Jabalpur News: जिस मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर की, कलेक्टर की जांच में तहसीलदार और पटवारी निर्दोष

जिस मामले में ईओडब्ल्यू ने एफआईआर की, कलेक्टर की जांच में तहसीलदार और पटवारी निर्दोष
तहसीलदारों ने पत्रकारों के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए बताया कि ईओडब्ल्यू ने गलत मामला दर्ज किया

Jabalpur News । गोरखपुर तहसील के एक मामले ने प्रशासनिक हलके में हलचल मचा दी है। राजस्व विभाग की रीढ़ कहे जाने वाले तहसीलदार और पटवारी आंदोलन की राह पर हैं। हालाकि उन्हें कलेक्टर द्वारा कराई गई जांच में राहत मिली है लेकिन जब तक आगे की कार्रवाई रोकी नहीं जाती तब तक आगे की राह कठिन ही है। शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में पटवारियों ने प्रदर्शन िकया, जबकि तहसीलदारों ने पत्रकारों के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करते हुए बताया कि ईओडब्ल्यू ने गलत मामला दर्ज किया है।

आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ इकाई जबलपुर द्वारा भूपेन्द्र िसंह ग्रेवाल निवासी 1268 प्रेमनगर की 8 जुलाई 2024 को प्रस्तुत की गई शिकायत के आधार पर भरत कुमार सोनी तहसीलदार गोरखपुर तथा पटवारी शिखा तिवारी व अन्य के िखलाफ 24 अप्रैल 2025 को विभिन्न धाराओं के तहत अपराध पंजीबद्ध किया था। इस मामले में तहसीलदार और पटवारी ने 26 अप्रैल को कलेक्टर के समक्ष अभ्यावेदन प्रस्तुत किया जिस पर कलेक्टर दीपक सक्सेना ने उसी दिन एक जांच समिति का गठन िकया। जांच दल ने यह साबित िकया कि तहसीलदार और पटवारी ने जानबूझकर काेई भी गलती नहीं की, बल्कि मानवीय त्रुटि थी जिसमें खसरा और खाता नम्बर को एक ही मान लिया गया था। इसमें मृत्यु प्रमाण पत्र फर्जी होने की जैसे ही जानकारी तहसीलदार और पटवारी को लगी तत्काल ही नामांतरण भी निरस्त कर िदया गया। जांच रिपोर्ट में इस बात का भी उल्लेख है िक ईओडब्ल्यू के जांच अधिकारी ने इस महत्वपूर्ण तथ्य को नजरअंदाज किया िक राजस्व अभिलेख में भूमि से सम्बंधित खाता नम्बर 17 है और खसरा नम्बर 86-2 है। यह विश्वास करना कठिन है िक जांच अधिकारी को राजस्व अभिलेख के संदर्भ में खाता नम्बर और खसरा नम्बर की समझ नहीं होगी। प्रथम दृष्टया यह प्रतीत होता है िक जांच अधिकारी द्वारा भ्रमवश आवेदक द्वारा आवेदन में खसरा नम्बर उल्लेख करने की अति सामान्य त्रुटि को इस तरह प्रस्तुत किया गया कि मानो तहसीलदार और पटवारी ने मिलकर किसी दूसरे की जमीन का नामांतरण कर िदया है। जांच अधिकारी ने यह भी नजरअंदाज कर िदया िक इस फर्जीवाड़े को सबसे पहले पटवारी ने ही पकड़ा था और उसकी सूचना पर ही तहसीलदार ने नामांतरण आदेश निरस्त िकया था।

कलेक्टर ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखा-

इस मामले में कलेक्टर दीपक सक्सेना ने प्रमुख सचिव राजस्व विभाग को पत्र लिखकर तहसीलदार और पटवारी पर दर्ज िकए गए मामले को समाप्त करने की अपील की है। पत्र में उल्लेख किया गया है िक जांच रिपोर्ट में तहसीलदार और पटवारी पर दोष साबित नहीं होता है।

तहसीलदारों ने अपना पक्ष रखा-

तहसीलदार संघ ने शुक्रवार की शाम कलेक्ट्रेट में पत्रकारवार्ता आयोजित कर अपना पक्ष रखा। संघ अध्यक्ष शशांक दुबे ने बताया कि ईओडब्ल्यू ने मामले की गलत जांच की, जबकि ऐसे प्रकरण की जांच में राजस्व अधिकारियों की मदद ली जाती है। एफआईआर गलत है और इसे तत्काल निरस्त किया जाए। इस मामले में कलेक्टर को ज्ञापन भी सौंपा गया और बताया गया कि जब तक प्रकरण वापस नहीं लिया जाता वे काली पट्टी बांधकर कार्य करेंगे। इस मौके पर संघ के सचिव तहसीलदार विकासचंद्र जैन, उपाध्यक्ष नायब तहसीलदार रवींद्र पटेल, सृष्टि इनवाती, सहायक अधीक्षक राजेश मिश्रा, नायब तहसीलदार भरत सोनी, दिलीप हनवत, डाॅ. आदित्य जंघेला, रत्नेश छबरे, राकेश कौशिक, दीपक पटेल आदि मौजूद थे।

पटवारियों ने िकया प्रदर्शन-

पटवारी संघ ने भी पटवारी शिखा तिवारी के पक्ष में रैली निकाली और प्रदर्शन करते हुए कलेक्ट्रेट पहंुचे। यहां उन्होंने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और उसके बाद चर्चा भी की गई। इस मौके पर पटवारी संघ के जिला अध्यक्ष जागेन्द्र पीपरे और कार्यकारी अध्यक्ष मुक्ता चौकसे के साथ ही सभी पटवारी उपस्थित थे।

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Created On :   2 May 2025 10:43 PM IST

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