कलेक्टर की सख्ती का असर : 68 तक नहीं पहुँच पाई कीमत, परंतु अभी भी कई क्षेत्रों में वसूला जा रहा मनमाना मूल्य

कलेक्टर की सख्ती का असर : 68 तक नहीं पहुँच पाई कीमत, परंतु अभी भी कई क्षेत्रों में वसूला जा रहा मनमाना मूल्य
दूध माफिया पर कसी लगाम, 66 रु. पर ठहर गए दाम

डिजिटल डेस्क,जबलपुर।

दूध सबकी जरूरत है। खास तौर से बच्चों को इसकी सबसे ज्यादा जरूरत पड़ती है। हर उम्र का व्यक्ति दूध का इस्तेमाल चाय में करता है। दूध आम नागरिक के जीवन का हिस्सा बन चुका है। ऐसे में दूध की बढ़ती कीमतें कहीं न कहीं आम नागरिकों को प्रभावित करती हैं। दूध के दाम तय करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर प्रयास किए जाते हैं। पिछले दिनों 65 रुपए प्रति लीटर बिकने वाला दूध जब अचानक रातों-रात 68 रुपए लीटर कर दिया गया तो लोग हैरान रह गए। लोगों की भावनाओं को समझते हुए कलेक्टर सौरभ सुमन के द्वारा तत्काल प्रभाव से जिले के पशुपालक एवं दुग्ध उत्पादक किसान महासंघ की बैठक बुलाकर उनसे दूध के बढ़े हुए दाम वापस लिए जाने पर चर्चा की गई। सूत्रों के मुताबिक चर्चा का सार्थक नतीजा यह निकला कि दूध का दाम 68 की बजाय 66 पर सीमित कर दिया गया। मतलब प्रति लीटर पर आम नागरिकों की जेब 2 रुपए के अतिरिक्त भार से बचा ली गई। जानकारी के मुताबिक ऐसा कई बरसों के बाद देखा गया है जब प्रशासनिक स्तर पर फौरी तौर पर दूध के दामों पर अंकुश लगाने के प्रयास किए गए हों।

कहीं पर असर तो कहीं बेअसर

कलेक्टर सौरभ सुमन के ऐतराज के बाद दूध के दाम कम तो हुए हैं परंतु कहीं पर अभी भी 68 से 70 रुपए तक प्रति लीटर दाम वसूल किए जा रहे हैं। डीबी स्टार ने जब पड़ताल की तो पता चला कि शहर में अभी भी 65 से 70 रुपए लीटर दूध बेचा जा रहा है। शहर के सिविल लाइन एवं डिलाइट क्षेत्र में 66 रुपए, गोपाल होटल द्वारका नगर में 66 रुपए, काँचघर एवं राँझी में 68 से 70 रुपए, ओमती, राइट टाउन, नेपियर टाउन, अधारताल में 68 रुपए, सदर में 60, गढ़ा व फूटाताल में 68 रुपए प्रति लीटर दूध के दाम लिए जा रहे हैं।

प्रदेश के चार महानगरों में दूध के दाम

जबलपुर : 65 से 68 रु. प्रति लीटर

भोपाल : 65 से 70 रुपए प्रति लीटर

इंदौर : 70 रु. प्रति लीटर

ग्वालियर : 65 से 70 रुपए प्रति लीटर

उज्जैन : 58 रु. प्रति लीटर

बोर्ड पर 68, पूछा तो 66

काँचघर स्थित मिल्क शॉप के बोर्ड पर दूध के दाम 68 रुपए प्रति लीटर लिखे हुए थे। डीबी स्टार ने जब दूध के दाम पूछे तो 66 रुपए बताया गया। इनका कहना था कि बोर्ड में 68 रुपए ही लिखा है, जिसे मिटाना है। ऐसे में दूध की वास्तविक कीमत कितनी वसूल की जा रही है, यह पता लगाना बहुत टेढ़ी खीर है।

लीटर में नहीं, 10-20 रु. का लेते हैं दूध

शहर में बड़ी आबादी उन लोगों की भी है जो लीटर से नहीं 10-20 रुपए के दूध से काम चला लेते हैं। इन्हें तो पता ही नहीं चलता कि दूध के दाम कितने बढ़े और कितने घटाए गए हैं। बस इन्हें तो ये समझ में आता है कि उनकी पन्नी में दूध कम होता जा रहा है। कहीं-कहीं तो एक लीटर में भी 50 से 100 ग्राम दूध कम तौला जा रहा है।

कहीं पर लगी तख्ती, कहीं ऐसे ही चल रहा काम

एक बात और सामने आई है कहीं-कहीं पर दूध विक्रेताओं के द्वारा बाकायदा तख्ती पर रेट लिखकर दूध का विक्रय किया जा रहा है तो कहीं पर बिना तख्ती मुँह से बोलकर ही रेट बता दिया जाता है। गली-कूचों के अंदर तो सीधा दूध का कैन रखकर और कुर्सी लगाकर दूध बेचने का काम किया जा रहा है।

Created On :   16 Jun 2023 8:44 AM GMT

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