इंडस्ट्री को डर है, सिनेमाघर बंद करने के दिल्ली के कदम से रिकवरी में बाधा आएगी

Industry fears Delhis move to shut cinema halls will hamper recovery
इंडस्ट्री को डर है, सिनेमाघर बंद करने के दिल्ली के कदम से रिकवरी में बाधा आएगी
बॉलीवुड इंडस्ट्री को डर है, सिनेमाघर बंद करने के दिल्ली के कदम से रिकवरी में बाधा आएगी

डिजिटल डेस्क, मुंबई। फिल्म इंडस्ट्री ने स्पाइडर-मैन : नो वे होम और अल्लू अर्जुन-स्टारर पुष्पा : पार्ट-1 की बॉक्स-ऑफिस पर बड़ी सफलता का जश्न मनाना शुरू कर दिया था, मगर सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स को बंद करने के दिल्ली सरकार के मंगलवार को आए आदेश से रणवीर सिंह अभिनीत कबीर खान की फिल्म 83 को बड़ा झटका लगा है।

राजधानी में कोविड-19 संक्रमण दर रविवार को 0.55 प्रतिशत और सोमवार को 0.68 प्रतिशत हो जाने के बाद अरविंद केजरीवाल सरकार ने यह निर्णय लिया है।

शाहिद कपूर-स्टारर जर्सी के निर्माताओं ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे क्रिकेट ड्रामा की रिलीज को स्थगित कर रहे हैं, जो शुक्रवार, 31 दिसंबर के लिए निर्धारित की गई थी।

अब, बड़ा सवाल यह है कि क्या अगली बड़ी-बैनर रिलीज -एस.एस. राजामौली की बहुभाषी आरआरआर भी दिल्ली सरकार के फैसले से प्रभावित होगी? हालांकि इसके प्राथमिक दर्शक दो तेलुगू भाषी राज्यों में हैं।

व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि दिल्ली शहर बॉलीवुड के राजस्व में 7-8 प्रतिशत का योगदान देता है, लेकिन उन्हें डर है कि राजधानी में जो हुआ है, वह जल्द ही गुरुग्राम और नोएडा से शुरू होकर कहीं और दोहराया जाएगा।

दिल्ली सरकार के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष कमल ज्ञानचंदानी ने कहा कि इससे भारी अनिश्चितता पैदा हुई है और इससे भारतीय फिल्म उद्योग को अपूरणीय क्षति हो सकती है।

मार्च 2020 के बाद से भारतीय सिनेमा थिएटरों को अपने लंबे इतिहास में सबसे चुनौतीपूर्ण अवधि का सामना करना पड़ा है।

ज्ञानचंदानी जो पीवीआर पिक्चर्स लिमिटेड के सीईओ भी हैं, उन्होंने कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने सिनेमा थिएटरों की क्षमता पर जोर देते हुए ने कहा, फिर से खोलने की अनुमति के बाद सिनेमाघरों ने जनता और कर्मचारियों के लिए सुरक्षित रूप से संचालित करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है।

उन्होंने कहा, दुनियाभर में कहीं भी किसी सिनेमा हॉल में कोविड-19 का एक भी मामला नहीं मिला है।

ज्ञानचंदानी ने कहा कि सिनेमाघरों को बंद करने के बजाय, दिल्ली सरकार को सिनेमाघरों में प्रवेश करने के लिए दोनों डोज जरूरी शुरू करने पर विचार करना चाहिए, जैसा कि कुछ अन्य राज्यों (महाराष्ट्र सहित) में हो रहा है।

उन्होंने कहा, सिनेमाघरों में 50 प्रतिशत बैठने की क्षमता प्रतिबंध को फिर से लागू किया जा सकता है। उन्होंने दिल्ली सरकार से भारतीय फिल्म उद्योग के अद्वितीय सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक मूल्य को पहचानने का आह्वान किया है।

इस कदम पर विचार करते हुए, एक स्वतंत्र फिल्म और व्यापार विश्लेषक, सुमित कडेल ने कहा, दिल्ली फिल्म उद्योग के लिए प्रमुख बाजारों में से एक है, खासकर मल्टीप्लेक्स-ओरिएंटेड फिल्मों के लिए। दिल्ली में सिनेमाघरों को बंद करने और उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में रात के कर्फ्यू लगाने के परिणामस्वरूप रात के शो रद्द कर दिए गए हैं।

कडेल ने कहा कि इन सबका व्यापार पर बहुत बड़ा नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, वाईआरएफ फिल्म्स की अक्षय कुमार की पृथ्वीराज जैसी फिल्में, (जो फरवरी में रिलीज होने वाली थीं) स्थगित हो सकती हैं।

मीडिया और इंटरनेट अनुसंधान विश्लेषक करण तौरानी ने कहा, इससे निर्माताओं में घबराहट पैदा होगी, जो समय/प्रतिबंधों के बारे में अनिश्चितता को देखते हुए अपनी रिलीज की तारीखों को फिर से टालने का फैसला करेंगे।

उन्होंने आगे कहा, इसका विंडोइंग शर्तो (चार सप्ताह और मार्च 2022 तक छह से आठ सप्ताह के उद्योग के औसत पर लौटने की उम्मीद) का वितरक शेयर व्यवस्था और उपभोक्ता भावना पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

तौरानी ने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि यह टिकट की कीमत को कैसे प्रभावित करेगा। उन्होंने कहा, पीवीआर और आईनॉक्स अपने मार्च 2020 के निचले स्तर (पीवीआर / आईनॉक्स 1,100 रुपये और 280 रुपये) से ऊपर 25-30 प्रतिशत के मूल्य बिंदु पर नीचे हो सकते हैं, अगर तीसरी लहर इतनी गंभीर और भयानक होने की उम्मीद नहीं है।

बहरहाल, उन्होंने आगाह किया, रिकवरी में देरी होगी, क्योंकि यह राज्यों पर निर्भर है कि वे ऑक्यूपेंसी कैप और प्रतिबंधों को संशोधित करें।

 

(आईएएनएस)

Created On :   28 Dec 2021 4:30 PM GMT

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