Nagpur News: खाद-बीज के सैंपल गुणवत्ता पर खरे, भुगतान में सरकार फिसड्डी

खाद-बीज के सैंपल गुणवत्ता पर खरे, भुगतान में सरकार फिसड्डी
  • सैंपल हर साल लिए जाते हैं
  • सात साल से भुगतान बकाया

Nagpur News खरीफ की बुआई के दिन करीब हैं। किसान खेत तैयार करने में जुटे हैं। बीज, खाद, कीटनाशक उत्पादक कंपनियां अपने उत्पादन को बेहतर बताने के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही हैं। नकली बीज, खाद, कीटनाशक किसानों के मत्थे मारकर ठगी से बचाने के लिए कृषि विभाग कृषि केंद्रों से नमूने लेकर जांच के लिए प्रयोगशाला भेजता है। दुकान से लिए जाने वाले नमूनाें का मूल्य संबंधित कृषि केंद्र संचालक को अदा किया जाता है। कृषि विभाग हर साल सैंपल ले रहा है। जिनके सैंपल फेल हो जाते हैं, कृषि केंद्र संचालक और संबंधित उत्पादक कंपनी को नोटिस भेजकर कार्रवाई करने में कोई कसर नहीं छोड़ी गई। वहीं जिनके सैंपल गुणवत्ता पर खरे उतरे उन्हें भुगतान करने में सरकार फिसड्डी साबित हुई है। साल 2018 से सैंपल का मूल्य कृषि केंद्र संचालकों को अदा नहीं किए जाने की चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है।

सरकार पर 100 करोड़ से ज्यादा बकाया : कृषि विभाग के अनुसार जिले में 1200 कृषि केंद्र हैं। किसानों को बीज, खाद, कीटनाशक उपलब्ध कराने में कृषि सेवा केंद्र सेतु की भूमिका निभाते हैं। इन केंद्रों से किसानों को बेचे जाने वाले बीज, खाद व कीटनाशकों की गुणवत्ता जांच की जाती है। गुणवत्ता की जांच करने लिए गए नमूनों का सात साल से भुगतान नहीं किया है। राज्यभर के कृषि केंद्र संचालकों का सरकार पर 100 करोड़ रुपए से अधिक बकाया बताया जाता है।

नागपुर और अमरावती में गुणवत्ता जांच गुणवत्ता जांच की जिम्मेदारी राज्य के कृषि विभाग पर है। विभाग के कृषि निरीक्षक कृषि सेवा केंद्रों से नमूनों का संकलन करते हैं। खाद और कीटनाशक के नमूने सरकारी प्रयोगशाला अमरावती जांच के लिए भेजे जाते हैं। बीज के नमूनों की जांच नागपुर स्थित कृषि विभाग की प्रयोगशाला में की जाती है।

रैंडम नमूनों की जांच : बीज, खाद, कीटनाशकों के नमूनों की रैंडम जांच की जाती है। जिले में 1200 से अधिक कृषि केंद्र हैं। कृषि विभाग के पास 40 कृषि निरीक्षक हैं। कृषि विभाग का मानना है कि मानव संसाधन की कमी रहने से सभी कृषि केंद्रों में उपलब्ध सभी वेरायटी के नमूने लेकर जांच के लिए भेजना संभव नहीं है। जिन कृषि केंद्रों की शिकायत मिलती है, उन केंद्रों से नमूने लिए जाते हैं। इसके अलावा औचक निरीक्षण कर नमूने जांच के लिए भेजे जाते हैं। जांच का कृषि निरीक्षकों को महीने का टार्गेट दिया जाता है। निरीक्षकों के माध्यम से सप्ताहभर में संकलित नमूने प्रयोगशाला जांच के लिए भेज दिए जाते हैं। आवश्यक रहने पर उसे अलग से भेजकर यथाशिघ्र जांच रिपोर्ट मंगवाई आती है।

निगरानी दस्तों का गठन : निकली बीज, खाद और कीटनाशकों की बिक्री पर नजर रखने के लिए तहसील तथा जिला स्तर पर निगरानी दस्तों का गठन किया गया है। जिले में किसी भी जगह नकली बीज, खाद, कीटनाशक बेचकर किसानों को ठगने वालों की कृषि विभाग से शिकायत की जा सकती है।

साल 2023-2024 में हजारों नमूने फेल : कृषि बीज, खाद और कीटनाशक की देश में साल 2023-2024 की गुणवत्ता जांच में हजारों नमूने फेल हुए। बीज के 1 लाख, 33 हजार 588 नमूने लिए गए, जिसमें से 3 हजार 630 नमूने मानकों पर खरे नहीं उतरे। रासायनिक खाद के 1 लाख, 81 हजार, 153 नमूनों की जांच की गई, जिसमें से 8 हजार 988 नमूने फेल हो गए। कीटनाशकों के 80 हजार 789 नमूनों की जांच में 2 हजार 222 नमूनों की गुणवत्ता कसौटी पर खरी नहीं उतरी।

नहीं मिली राशि : कृषि केंद्रों से लिए जानेवाले नमूनों का भुगतान करने कृषि आयुक्त के पास डिमांड भेजी जाती है। कृषि आयुक्तालय से निधि प्राप्त होने पर संबंधित कृषि केंद्र संचालकों काे भुगतान किया जाता है। कुछ वर्षों का भुगतान बकाया है। जैसे ही निधि मिलेगी, वितरण कर दिया जाएगा। रवींद्र मनोहरे, जिला अधीक्षक कृषि अधिकारी


Created On :   8 May 2025 1:28 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story