नागपुर की 90 आंगनवाड़ियों को आईएसओ कैटेगरी

नागपुर की 90 आंगनवाड़ियों को आईएसओ कैटेगरी

Anita Peddulwar
Update: 2019-07-22 08:58 GMT
नागपुर की 90 आंगनवाड़ियों को आईएसओ कैटेगरी

डिजिटल डेस्क, नागपुर। आंगनवाड़ी अबोध बालकों के स्वास्थ्य की देखभाल करनेवाला केंद्र है। पूर्व प्राथमिक शिक्षा के साथ बालकों को पूरक पोषण आहार, नियमित स्वास्थ्य परीक्षण तथा टीकाकरण आदि सेवाएं प्रदान की जाती हैं। हालांकि आंनगवाड़ी में शिक्षा का दुय्यम स्थान है। इसलिए आमतौर पर आंगनवाड़ियां पोषण आहार और स्वास्थ्य की देखभाल तक सीमित रह गई हैं। जिले की उत्साही आंगनवाड़ी सेविकाओं ने नियमित कार्यों से हटकर आंगनवाड़ियों में बच्चों का शैक्षणिक विकास करने की पहल की है। ऐसे जिले की 90 आंगनवाड़ियों को आईएसओ दर्जा मिला है।

262 मिनी आंगनवाड़ी
जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में 2161 आंनगवाड़ियां और 262 मिनी आंगनवाड़ियां हैं। जिला परिषद के महिला व बाल कल्याण विभाग की ओर से आंगनवाड़ियों में बालकों के स्वास्थ्य से जुड़ी विविध सेवाएं दी जाती हैं। इसमें खासतौर पर पूर्व प्राथमिक शिक्षा, बच्चों, गर्भवती महिला तथा किशारियों के स्वास्थ्य की निगरानी और पोषण आहार आपूर्ति का समावेश है। आंनगवाड़ी में कार्यरत सेविकाओं को अल्प मानधन दिया जाता है। इसके मुकाबले काम का अधिक बोझ डाले जाने से आंनगवाड़ी सेविकाओं को मानसिक तनाव झेलना पड़ता है। इसे लेकर अनेक बार आंदोलन भी किए गए।

हौसले को मिले पंख
अल्प मानधन पर काम करने के बावजूद आर्थिक तनाव को भुलाकर जिले की 90 से अधिक आंगनवाड़ी सेविकाओं ने स्वस्थ और मनोरंजनात्मक वातावारण का निर्माण किया। उनके हौसले को आईएसओ दर्जे का पंख मिला है।

इसके बल पर मिला दर्जा
आईएसओ दर्जा के लिए आंगनवाड़ी सेविकाओं को अलग से बहुत कुछ करने की आवश्यकता नहीं पड़ी। अलमारी में रखी वस्तुओं को बच्चों के सामने लाकर उसी के माध्यम से स्वस्थ और मनोरंजनात्मक वातावरण निर्माण करने का प्रयास किया गया। इसमें खिलौने, अंक ज्ञान के चार्ट, बारहखड़ी के चार्ट, सब्जी, फलों के चित्र, आकार, वजन का ज्ञान कराने वाली सामग्री के रंग-बिरंगी चित्रों से आंगनवाड़ी को सजाकर बोलती दीवारों का रूप दिया गया। इसी के साथ आंनगवाड़ी में दी जाने वाली सेवाओं पर प्रभावी अमल, लाभार्थियों का रिकार्ड अपडेट रखकर नियमित सेवा प्रदान की गई। बच्चों के लिए खिलौने, पीने का शुद्ध पानी, साफ-सुथरा रसोई घर, अांनगवाड़ी की स्वच्छता और बच्चों को टीप-टॉप रखने का प्रयास किया गया। इसे अमल में लाने के लिए गांव के नागरिकों का सहयोग बढ़ाकर आर्थिक सहायता ली गई। जरूरत पड़ने पर आंनगवाड़ी सेविकाओं ने अपनी जेब से खर्च किया। नतीजा आईएसओ दर्जा की कसौटी पर खरी उतरी।
 

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