एमबीए एडमिशन: 160 फर्जी स्टूडेंट्स के रद्द होंगे प्रवेश

एमबीए एडमिशन: 160 फर्जी स्टूडेंट्स के रद्द होंगे प्रवेश

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-31 06:04 GMT
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डिजिटल डेस्क, नागपुर। एमबीए में फर्जी स्कोर कार्ड से प्रवेश मिलने का खुलासा होने के बाद स्टेट कॉमन एंट्रेंस टेस्ट सेल को प्रारंभिक जांच में करीब 160 विद्यार्थी दोषी मिले हैं। सीईटी सेल अब इन विद्यार्थियों के प्रवेश रद्द करके उन पर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। बता दें कि दैनिक भास्कर भास्कर ने एमबीए प्रवेश में इस फर्जीवाड़े का खुलासा किया था।  

बढ़ भी सकता है आंकड़ा

उच्च व तकनीकी शिक्षा सहसंचालक डॉ.एस.के.महाजन ने बातचीत में बताया कि सीईटी सेल ने एटमा और मैट लेने वाली संस्थाओं के रिकॉर्ड से पता चला कि ऐसे 160 विद्यार्थियों के फर्जी स्कोर कार्ड फर्जी हैं। आंकड़ा इससे बड़ा भी हो सकता है, लेकिन प्रांरभिक जांच में संख्या 160 के करीब पहुंची है। इन पर कार्रवाई की तैयारी चल रही है। नागपुर समेत प्रदेश भर में लटकी पड़ी एमबीए प्रवेश प्रक्रिया कब शुरू होगी, इस पर डॉ.महाजन ने कहा कि फर्जी स्कोर कार्ड के अलावा बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमनालाल बजाज कॉलेज के प्रकरण में नए सिरे से प्रवेश प्रक्रिया आयोजित करने के आदेश दिए हैं। इसमें और भी संस्थान हैं। सीईटी सेल कॉलेज-दर-कॉलेज प्रवेश प्रक्रिया नहीं कर सकता, इसलिए कोर्ट के फैसले का असर पूरे राज्य में चल रही एमबीए प्रवेश प्रक्रिया पर पड़ेगा। सावधानी के लिए हम हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी का इंतजार कर रहे हैं, जिससे हमें विस्तृत रूप से पता चले कि आखिर बदलाव क्या करने हैं। इसी कारण दूसरा कैप राउंड रोका गया है। सीईटी सेल नए सिरे से मेरिट लिस्ट जारी कर सकता है। 

यह हुई थी गड़बड़ी

दरअसल, दैनिक भास्कर  हिंदी ने 22 जुलाई को 'एमबीए प्रवेश प्रक्रिया में बड़ी गलती, टॉप 28 में से 8 का सीईटी स्कोर गलत' शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर खुलासा किया था कि कई विद्यार्थियों ने फर्जी स्कोर कार्ड जोड़ कर संभ्रांत कॉलेजों में प्रवेश पाया है। सीईटी सेल की ऑल इंडिया मेरिट लिस्ट ही गलत है। इसके बाद सीईटी सेल ने प्रारंभिक जांच कर 134 विद्यार्थियों को संदिग्ध मान कर उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया। इधर, मुंबई के जमनालाल बजाज कॉलेज में प्रवेश के इच्छुक कुछ विद्यार्थियों ने बॉम्बे हाईकोर्ट में भी याचिका दायर कर रखी है। कॉलेज का ऑटोनॉमस दर्ज रद्द होने से वह मुंबई विश्वविद्यालय के अधीन आया, जिससे आरक्षण का कोटा गड़बड़ा गया। हाईकोर्ट ने सीईटी सेल को कॉलेज में नए सिरे से प्रवेश के आदेश दिए थे। 

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