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Chhindwara News: छिंदवाड़ा की माटी की खुशबू ब्रिटेन तक

- यहां से विघ्नहर्ता श्री गणेश की प्रतिमा लंदन ले जाकर स्थापित की
- करीब साढ़े पांच किलोग्राम वजनी प्रतिमा को वे लंदन ले गई।
- कार्टून में विशेष पैकिंग कर मूर्ति को ट्राली बैग के जरिए लंदन तक का सफर कराया।
Chhindwara News: एकता और स्वतंत्रता के प्रतीक के तौर पर वर्ष 1893 में लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजनिक गणेशोत्सव की शुरूआत की थी। मुख्य उद्देश्य ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ लोगों को एक मंच पर लाना था। वक्त का फेर देखिए, बुद्धि के देवता, विघ्नहर्ता श्री गणेश के जयकारे ब्रिटिश द्वीप में भी गूंज रहे हैं। इंग्लैंड की राजधानी लंदन में निवासरत भारतीय परिवार गणेशोत्सव का आयोजन कर रहे हैं।
खासबात यह कि वहां के गणेशोत्सव में इस बार छिंदवाड़ा की माटी की खुशबू भी घुल गई है। लंदन में रह रहे छिंदवाड़ा निवासी दंपती अंजू चौधरी पति पीयूष राणे इस बार अपने जिले से मूर्ति बनवाकर ले गई हैं। गणेश चतुर्थी पर बुधवार को बकायदा स्थापना के साथ उत्सव की शुरूआत भी हो गई है।
साढ़े 5 किलो की प्रतिमा ले गए लंदन
लंदन के नेशन वाइस बैंक में एडमिन के पद पर पदस्थ अंजू चौधरी ने बताया कि पहली बार वे भारत से प्रतिमा लंदन ले गई हैं। उन्होंने छिंदवाड़ा के मूर्तिकार से श्री गणेश की आकर्षक प्रतिमा बनवाई। करीब साढ़े पांच किलोग्राम वजनी प्रतिमा को वे लंदन ले गई। कार्टून में विशेष पैकिंग कर मूर्ति को ट्राली बैग के जरिए लंदन तक का सफर कराया। इस दौरान उन्हें गहन चैकिंग का भी सामना करना पड़ा।
साज-सज्जा की सामग्री और मिठाई भी यहां की
सिर्फ श्रीगणेश की मूर्ति ही नहीं बल्कि डेकोरेशन का सामान भी यहां से लंदन पहुंचा है। चंदनगांव निवासी अंजू चौधरी ने बताया कि वहां साज सज्जा के लिए यहां जैसी सामग्री नहीं मिल पाती, इसलिए यहींं से डेकोरेशन का सामान भी ले जाना पड़ा। अंजू के मुताबिक श्री गणेश को भोग लगाने वे 3 किलो काजू कतली भी ले गई हैं।
लंदन में एकजुटता से मनाते हैं गणेशोत्सव
अंजू चौधरी के मुताबिक लंदन में उनकी तरह ही 15 से ज्यादा भारतीय परिवार हैं जो गणेशोत्सव पर प्रतिमा की स्थापना करते हैं। 3 से 5 दिन के लिए प्रतिमा स्थापित की जाती है। अंजू ने 5 दिनों के लिए प्रतिमा स्थापित की है। उत्सव के दौरान सभी एक दूसरे के घर जाते हैं, पूजन के साथ ही भोजन प्रसादी का आयोजन होता है।
इन देशों में भी मनाई जाती है गणेश चतुर्थी
बुद्धि, समृद्धि और विघ्नहर्ता श्री गणेश की आराधना भारत के अलावा दक्षिण पूर्व एशिया के 6 देशों में की जाती है। गणेश चतुर्थी का पर्व भारत के अलावा नेपाल, इंडोनेशिया, थाईलैंड, जापान, कंबोडिया और मलेशिया में भी मनाया जाता है। यहां उत्सव के तौर तरीके अलग-अलग हैं।
206 देशों में निवासरत हैं भारतीय मूल के लोग
दुनिया भर में 206 देशों में भारतीय मूल के लोग निवासरत हैं। जिनकी कुल आबादी करीब पौने 4 करोड़ बताई जाती है। सबसे ज्यादा भारतीय अमेरिका में निवासरत हैं। इसके बाद संयुक्त अरब अमीरात, मलेशिया और कनाडा में भारतीयों की संख्या अधिक है। खासबात यह कि विदेशों में निवासरत भारतीय यहां के तीज-त्यौहार भी मनाते हैं।
Created On :   28 Aug 2025 1:37 PM IST