Jabalpur News: पीक सीजन में कैंसलेशन न के बराबर, कंफर्म का सफर बहुत कठिन

पीक सीजन में कैंसलेशन न के बराबर, कंफर्म का सफर बहुत कठिन
  • दो माह पहले से टिकट बुक करने पर भी जरूरी नहीं कि कंफर्म हो जाए, गर्मी के दिनों में बढ़ती है लोगों की परेशानी
  • रेल अधिकारियों की मानें तो वेटिंग क्लियर होने की संभावना कंफर्म टिकट के कैंसलेशन पर निर्भर है।
  • रेल अधिकारियों की मानें तो वेटिंग क्लियर होने की संभावना कंफर्म टिकट के कैंसलेशन पर निर्भर है।

Jabalpur News: इस समय रेलवे टिकट कंफर्म कराना किसी टेढ़ी खीर से कम नहीं। रेलवे भी गर्मी के इन दिनाें को पीक सीजन मानता है और इस बात की कोई गारंटी नहीं देता कि टिकट पर मिले एक, दो और तीन की वेटिंग से बर्थ मिलेगा। रेलवे बर्थों का वितरण एक फाॅर्मूला के तहत किया जाता है यानी 30 प्रतिशत तो केवल तत्काल के लिए आरक्षित है, शेष 70 फीसदी कुछ विशेष कोटे हैं, पर प्रश्न यह है कि दो व तीन तक की वेटिंग क्लियर क्यों नहीं होती। रेलवे का उत्तर साफ है कि पीक सीजन में कैंसलेशन के चांस लगभग न के बराबर होते हैं। इसलिए महीने भर पहले मिली वेटिंग भी कई बार बर्थ का सुकून नहीं दिला पाती।

गाैरतलब है कि गर्मी के दिनों में अधिकांश लोग परिवार सहित किसी ठंडे क्षेत्र में जाना पसंद करते हैं। चूंकि परिवार सहित जाने की स्थिति में संख्या अधिक होने के कारण लोग फ्लाइट की बजाय ट्रेन का सफर ही मुनासिब समझते हैं। लोगों को यह भी मालूम है कि ऐन वक्त पर टिकट बुकिंग कराने पर कंफर्म मिलना तो दूर वेटिंग भी इतनी अधिक मिलती है कि दूर-दूर तक उसके कंफर्म होने के चांस नजर ही नहीं आते। ऐसे में लोग डेढ़ से दो माह पूर्व ही टिकट बुक कराते हैं।

जरूरी नहीं कि एक वेटिंग भी क्लियर हो जाए

आम लोगों को इस बात की धारणा है कि एक या दो माह पूर्व टिकट बुकिंग कराने से भले ही कितनी भी वेटिंग क्यों न मिले वह सफर की तारीख तक कंफर्म हो जाएगी, मगर रेलवे इस बात की कोई गारंटी नहीं देता कि काफी समय पूर्व कराने से वेटिंग टिकट कंफर्म हो सकती है। गर्मी के इन दिनों में तो कई बार एक वेटिंग तक क्लियर नहीं हो पाती। हालांकि रेलवे इसके लिए एक ऑप्शन जरूर रखता है कि सफर वाले दिन सुबह जब तत्काल की बुकिंग खुलती है ताे उसमें कंफर्म टिकट के अवसर जरूर बनते हैं।

कैंसलेशन पर निर्भर है कंफर्मेशन

रेल अधिकारियों की मानें तो वेटिंग क्लियर होने की संभावना कंफर्म टिकट के कैंसलेशन पर निर्भर है। अगर कोई कंफर्म टिकट कैंसल होती है तो कम वेटिंग वाले को उसका लाभ मिलता है। मगर गर्मी के दिनों में तो यह भी चांस मिलना मुश्किल होता है, क्योंकि पिछले कुछ सालों के आंकड़ों में गर्मी के दिनों में कैंसलेशन का प्रतिशत जीरो रहा है। वहीं सामान्य दिनों की बात करें तो 10-12 टिकट तो हर रोज कैंसल हो ही जाती हैं।

दिल्ली रूट की ट्रेनों में रिस्क ज्यादा

बताया जाता है कि गर्मी के पीक सीजन में दिल्ली रूट की ट्रेनों में सफर करने के लिए रिस्क ज्यादा है, क्योंकि इस रूट की ट्रेनें एकदम फुल होकर चलती हैं। दिल्ली रूट पर जाने वाली गोंडवाना, संपर्क क्रांति, महाकौशल व श्रीधाम में तो आखिरी दिन तक टिकट कैंसल होना मुश्किल होता है। ऐसे में कई बार लोगों को वेटिंग टिकट कैंसल कराकर अगली तारीख में सफर करने की नौबत आती है।

एक ट्रेन में 198 आरएसी पहले से ही निर्धारित हैं।

एक कोच में आरएसी बर्थ 9 तय की गई हैं।

तत्काल के लिए 30 फीसदी आरक्षित सीटें रहती हैं।

किसी भी ट्रेन में वेटिंग की स्थिति 80% तक हो सकती है।

गर्मी के दिनों में टिकट कैंसलेेशन के 0 परसेंट चांस होते हैं।

Created On :   9 May 2025 5:34 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story