दलित शब्द का इस्तेमाल विवाद का विषय नहीं, सिविल वार की बन रही है स्थिति - प्रकाश आंबेडकर

दलित शब्द का इस्तेमाल विवाद का विषय नहीं, सिविल वार की बन रही है स्थिति - प्रकाश आंबेडकर

Anita Peddulwar
Update: 2018-09-08 11:08 GMT
दलित शब्द का इस्तेमाल विवाद का विषय नहीं, सिविल वार की बन रही है स्थिति - प्रकाश आंबेडकर

डिजिटल डेस्क, नागपुर। दलित शब्द के इस्तेमाल को लेकर चल रही बहस पर भारिप बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर ने कहा कि पहले भी बहस हो चुकी है,अब यह विवाद का विषय नहीं है। लोगों पर निर्भर है कि वे दलित शब्द का उपयोग करें अथवा न करें। एट्रासिटी को लेकर सवर्णों की विरोध पर उन्होंने कहा कि जो हालात बन रहे हैं उससे लगता है कि सिविल वार हो सकता है। आरक्षण के समर्थन व विरोध को लेकर वर्ग संघर्ष की स्थिति बनने लगी है। आंबेडकर ने आशंका जताते हुए कहा कि अक्टूबर- नवंबर में सिविल वार होने का डर लगने लगा है।

श्री आंबेडकर शनिवार को रविभवन में पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। एक याचिका की सुनवायी करते हुए बांबे उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ ने दलित शब्द को इस्तेमाल को रोकने का आदेश दिया है। सरकार ने भी परिपत्र जारी किया है। इस मामले पर आरपीआई नेता व केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने कहा था कि वे न्यायालय के निर्णय से सहमत नहीं है। दलित शब्द के इस्तेमाल से किसी को परहेज नहीं होना चाहिए। इस मामले को लेकर उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की जाएगी।

टकराव की स्थिति बन रही
श्री आंबेडकर ने कहा कि 1980 में भी दलित शब्द के इस्तेमाल को लेकर बहस छिड़ी थी। नामदेवराव ढसाल, अर्जुन डांगे व उनके विरोध में अन्यों के बीच विवाद चल रहा था। तब सर्वसहमति से निर्णय लिया गया कि दलित शब्द का इस्तेमाल स्वयं निर्भर होना चाहिए। कोई चाहे तो इस  शब्द का इस्तेमाल कर सकता है। फिलहाल न्यायालय व केंद्र सरकार ने जो निर्णय लिया है उसमें भी दलित शब्द का इस्तेमाल नहीं करना अनिवार्य नहीं है।

सवर्णों के आंदोलन पर उन्होंने कहा कि समाज में टकराव की स्थिति बनने की शुरुआत हो गई है। शहरी नक्सलवाद को सरकार व पुलिस का प्रोपेगंडा मानते हुए उन्होंने कहा कि सामान्य लोगों के अधिकार की बातों को दबाने के लिए यह सब प्रचार किया जा रहा है। संगठित व असंगठित श्रमिकों को अधिकार की बात नहीं करने दिया जा रहा है।

शहरी नक्सलवाद सत्ताधारी दल व पुलिस की बनायी हुई थ्योरी है। इसकी आड़ में सत्ताधारी दल पूंजीवादी व स्थापित वर्गों को लाभ पहुंचाना चाहते हैं। पुलिस भी अार्थिक लाभ के लिए शहरी नक्सलवाद का प्रचार कर रही है। चुनावी रणनीति से जुड़े प्रश्न पर उन्हाेंने कहा कि फिलहाल अन्य दलों से गठबंधन की बात निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंची है। AIMIM पार्टी के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवेसी का पत्र मिला है। गठबंधन के मामले पर उनके साथ भी चर्चा नहीं हो पायी है। तीसरा मोर्चा गठन की भी बात नहीं हुई है। कांग्रेस की ओर से सकारात्मक पहल नहीं दिख रही है। पत्रकार वार्ता में सागर डबरासे, राजू लोखंडे व अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। 

डर के मारे देश छोड़ रहे लोग,इसलिए बढ़ रही डालर की मांग
प्रकाश आंबेडकर ने केंद्र सरकार की आर्थिक नीति का जमकर विरोध किया। उन्होंने कहा कि व्यावसायी व अन्य लोगों के बीच जांच के नाम पर ऐसा डर फैलाया गया है कि लोग संपति बेचकर अन्य देशों में जा रहे है। यहां की मुद्रा से डालर खरीद रहे हैं। यही बड़ा कारण है कि रुपए का डालर की तुलना में अवमूल्यन हो रहा है। देश में 1990 में जो आर्थिक हालत बने थे वही अब भी दिख रहे हैं।

वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट मार्च 2018 का हवाला देते हुए श्री आंबेडकर ने कहा कि देश में आयात दर लगातार कम हो रही है। आईडी,सीबीआई, आयकर व अन्य जांच एजेंसियों के छापों के कारण अधिक आय वाले लोग काफी परेशान हैं। भय का वातावरण बनाया गया है। अनुमान के अनुसार कुछ वर्ष में ही देश से 75000 लोग अन्य देशों में चले गए है। 10 करोड़ से अधिक संपति वाले इन लोगों के देश छोड़ने से भारत में व्यवसाय व निवेश पर भी प्रभाव पड़ने वाला है। 

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