चंद्रपुर जिले में प्रदूषण की स्थिति गंभीर

चंद्रपुर जिले में प्रदूषण की स्थिति गंभीर
विविध बीमारियों से ग्रस्त हो रहे नागरिक

डिजिटल डेस्क, चंद्रपुर। औद्योगिक जिले में प्रख्यात चंद्रपुर का प्रदूषण गंभीर स्थिति पर है। प्रदूषण को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी जिस विभाग पर वह महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (एमपीसीबी) कुंभकर्णी नींद में सोया है। बड़े पैमाने पर प्रदूषण फैलानेवाले उद्योगों पर कार्रवाई करना ही भूल गया है। फलस्वरूप उद्योगों से वायु, जल प्रदूषण बढ़ता जा रहा है और लोग विविध बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। 5 जून को पर्यावरण दिवस मनाया जाएगा और समय रहते एमपीसीबी ने कार्रवाई नहीं की तो पर्यावरण दिवस महज एक दिखावा बन जाएगा।

गौरतलब है कि, औद्योगिक चंद्रपुर जिले में बिजली केंद्र, कोयला खदाने, सीमेंट कंपनियाें के अलावा विविध उद्योग हैं। चंद्रपुर, घुग्घुस, वरोरा, राजुरा, गडचांदुर, बल्लारपुर जैसे स्थानों पर बड़े पैमाने पर उद्योग हं। जिले के चंद्रपुर घुग्घुस, ताडाली इस प्रदूषित एमआईडीसी के रासायनिक, सीमेंट ईंटे, स्टील, औष्णिक बिजली केंद्र, ऑइल कंपनी जैसे विविध उद्योगों से गंभीर वायु प्रदूषण हो रहा है। हवा व पानी की गुणवत्ता खराब हुई है। जिससे स्थानीय नागरिकों को श्वसन, त्वचा की बीमारी हो रही है। कुछ कामगारों को कैन्सर होने की बात सामने आयी है। यह बात गंभीर है, रोजगार का विचार करते समय स्वास्थ्य का प्रश्न भी उतना ही महत्वपूर्ण है। किंतु प्रदूषण नियत्रित करने की जिम्मेदारी जिस एमपीसीबी को दी है, वहां के अधिकारी विफल साबित होते नजर आ रहे हैं। ठोस व कड़ी कार्रवाई नहीं करने के चलते उद्योगों के हौसले बुलंद हो गए हैं। इस कारण प्रदूषण कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बताया जाता है कि, एमपीसीबी के अधिकारियों की सांठगांठ होने के कारण ही उद्योग-कंपनियों पर ठोस कार्रवाई नहीं होती। प्रदूषण को लेकर कई नागरिकों की शिकायतंे है, बावजूद अनदेखी की जा रही है। उपप्रादेशिक अधिकारी भी कभी कभार चंद्रपुर कार्यालय में आते है। जिससे पर्यावरण प्रेमियों में रोष व्यक्त किया जा रहा है। बता दे कि, चंद्रपुर रिजनल ऑफिस का कार्यक्षेत्र चंद्रपुर, यवतमाल व गडचिरोली ऐसे 3 जिलों मंे है।

चंद्रपुर में अधिकांश दिन अतिप्रदूषित : उल्लेखनीय है कि, पिछले कुछ वर्षो से चंद्रपुर के प्रदूषण में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। जिसमें औद्योगिक तथा शहरी प्रदूषण का समावेश है। चंद्रपुर के अधिकांश दिन अतिप्रदूषित ही रहते हंै। चंद्रपुर के सभी अस्पतालों में श्वसन रोग, त्वचा, आंख, एलर्जी तथा अन्य बीमारियों में बढ़ोत्तरी होेने की बात डॉक्टरों द्वारा कही जा रही है। बता दंे कि, 0 से 50 एक्यूआई स्वास्थ्य के लिए अच्छा, 51 से 100 श्वसन के लिए परेशानी, 101 से 200 दमा,श्वसन तथा हृदय के लिए खतरनाक, 201 से 300 सभी नागरिकाें के लिए खतरनाक साबित होता है। चंद्रपुर के अधिकांश दिन ज्यादातर प्रदूषण में ही गुजरते हैं।

जितना संभव उतनी कार्रवाई कर रहे हैैं

कार्यालय में मैन पॉवर की कमी है और 3 जिले की जिम्मेदारी है। जितना संभव है उतनी कार्रवाई कर ही रहे हैं। पिछले 13 वर्ष में पोल्यूशन का इंडेक्स चंद्रपुर का 91 था, कार्रवाई करने के चलते ही 76 पर आया है। प्रदूषण कम हुआ है, इसलिए प्रदूषण के मामले में चंद्रपुर 27 वें नंबर पर आया है।

- अतुल सातफले, एसआरओ, महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल, चंद्रपुर

मनसे ने अधिकारियों को भेंट की शंखपुष्पी

जिले में बढ़ते प्रदूषण का आलेख होने के बावजूद प्रदूषण नियंत्रण मंडल द्वारा कार्रवाई नहीं की जा रही है, ऐसा आरोप करते हुए महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के जिलाध्यक्ष राहुल बालमवार ने शुक्रवार को प्रदूषण नियंत्रण मंडल के एसआरओ अतुल सातफले को शंखपुष्पी भेट देकर स्मरणशक्ति बढ़ाने की सलाह दी। उन्हें याद दिलाया गया कि, प्रदूषण फैलानेवाले उद्योगों पर कार्रवाई करने की जिम्मेदारी आपकी है।

कार्रवाई न होने पर कार्यालय को ताला जड़ने की चेतावनी : बड़े पैमाने पर प्रदूषण होने के बावजूद एमपीसीबी द्वारा कार्रवाई नाममात्र होने की बात कहते हुए मनसे जिलाध्यक्ष बालमवार ने बताया कि, रोजगार का विचार करते समय स्वास्थ्य का प्रश्न भी उतना ही गंभीर है। एमपीसीबी के अधिकारी सातफले से मिलने के बाद उन्होंने बताया कि, वे कभी कभी बैंक गारंटी जब्त करने की कार्रवाई करते है। अन्य कार्रवाई के लिए उनके पास स्टॉफ नहीं है।

अगर स्टॉफ नहीं है तो यहां ऑफिस का क्या मतलब ऐसा सवाल उपस्थित करते हुए बालमवार ने चेतावनी दी कि, एक माह के भीतर ठोस उपाय योजना नहीं किए तो मनसे स्टाइल में आंदोलन कर कार्यालय को ताला जड़ देंगे।

Created On :   3 Jun 2023 1:08 PM GMT

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