पाठ्यक्रम बंद करने से परेशान 129 कालेज ने शिक्षा मंत्री से लगाई गुहार

पाठ्यक्रम बंद करने से परेशान 129 कालेज ने शिक्षा मंत्री से लगाई गुहार

Anita Peddulwar
Update: 2019-05-22 09:52 GMT
पाठ्यक्रम बंद करने से परेशान 129 कालेज ने शिक्षा मंत्री से लगाई गुहार

डिजिटल डेस्क, नागपुर। यूनिवर्सिटी ने 129 कॉलेजों के विविध पाठ्यक्रमों में प्रथम वर्ष के प्रवेश प्रतिबंधित कर दिए हैं। इससे हड़कंप मचा हुआ है। यूनिवर्सिटी से कई बार अनुरोध के बावजूद प्रतिबंध नहीं हटाने से नाराज कॉलेजों ने अब राज्य शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े से मदद की आस लगाई है। प्राचार्य फोरम ने इसी दिशा में शिक्षक विधायक अनिल सोले से मुलाकात की। सोले ने शिक्षा मंत्री की मदद से मामले को हल करने का आश्वासन प्राचार्यों को दिया है।

41 कॉलेज पूर्णत: बंद 
बता दें कि बीते एक सप्ताह से यूनिवर्सिटी से प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद नागपुर यूनिवर्सिटी ने 17 मई को प्रतिबंधित कॉलेजों और पाठ्यक्रमों की सूची अपने पोर्टल पर अपलोड कर दी। इसमें 41 कॉलेज पूर्णत: बंद कर दिए गए हैं। शेष कॉलेजों में करीब 250 पाठ्यकमों में शिक्षकों और सुविधाओं की कमी के कारण प्रथम वर्ष के प्रवेश प्रतिबंधित किए। यूनिवर्सिटी अधिकारियों का दावा है कि पाठ्यक्रम बंद करने का फैसला शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए लिया है। 
कॉलेजों में पाठ्यक्रम में पढ़ाने के लिए नियमित शिक्षक नहीं थे। जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं था और  यूनिवर्सिटी की एलईसी समिति ने भी पाठ्यक्रमों का संलग्नीकरण रद्द करने की सिफारिश की थी। यूनिवर्सिटी ने जो पाठ्यक्रम बंद किए हैं, उसमें बड़ी संख्या में वोकेशनल पाठ्यक्रम भी शामिल है।  

प्रवेश बंदी पर कॉलेजों और यूनिवर्सिटी के बीच जारी विवाद के बीच अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने मांग की है कि इस विवाद को प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के पहले हल किया जाए। संगठन के  प्रतिनिधिमंडल ने इस मुद्दे पर यूनिवर्सिटी कुलगुरु डॉ. सिद्धार्थविनायक काणे से मुलाकात की। संगठन के अनुसार यूनिवर्सिटी द्वारा जिन कॉलेजों में प्रवेश प्रतिबंधित किए हैं, उन्हें त्रुटियां दूर करने पर प्रतिबंध हटाने का आश्वासन मिला है।

इधर, जिन कॉलेजों में प्रवेश को अनुमति है, वहां विद्यार्थियों की भीड़ जमने वाली है। हर बार ऐसा होने पर यूनिवर्सिटी अतिरिक्त वर्ग प्रदान करता है। ऐसा होने से मेरिट वाले विद्यार्थी अच्छे काॅलेज में प्रवेश से वंचित रह जाते हैं। वहीं, प्रवेश के लिए आर्थिक लेन-देन भी होने लगते हैं। इससे प्रवेश प्रक्रिया में आपा-धापी की स्थिति बनेगी। ऐसे में बेहतर होगा कि यूनिवर्सिटी  प्रवेश प्रक्रिया शुरू होने के पहले ही स्टूडेंट्स के सामने स्थिति साफ कर दें।

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