Jabalpur News: 21 दिनों में मिले सिकलसेल के 48 कैरियर, 14 नए मरीज

  • सिकलसेल एनीमिया स्क्रीनिंग एवं जागरूकता अभियान के अंतर्गत करीब साढ़े 6 हजार स्क्रीनिंग
  • विशेषज्ञों के अनुसार बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है।

Jabalpur News: जिले में सिकलसेल एनीमिया स्क्रीनिंग एवं जागरूकता अभियान के अंतर्गत बीते 21 दिनों में सिकलसेल के 48 कैरियर (वाहक) मिले हैं, वहीं 14 नए मरीज सामने आए हैं। 1 जुलाई से चल रहे अभियान में शहरी और ग्रामीण क्षेत्र को मिलाकर अब तक करीब साढ़े 6 हजार हितग्राहियों की स्क्रीनिंग की गई है। बता दें कि आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में सिकलसेल एनीमिया की व्यापकता को देखते हुए जबलपुर समेत प्रदेश के 33 जिलों में सिकलसेल एनीमिया स्क्रीनिंग एवं जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

100 दिनों तक चलने वाले इस अभियान के दौरान गर्भवती महिलाओं समेत 0 से 40 वर्ष तक के हितग्राहियों की स्क्रीनिंग की जाएगी और सिकलसेल रोगियों को चिन्हित कर उपचार दिया जाएगा। जबलपुर जिले को 100 दिवस में 40 हजार व्यक्तियों की स्क्रीनिंग करने का लक्ष्य मिला है। विशेषज्ञों के अनुसार बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है।

विवाह पूर्व स्क्रीनिंग जरूरी

नोडल अधिकारी डॉ. केके वर्मा ने बताया कि इस बीमारी में सबसे ज्यादा जरूरी है कि विवाह से पूर्व स्क्रीनिंग कर लें। इससे बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। यदि कैरियर का पता चल जाए, तो उनके माता-पिता को काउंसिल कर सकते हैं कि उसका विवाह किसी कैरियर या रोगी से न हो।

जिला अस्पताल, सिविल अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में स्क्रीनिंग और जांच की जा रही है।

यह भी जानें

सिकल सेल वाहक माता-पिता के बच्चे में सिकल सेल रोगी होने की संभावना 25% होती है।

बच्चों में बीमारी का पता लगभग 6 माह में लग जाता है। बच्चे बार-बार बीमार होने लगते है। इंफेक्शन, सीने में दर्द, जोड़ों में दर्द जैसी कई दिक्कतें होने लगती हैं।

क्या है काउंसलिंग कार्ड

सिकल सेल रोगी और वाहक की पहचान होने पर उन्हें जेनेटिक काउंसलिंग कार्ड दिया जाता है।

यह कार्ड शादी से पहले मिलान करने पर यह बताता है कि उनके बच्चों में रोग के होने की संभावना कितनी है। शादीशुदा सिकल सेल जोड़ा आने वाले बच्चे में रोग का भी पता लगा सकता है।

Created On :   22 July 2025 2:20 PM IST

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