मॉडिफाइड साइलेंसर्स और पटाखा साउंड का क्रेज बढ़ा रहा सिरदर्द, कर्कश आवाज से लोग परेशान

Modified silencers loud voice cause noise pollution
मॉडिफाइड साइलेंसर्स और पटाखा साउंड का क्रेज बढ़ा रहा सिरदर्द, कर्कश आवाज से लोग परेशान
मॉडिफाइड साइलेंसर्स और पटाखा साउंड का क्रेज बढ़ा रहा सिरदर्द, कर्कश आवाज से लोग परेशान

डिजिटल डेस्क, नागपुर। लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए आजकल युवा बाइक्स को मॉडिफाई करवा रहे हैं और इसके लिए युवाओं की पहली पसंद है रॉयल एनफील्ड और स्पोर्ट्स बाइक्स। इन दोनों ही बाइक में जो यूथ को सबसे अधिक अट्रेक्ट करता है, वो है इंजन और साइलेंसर। फटे साउंड वाला साइलेंसर इन्हें भले ही भा रहा हो पर लोगों के लिए यह असहनीय है। सुबह हो या आधी रात, तेज कर्कश आवाज में ये ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ा रहे हैं। 

पंजाबी साउंड और डिजाइनर साइलेंसर है पसंद 
मॉडिफिकेशन के दौरान एलॉय लगा दिया जाता है। यह एलॉय बाइक के लुक को तो अच्छा बना देता है। पंजाबी साउंड और डिजाइनर साइलेंसर ज्यादा पसंद किए जा रहे हैं। वाइल्डबोर, पंजाबी साउंड और डिजायनर साइलेंसर 1000 से 25 हजार रुपए तक में उपलब्ध हैं। ये साइलेंसर कंपनी से आई बाइक की तुलना में दो गुना तेज आवाज पैदा करते हैं।
(उस्मान, मैकेनिक) 

कार्रवाई की जाती है
व्हीकल एक्ट के मुताबिक ज्यादा आवाज करने वाले हॉर्न को लगवाना गैर-कानूनी है। हम इनके खिलाफ एक्शन लेते हैं और इस तरह की बाइक्स पर कार्रवाई भी की जाती है। मॉडिफाइड साइलेंसर, प्रेशर हॉर्न्स या कोई भी अन्य नॉन-स्टैंडर्ड पार्ट गैर-कानूनी है। ट्रैफिक पुलिस इन गैर-कानूनी पार्ट्स के खिलाफ एक्शन लेती हैं। हम इनकाे रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए कहते हैं।  
(राजतिलक रोशन, डीसीपी ट्रैफिक नागपुर) 

ऐक्शन ले सकते हैं
सेंटर मोटर व्हीकल ऐक्ट का सेक्शन 190 एक्ट 1988 कहता है कि अगर कोई व्यक्ति सड़क सुरक्षा, ध्वनि या फिर हवा प्रदूषण के मानकों का उल्लघंन करता है तो उस पर 2,000 रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है।                          
(नम्रता जाधव, एपीआई)

ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ गया है
ऐसे बाइक्स की वजह से ध्वनि प्रदूषण बढ़ा है। ध्वनि मानकों की बात करें तो ऑटोमोटिव नॉर्म्स के हिसाब से अधिकतम ध्वनि सीमा 80 डेसिबल है। मॉडिफाइड साइलेंसर या हॉर्न के इस्तेमाल से यह बढ़कर 100 डेसिबल या इससे अधिक हो जाती है। शहर में इन दिनों वायू प्रदूषण के साथ ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ गया है। मॉडिफाइड साइलेंसर से लेस मोटरसाइकिल की वजह से ध्वनि प्रदूषण बढ़ रहा है। ऐसे लोगों की धर-पकड़ होनी चाहिए। 
(राकेश वानखेडे, महाराष्ट्र प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड) 

ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है 
युवा बाइकर्स के लिए प्रेशर हॉर्न व मॉडिफाइड साइलेंसर एक फैशन बन गया है। ये अटेंशन पाने के ​लिए भी बाइक्स को मॉडिफाइड करते हैं। कंपनियां इतनी तेज आवाज वाले साइलेंसर का उपयोग नहीं करती हैं, क्यों​कि परमिशन नहीं है। यदि ये बाइक्स रेसिडेंशियल इलाके में चल रही हैं तो ये और भी घातक हैं। इसे नॉयज पालॅल्यूशन बढ़ता है। 
(कौस्तुभ चैटर्जी, ग्रीन विजिल फाउंडेशन संस्थापक)
 

Created On :   5 Oct 2018 12:21 PM IST

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story