इन 5 कॉमन तरीकों से आप हर बार पेट्रोल पंप पर ठगे जाते हैं!
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। यदि आप सोचते हैं कि आपकी कार या बाइक कम माइलेज देती है, तो जरूरी नहीं की सही हो। कई बार पेट्रोल पंप की मशीन दिखाती कुछ हैं और होता कुछ और ही है। पूरे देश में तमाम पेट्रोल पंपों पर ग्राहक रोज ठगे जाते हैं और पूरा पैसा देने पर भी आपको कम पेट्रोल और डीजल मिलता है। आये दिन शिकायतों के बाद पेट्रोल पंप पर छापे मारे जाते हैं और ईंधन चोरी का गोरखधंधा बेनकाब होता है। अगर आप इंडिया में रहते हैं और आपके पास एक कार या बाइक है, तो हो सकता है कि आपके या आपके किसी दोस्त के साथ कम से कम एक बार पेट्रोल पंप पर धोखाधड़ी हो चुकी है। पेश हैं इंडिया के 5 सबसे कॉमन पेट्रोल पंप पर ठगी के तरीके।
ध्यान भटकाना
पेट्रोल पंप वर्कर्स के लिए सबसे पुरानी ट्रिक है ध्यान भटकाना। अगर आप दो फ्यूल अटेंडेंट को देख रहे हैं जिनमें से एक पेट्रोल भर रहा है, और एक पैसे ले रहा है, तुरंत चौकन्ने हो जाईए। आमतौर पर पैसे लेने वाला वर्कर आपका ध्यान भटकाने की कोशिश करेगा और पेट्रोल भरने वाला आपके दिए गए पैसे से कम कीमत का पेट्रोल भरने की कोशिश करेगा।
और ये ऐसे होता है।
पहला अटेंडेंट पंप को जीरो पर रिसेट करेगा और आपसे पूछेगा कि आपको कितने का फ्यूल लेना है। जैसे ही वो फ्यूल भरने लगेगा, दूसरा आपको ब्लॉक करने की कोशिश करेगा, और आपको किसी फिजूल की बातों में फंसाने या जल्द पैसा देने की बात करेगा। इसी बीच फ्यूल भरने वाला अटेंडेंट मीटर रिसेट कर देगा और आपको आगे बढ़ने का इशारा करेगा। इस तरीके से वो ये बात सुनिश्चित कर लेते हैं कि आप ये न देख पाएं की आपके गाड़ी में आखिर कितने का फ्यूल भरा गया है।
दूसरी आम ट्रिक ये है जिसमे फ्यूल अटेंडेंट इस बात का नाटक करता है कि उसने आपकी बात नहीं सुनी। मान लीजिये आपने उसे 1000 रुपये का पेट्रोल डालने के लिए बोला, अब फ्यूल अटेंडेंट इस बात का नाटक करेगा कि उसने 200 रुपए सुना है और वो 200 पर रुक जाएगा, और फिर 800 पर ऑटो-कट ऑफ सेट कर देगा। इस तरीके से आपके 1000 रुपये देने के बावजूद आपको सिर्फ 800 रुपये का फ्यूल ही मिलेगा।
इससे कैसे बचें?
हमेशा रीड-आउट स्लिप लें, इस स्लिप से ये पता चलता है की मशीन ने कितने का फ्यूल डिस्पेंस किया है। अधिकांश नए फ्यूल-पंप ये फैसिलिटी देते हैं। एक दूसरा तरीका है कि आप फ्यूल लेने से पहले अपने कार से उतर जाएं।
लम्बा फ्यूल डिस्पेंसर
साधारण से ज्यादा बड़े फ्यूल डिस्पेंसर काफी फ्यूल अपने अन्दर ही रख लेते हैं जिससे सारा फ्यूल आपके टैंक तक नहीं पहुंचता। अच्छी-खासी मात्रा में फ्यूल हमेशा पाइप में बचा रह जाता है, और जब पाइप रोल किया जाता है, तो वो वापस अन्दर चला जाता है।
इससे कैसे बचें?
सबसे अच्छी बात होगी कि आप ऐसे फ्यूल स्टेशन पर जाएं ही ना। अगर आपके पास वहां जाने के अलावा कोई चारा नहीं है तो इस बात का ध्यान रखें की डिस्पेंस वापस लेने से पहले अटेंडेंट पूरा फ्यूल आपके टैंक में डाले।
मिलावट
मिलावट ऐसी चीज है जो इंडिया के काफी सारे फ्यूल स्टेशन में फैल चुका है। कोई अचूक तरीका नहीं है जिससे आप मिलावट को आसानी से पकड़ लें, क्यूंकि मिलावट में काफी जटिल रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका है ऐसे पेट्रोल पंप पर ना जाना। जानेमाने और विश्वशनीय पेट्रोल पम्प पर जाने की कोशिश किया करें और तो और कम्पनी के अपने और उनके द्वारा चलाये जाने वाले पेट्रोल पंप पर जाने कोशिश करें।
फ्यूल पम्प के साथ छेड़छाड़
इस स्कैम का हाल ही में उत्तर प्रदेश के बहुत सारे फ्यूल पम्प में पकड़ा गया था। इस स्कैम में पंप के अन्दर लगी एक इलेक्ट्रॉनिक चिप पंप के आउटपुट को लगभग 6 प्रतिशत कम कर देती है, और ये चिप एक फ्यूल अटेंडेंट थोड़ी दूरी से भी कंट्रोल कर सकता है। इसका मतलब है कि हर एक लीटर के लिए कस्टमर को सिर्फ 940 मिलीलीटर फ्यूल मिलता था। खबर है कि जिस इंसान ने फ्यूल पम्प के मालिकों को ये चिप बेची उसने कुल 1,000 चिप बेचीं थी। इस स्कैम से बचने का एक ही तरीका है कि आप जानेमाने पेट्रोल पम्प से ही फ्यूल खरीदें।
चालू और बंद ट्रिक
ये सबसे ज्यादा अपनाई जाने वाली ट्रिक है। इस ट्रिक में फ्यूल अटेंडेंट आपके कार के फ्यूल फिलर नैक में नोजल को लॉक नहीं करता, बल्कि फ्यूल भरते वक्त वो फ्यूल डिस्पेंसर को चालू और बंद करके बार बार फ्यूल फ्लो को डिस्टर्ब करता रहता है। जब ऐसा हो रहा होता है, एयर लॉक के चलते थोड़ा सा फ्यूल मशीन में बचा रह जाता है। इस प्रक्रिया में आप हर 10 लीटर के लिए लगभग 200 मिलीलीटर फ्यूल खो सकते हैं। इससे बचने का एक तरीका है की आप ये सुनिश्चित करें की अटेंडेंट फ्यूल फिलर नैक में नोजल को लॉक करे और जब तक ऑटो कट-ऑफ न हो, वो उसे हाथ न लगाये।
Created On :   13 Dec 2017 11:08 AM IST