यहां कलर तय करता है न्यू बोर्न बेबी जिंदा रहेगा या नही
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। संतान के जन्म की किसे खुशी नहीं होती, लेकिन एक ऐसी भी जनजाति है, जहां जन्म के तुरंत बाद ही अपने बच्चे को मार दिया जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी। जी हां, बच्चे के जन्म के बाद यहां बस उसका रंग निर्धारित करता है कि वह जीवित रहेगा या नही।
ये अजीबोगरीब प्रथा कहीं और नहीं बल्कि भारत के ही केन्द्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार में निवास कर रही जारवा जनजाति के लोगों के बीच है। इनकी परंपरा के अनुसार अगर इनके घर में कोई भी गोरा बच्चा पैदा होता है तो वो उसे मार देते हैं।
इस जनजाति के लोग इस परंपरा को सदियों से मानते हैं और आज भी यह बदस्तूर जारी है। बच्चे की मां विधवा हो जाए या महिला का पति दूसरे समुदाय का हो तो बच्चे को मार दिया जाता है। बच्चे की मां यदि इसका विराेध करना चाहे तो उसके लिए ये संभव नहीं होता। क्याेंकि इसे समुदाय के विरुद्ध माना जाता है।
पिलाती हैं अपना दूध
बच्चे के जन्म से जुड़ी एक खास बात और इस जनजाति की है। यहां पैदा हुए हर बच्चे को सभी महिलाएं अपना दूध पिलाती हैं। ये भी परंपरा का ही एक हिस्सा है।
बनी रहती है शुद्धता
गोरे रंग का बच्चा पैदा होने पर जारवा जनजाति के लोगों का विश्वास है कि ऐसा करने से समुदाय की शुद्धता बनी रहती है। यहां के लोगों का रंग बेहद काला होता है। इनका मानना है कि दूसरे रंग का बच्चा आने पर इस समुदाय की शुद्धता में कमी आएगी। जो इन्हें मंजूर नहीं।
जान मुसीबत में डालना
कहा जाता है कि 90 के दशक में पहली बार ये जनजाति दुनिया के संपर्क में आई थी। इनके समुदाय में बाहर के लोगों का प्रवेश करना मना है। इनके पास जाना अपनी जान मुश्किल में डालने से कम नही है।
Created On :   11 Oct 2017 5:07 AM GMT