खानदानी शफाखाना रिव्यू: समाज को मजबूत संदेश देती फिल्म वीकेंड के लिए टाइमपास

Sonakshi Sinha Starrer Movie Khandaani Shafakhana Review
खानदानी शफाखाना रिव्यू: समाज को मजबूत संदेश देती फिल्म वीकेंड के लिए टाइमपास
खानदानी शफाखाना रिव्यू: समाज को मजबूत संदेश देती फिल्म वीकेंड के लिए टाइमपास

डिजिटल डेस्क, मुम्बई। सोनाक्षी सिन्हा स्टारर फिल्म "खानदानी शफाखाना" आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। इस फिल्म से बॉलीवुड के फेमस सिंगर बादशाह ने एक्टिंग की दुनिया में कदम रखा हैं। फिल्म में इनके अलावा वरुण शर्मा, अन्नू कपूर औऱ कुलभूषण खरबंदा हैं। इस फिल्म का निर्देशन शिल्पी दासगुप्ता ने किया है और मृगदीप सिंह लांबा और भूषण कुमार ने फिल्म का निर्माण किया है। आज के समय में जो अलग-अलग विषयों पर फिल्में बन रही हैं। इस लिस्ट में अब "खानदानी शफाखाना" का नाम भी शामिल हो गया है। यह फिल्म आपके लिए इस वी​कएंड का एक कम्लीट टाइमपास हो सकती है। 

फिल्म की कहानी की बात करें तो नाम से स्पष्ट है कि कहानी एक यौन चिकित्सालय यानी खानदानी शफाखाना के इर्द गिर्द बुनी गई है। बेबी बेदी पंजाब के एक शहर में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव का काम काम करती है। घर चलाने के लिए वह सुबह से लेकर शाम तक खूब सारे जतन करती है लेकिन उसकी मेहनत से घर बस किसी तरह चल जा रहा है। इसी बीच खबर आती है कि मामाजी गुजर गए हैं। जिसका बाद उनका पुराना क्लीनिका बेबी को विरासत में मिलता है। लेकिन शर्त रखी जाती है कि पहले यह क्लीनिक उन्हें चलाकर दिखाना होगा। रुढ़ियों में जकड़े समाज में एक पुरुष के यौन चिकित्सालय तक जाने में लोगों के घुटने जवाब दे जाते हैं तो फिर एक लड़की को लोग अपनी यौन बीमारियां कैसे बताते हैं, इसी में लिपटी है खानदानी शफाखाना की कहानी।

निर्देशन की बात करें तो फिल्म की निर्देशक शिल्पी दासगुप्ता ने इसे बहुत ही खूबसूरती से पेश किया है। फिल्म सिर्फ एक सेक्स कॉमेडी भर नहीं है, यह एक मजबूत संदेश भी देने की कोशिश करती है। इस मायने में शिल्पी की तारीफ करनी होगी कि उन्होंने अपने करियर की शुरूआत के लिए लीक से हटकर एक ऐसी फिल्म चुनी जिसके लिए कलाकार तलाशना भी कम मुश्किल नहीं रहा होगा। शिल्पी ने अपने निर्देशन में किरदार को अपनी जरुरत के हिसाब से गढ़ा है और कॉमेडी और मसालेदार तड़कों के बीच शिल्पी अपनी बात दर्शकों के जेहन में बिठाने में सफल रहती हैं।

फिल्म में सोनाक्षी का नाम बेबी बेदी है और यह सोनाक्षी के अब तक के बेहतरीन रोल में से एक है। वे एक हैरान परेशान पंजाबी लड़की के रुप में बिल्कुल फिट दिखती हैं। फिल्म में उनका द्वंद्व सबसे अच्छी तरह से उभरकर सामने तब आता है जब वह गलियों में अपनी क्लीनिक का प्रचार करने और लोगों से यौन बीमारियों के बारे में खुलकर बात करने का प्रचार करने निकलती हैं। 

फिल्म में वरुण शर्मा की अदाकारी खास है। वह आपको गुदगुदाते हैं और चेहरे पर हंसी अपने आप आ जाती है। इस फिल्म से वरुण को एक नया हाइक मिल सकता है। फिल्म में अरसे बाद कुलभूषण खरबंदा को देखा गया और अन्नु कपूर की तो बात ही अलग है। वहीं बादशाह की बात करें तो ​वे सिंगर ही ठीक हैं। उन्हें एक्टिंग मोह से बचना चाहिए।

टेक्नीकल तौर पर फिल्म की बात की जाए तो फिल्म् में पंजाब के खेतों, गलियों, चौराहों और चौबारों को ऋषि पंजाबी ने अच्छे तरीके से कैमरे में कैद किया है। साथ ही देवराव जाधव की ​एक्टिंग भी कमाल है। 

Created On :   2 Aug 2019 6:03 AM GMT

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