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Amravati News: अमरावती फ्लाई ओवर को लेकर सचिव पर लगा 1 लाख रुपए का जुर्माना

- संतोषजनक जवाब दाखिल न करने पर हाई कोर्ट ने दिए आदेश `
- कहा-वेतन से करें कटौती
Amravati News अमरावती के चित्रा चौक में फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य पिछले सात वर्षों से रुका पड़ा है। इस देरी पर विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने के आदेश के बावजूद, पीडब्ल्यूडी के प्रधान सचिव ने समय पर संतोषजनक जवाब दाखिल नहीं किया, जिसके कारण हाईकोर्ट ने सचिव पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। कोर्ट ने यह जुर्माना उनके वेतन से कटौती करने का आदेश दिया है।
कड़ी आलोचना की थी : पूर्व मंत्री सुनील देशमुख ने अमरावती में फ्लाई ओवर का सात वर्षों से रुका हुआ काम और इससे नागरिकों को हो रही परेशानी को लेकर बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। इस याचिका पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. सचिन देशमुख के समक्ष हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पीडब्ल्यूडी विभाग के आचरण की कड़ी आलोचना की थी। साथ ही, कोर्ट ने गुरुवार दोपहर ढाई बजे तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने नाराजगी जताई : सचिव ने गुरुवार को इस मामले में शपथ पत्र दाखिल किया, लेकिन फ्लाई ओवर निर्माण में हो रही देरी के कारणों को स्पष्ट करने में असमर्थता जताई। उन्होंने वर्तमान में चल रहे राज्य विधानसभा सत्र का हवाला देते हुए विस्तृत शपथ पत्र दाखिल करने में असमर्थता व्यक्त की। इस पर कोर्ट ने कड़े शब्दों में नाराजगी जताई। इस मामले में 13 जून 2025 को कोर्ट ने सचिव को नोटिस जारी की थी। इसके बाद विभिन्न कारणों से दो बार सुनवाई टल गई। लेकिन 17 जुलाई को सचिव ने शपथ पत्र के माध्यम से फिर से सुनवाई टालने का अनुरोध किया और विधानसभा सत्र को कारण बताया। इस पर कोर्ट ने जमकर नाराजगी जताते हुए उपरोक्त आदेश जारी किया।
क्या सत्र के दौरान न्यायालय बंद कर दें? : मानसून सत्र का कारण बताए जाने पर कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा कि, “यदि सत्र के दौरान आप न्यायालय में जवाब प्रस्तुत नहीं कर सकते, तो क्या इस अवधि में न्यायालय बंद कर देना चाहिए? सत्र अधिकारियों की जिम्मेदारी निभाने में बाधा कैसे बन सकता है, यह समझ से परे है।’ 31 दिसंबर 2025 तक काम पूरा करने का आश्वासन अमरावती फ्लाई ओवर को मंजूरी मिलने के समय 2018 में इस परियोजना की अनुमानित लागत 60 करोड़ रुपये थी। जनवरी 2020 तक यह निर्माण पूरा होने की उम्मीद थी। लेकिन, सात वर्षों से यह काम चल रहा है। अब परियोजना की लागत बढ़कर 80 करोड़ रुपये हो गई है। इस 20 करोड़ रुपये की बढ़ी हुई राशि को क्या अधिकारियों के वेतन से वसूल करना चाहिए, ऐसा सवाल न्यायालय ने उठाया। इस पर सरकारी वकील ने 31 दिसंबर 2025 तक काम पूरा करने का कोर्ट में आश्वासन दिया। न्यायालय ने इस बात को रिकॉर्ड पर लेते हुए विभाग के मुख्य अभियंता को हर महीने कार्य प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
डॉ. सुनील देशमुख ने फैसले पर जताया संतोष : इस प्रकरण में जनहित याचिका दाखिल करने वाले पूर्व पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने न्यायालय के आदेशों पर संतोष जताया। उन्होंने कहा कि, अमरावती शहर के विकास के लिए पहले भी कटिबद्ध था और आगे भी रहूंगा। उन्होंने इस याचिका में प्रभावी पक्षकार की भूमिका निभाने वाले अधिवक्ता शाहू चिखले का विशेष आभार भी व्यक्त किया। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी 14 वर्षों तक लटके अमरावती एयरपोर्ट प्रकल्प को डॉ. देशमुख की विशेष जनहित याचिका के कारण ही गति मिली थी।
Created On :   18 July 2025 11:45 AM IST