जलाशयों के घटते जलसंचय ने बढ़ाई चिंता, बड़े जलाशयों में मात्र 7 % ही पानी शेष

जलाशयों के घटते जलसंचय ने बढ़ाई चिंता, बड़े जलाशयों में मात्र 7 % ही पानी शेष

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-17 06:11 GMT
जलाशयों के घटते जलसंचय ने बढ़ाई चिंता, बड़े जलाशयों में मात्र 7 % ही पानी शेष

डिजिटल डेस्क, नागपुर। रूठे मानसून ने किसान सहित शहरवासियों की आंखों में पानी ला दिया है। नागपुर शहर में एक दिन अंतराल में जलापूर्ति की घोषणा से सब हैरान हैं। हालांकि यह स्थिति नागपुर शहर ही नहीं, अपितु संपूर्ण नागपुर विभाग में है।  संभाग के हर शहर और ग्रामीण क्षेत्र में कमोबेश यही स्थिति है। तोतलाडोह, नवेगांव खैरी सहित लगभग सभी बड़े बांधों का जलाशय तेजी से घटा है। कुछ में नाममात्र पानी बचा है तो कुछ अब नामशेष की ओर बढ़ने की कगार पर हैं। जलाशयों में घटता जलस्तर चिंता का कारण बन गया है। 

जलाशयों में ऐसी है स्थिति

जलसंपदा विभाग की मानें तो नागपुर विभाग के बड़े जलाशयों में सिर्फ 7.21 प्रतिशत पानी बचा है। इसमें भी तोतलाडोह जलाशय पूरी तरह सूख चुका है। 0.01 प्रतिशत आंकड़ा यह बताने के लिए काफी है। नवेगांव खैरी में 23.73 प्रतिशत पानी है। इस जलाशय से सीधे नागपुर शहर को जलापूर्ति होती है। पानी की मात्रा अत्यंत्र कम होने से शहर को प्रेशर के साथ जलापूर्ति करने में दिक्कतें आ रही हैं। इसी तरह नागपुर के  नांद जलाशय में 17.55, वडगांव में 18.41 प्रतिशत, खेकरानाला 27.56 प्रतिशत, भंडारा के गोसीखुर्द बांध में 2.69 प्रतिशत, बावनथड़ी में शून्य प्रतिशत, गोंदिया के इटियाडोह में 20.54 प्रतिशत, बाघ-शिरपुर में 20.06 प्रतिशत, पुजारी टोला में 16.40 प्रतिशत, कालीसरार में 13.29 प्रतिशत, वर्धा में बोर जलाशय में 10.35 प्रतिशत, लोअर वर्धा में 3.90 प्रतिशत, लालनाला में 44.49 प्रतिशत, चंद्रपुर के असोला मेंढा में 29.52 प्रतिशत और गडचिरोली के दिना जलाशय में शून्य प्रतिशत पानी है। 

मध्यम और लघु प्रकल्प भी बेहाल

मध्यम और लघु प्रकल्पों की स्थिति भी बहुत संतोषजनक नहीं है। नागपुर विभाग के 42 मध्यम प्रकल्पों में 13.71 प्रतिशत और 326 लघु प्रकल्पों में 10.15 प्रतिशत पानी ही बचा है। मानसून के रूठने से लघु और मध्यम प्रकल्पों का भी नियोजन गड़बड़ा गया है। जल भंडारण नियोजन गड़बड़ाने से किसानों को भी अब सिंचाई के लिए पानी मिलना मुश्किल हो गया है। 

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