बीजिंग में 3 idiots देख तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा हाल , 2021 में चाइना वाले देखेंगे ये बॉलीवुड फिल्में 

Series of Indian films started in China for SCO countries
बीजिंग में 3 idiots देख तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा हाल , 2021 में चाइना वाले देखेंगे ये बॉलीवुड फिल्में 
बीजिंग में 3 idiots देख तालियों की गड़गड़ाहट से गूंजा हाल , 2021 में चाइना वाले देखेंगे ये बॉलीवुड फिल्में 

बीजिंग (आईएएनएस)। शांगहाई सहयोग संगठन यानी एससीओ के सदस्य देश विभिन्न माध्यमों से संगठन की वैश्विक भूमिका को मजबूत बनाने में जुटे हैं। इसी क्रम में चीन की राजधानी बीजिंग में भारतीय फिल्म सीरीज की शुरूआत की गयी है। शनिवार देर शाम भारतीय दूतावास में एससीओ के महासचिव व्लादिमिर नोरोव व चीन स्थित भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने सिनेमास्कोप नामक फिल्म श्रृंखला का रिबन काटकर संयुक्त रूप से उद्घाटन किया। इस दौरान चीन सहित दुनिया के कई देशों में बेहद पसंद की गई साल 2009 की फिल्म "थ्री ईडियट्स" प्रदर्शित की गई। दूतावास के ऑडिटोरियम में उपस्थित प्रतिनिधियों की जोरदार तालियों की गड़गड़ाहट बता रही थी कि हिंदी फिल्में विदेशी दर्शकों को कितना प्रभावित करती हैं। वहीं इसी क्रम को जारी रखते हुए अगले साल बर्फी, तारे जमीन पर, रॉकस्टार, ब्लैक व "माई नेम इज खान" जैसी सुपरहिट हिंदी फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी।

दूतावास रूसी भाषा में डब की गई दो दर्जन से अधिक भारतीय फिल्मों की स्क्रीनिंग करेगा, जो लगभग हर महीने प्रदर्शित होंगी। फिल्में दिखाने का यह सिलसिला साल 2023 में भारत के एससीओ परिषद का प्रमुख बनने तक जारी रहेगा। इस मौके पर एससीओ महासचिव व्लादिमिर नोरोव ने कहा कि सिनेमास्कोप का आयोजन 2021 में मनाए जाने वाले एससीओ संस्कृति वर्ष से मेल खाएगा, क्योंकि अगले साल एससीओ के गठन के 20 साल पूरे हो रहे हैं। बकौल नोरोव भारतीय फिल्मों विशेषकर बॉलीवुड का वैश्विक प्रभाव बहुत ज्यादा है। इसके साथ ही 2013 में भारतीय सिनेमा के सौ साल पूरे होने का जश्न मनाया गया। पिछले सौ वर्षों में, भारतीय सिनेमा एक ब्लैक एंड व्हाइट फिल्म से जीवंत, गीत-और-नृत्य से भरपूर फिल्म उद्योग में विकसित हुआ है, जो समाज को मजबूत संदेश देता है। इस दौरान भारतीय सिनेमा ने सीमाओं को पार कर लिया है और अब ये फिल्में न केवल मनोरंजन के रूप में देखी जाती हैं, बल्कि लोगों को जोड़ने का एक शक्तिशाली माध्यम भी बन चुकी हैं।

एससीओ महासचिव ने आगे कहा कि रूसी भाषा में डब की गयी भारतीय फिल्मों ने सोवियत फिल्म प्रेमियों पर काफी सकारात्मक प्रभाव छोड़ा है। हम में से कई लोग सोवियत संघ में प्रदर्शित पहली बॉलीवुड फिल्मों में से एक आवारा को देखते हुए बड़े हुए हैं। राज कपूर, मिथुन चक्रवर्ती से लेकर अमिताभ बच्चन तक कई भारतीय अभिनेता और अभिनेत्रियों को रूस और मध्य एशिया के घरों में आशावाद का प्रतीक माना जाता है।

वहीं राजदूत मिस्री ने कहा कि एक ओर जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रस्तावित फिल्म फेस्टिवल के आयोजन को लेकर एससीओ सदस्य देश विचार कर रहे हैं, वहीं दूतावास ने सिनेमा के माध्यम से उक्त देशों के बीच बेहतर संबंध कायम करने के लिए एक छोटी सी शुरूआत की है। यह कार्यक्रम गत 30 नवंबर को एससीओ परिषद के प्रमुखों की बैठक के सफल आयोजन का जश्न मनाने और एससीओ परिवार को साथ लाने का एक नया ट्रैक शुरू करने का एक तरीका है। यहां बता दें कि चीन, रूस, भारत व पाकिस्तान सहित 8 देश एससीओ के सदस्य हैं। जबकि कई पर्यवक्षेक देश भी एससीओ की बैठकों में भाग लेते रहे हैं। इस संगठन का मुख्यालय चीन के शांगहाई में मौजूद हैं, इसकी स्थापना साल 2001 में हुई थी।

Created On :   13 Dec 2020 6:11 PM IST

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