"सामना" में शरद पवार को सम्मान तो छोटे पवार को खरी-खरी, बड़े पवार की रणनीति से अजित पवार की अधूरी ही रह जाएगी राजनीतिक महत्वाकांक्षा? 

'सामना' में किसे मिला 'सम्मान'? "सामना" में शरद पवार को सम्मान तो छोटे पवार को खरी-खरी, बड़े पवार की रणनीति से अजित पवार की अधूरी ही रह जाएगी राजनीतिक महत्वाकांक्षा? 

Bhaskar Hindi
Update: 2023-05-04 05:50 GMT
"सामना" में शरद पवार को सम्मान तो छोटे पवार को खरी-खरी, बड़े पवार की रणनीति से अजित पवार की अधूरी ही रह जाएगी राजनीतिक महत्वाकांक्षा? 

डिजिटल डेस्क, मुबंई। महाराष्ट्र की सियासत में इन दिनों भूचाल आया हुआ है। 2 मई को एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने पार्टी अध्यक्ष पद से छोड़ने की बात जब से कही है तब से अलग-अलग राजनीति दलों की ओर से प्रतिक्रिया आ रही है और उन्हें देश की सियासत का बड़ा नेता बता रहे हैं। अब इसी मामले को लेकर उद्धव गुट के शिवसेना का मुखपत्र "सामना" में एक लेख छपा हुआ है जिसमें शरद पवार के राजनीतिक करियर को लेकर जमकर तारीफ की गई है। जबकि भतीजे अजीत पवार को लेकर निशाना साधा गया है।

बता दें कि, पिछले कई दिनों से शरद पवार के भतीजे अजित पवार को लेकर चर्चाएं रही थी कि वो भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम सकते हैं। खबरें ऐसी भी आई थी कि अजीत पवार कर्नाटक विधानसभा चुनाव को देखते हुए वेट एंड वॉच की मुद्रा बनाए हुए हैं। जैसे ही चुनाव खत्म होगा वो भगवा पार्टी में शामिल हो जाएंगे। वहीं इस पूरे मामले पर राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि, शरद पवार ने अपना पद छोड़ने की जो बात कही है वो सीधा जाकर इन ही घटनाओं से जुड़ती है। विश्लेषकों के मुताबिक, बड़े पवार पार्टी को टूटने और परिवार में फूट पड़ने की वजह से पार्टी अध्यक्ष से खुद को अलग करने का फैसला किया है। बता दें कि, कुछ ऐसा ही शिवसेना के मुखपत्र "सामना" में भी दावा किया गया है।

पवार की "सामना" में जय जयकार

शरद पवार को लेकर "सामना" के संपादकीय में लिखा गया है कि, शरद पवार ने एनसीपी की स्थापना एक विषम परिस्थिति में की थी। वो एक कांग्रेसी विचारधारा और भूमिका वाले नेता हैं। "सामना" में आगे लिखा गया है कि, पवार ने अब तक राजनीति साहू, फुले और आंबेडकर के विचारों के तहत ही की है। जिनका सामाजिक क्षेत्र में काफी योगदान है। पवार को लेकर आगे लिखा गया है कि, उन्होंने कांग्रेस को दो बार त्याग किया और खुद की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी बनाई जिसे हम एनसीपी के नाम से जानते हैं। कभी पवार सत्ता में रहकर देश और प्रदेश की सेवा की तो कभी विपक्ष में रहते हुए सामाजिक कल्याण के मुद्दे जोरशोर से उठाए।

"सामना" में शरद पवार को सम्मान

"सामना" में पवार की राजनीतिक करियर के बारे में लिखा गया है कि, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार देश की राजनीति में करीब 60 सालों से सक्रिय हैं। वो महज 27 साल के उम्र में पहली बार विधायक चुने गए थे और तब से लेकर अब तक उनकी राजनीति राह में किसी तरह का कोई बाधा नहीं आया। शरद पवार पहली बार चुनने से लेकर अभी तक जनता के दिलों पर राज किया है। जिसका सबूत हमें उनके राजनीति से इस्तीफे के घोषणा के बाद देखने को मिला। जहां कई कार्यकर्ता रोने और बिलखने लगे थे। ऐसा कम ही होता है कि किसी राजनीतिक दल के नेता को इतना प्यार करने वाले कार्यकर्ता हो। हालांकि, शरद पवार को ये नसीब हुआ, जो उन्हें भाग्यशाली बनता है। "सामना" के संपादकीय लेख में शरद पवार को लेकर खूब तारीफ की गई है। लेकिन वहीं भजीते अजित पवार पर "सामना" के जरिए तंज कसा गया है और ईडी व केंद्रीय एजेंसियों का भी जिक्र किया गया है।

पवार को लेकर उठे सवाल
 
"सामना" में लिखा गया है कि, हो सकता है कि शरद पवार पार्टी को टूटने से बचाने के लिए राजनीतिक से संन्यास लेने की बात कही हो। हाल के दिनों में जिस तरह अजित पवार का बगावती सूर देखा गया है इसका तस्दीक तो यही करता है। "सामना" में लिखा गया है कि,  "ईडी जैसी जांच एजेंसी के कारण पार्टी में पहले ही बेचैनी और उससे सहयोगियों द्वारा चुना गया भाजपा का रास्ता, क्या इसके पीछे इस्तीफा देने की वजह हो सकती है? यह पहला सवाल। दूसरा, यानी अजित पवार और उनका गुट अलग भूमिका अपनाने की तैयारी में है, क्या उसे रोकने के लिए पवार ने यह कदम उठाया है?"

"सामना" से अजित पर निशाना

"सामना" में अजित पवार पर तंज कसते हुए लिखा गया है कि, शरद पवार के इस्तीफे के कई मतलब निकाले जा रहे हैं। शरद पवार को लगता है कि पार्टी को टूटने से बचाने के लिए सम्मान पूर्वक बाहर निकल जाना ही उचित रहेगा। "सामना" में अजित के नाम का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि, कुछ दिनों से पवार को लेकर खबरें आ रही थी कि वो बीजेपी में जानेवाले हैं लेकिन राजनीतिक के भीष्म ने ऐसी चाल चली कि अजित को एक बार फिर सोच विचार करना पड़ रहा है। लेख में ये भी कहा गया है कि अजित पवार की इच्छा महाराष्ट्र का सीएम बनना है।  


 

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