ये अंगरक्षक उनकी निगरानी करते हैं। इगुनगुन लोग ढोल-नगाड़ों पर नाचते-गाते हैं, इगुनगुन लोग कभी किसी को ना तो अपना चेहरा दिखाते हैं और ना ही अपनी वास्तविक पहचान बताते हैं। 

Created On :   12 Dec 2018 5:42 PM IST

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