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Jabalpur News: अनमोल आंखों को बड़े जख्म दे रही कार्बाइड गन

Jabalpur News: 23 वर्षीय युवक दोस्तों के साथ खेलते हुए ‘देसी पटाखा गन’ चला रहा था, जैसे ही गन ने फायर करना बंद किया, उसने जिज्ञासा में नाल में झांका, तभी तेज धमाका हुआ और उसकी आंख झुलस गई। परिजन उसे तुरंत अस्पताल लेकर गए, जहां उपचार दिया गया। जिले में इस तरह के हादसों के दो दर्जन से अधिक मामले सामने आए हैं, जिनमें कार्बाइड गन के इस्तेमाल के दौरान आंखें झुलस गईं। पीड़ित मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल समेत निजी अस्पतालों में उपचार के लिए पहुंचे हैं।
गंभीर मरीजों को भर्ती कर उपचार दिया जा रहा है। कुछ मामलों में आंखों की रोशनी को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो देखकर यह गन दीपावली का नया ट्रेंड बनी, लेकिन अब यह बच्चों और युवाओं की आंखों से रोशनी और परिवारों से खुशियां छीन रही है। इस गन से आंखों की कॉर्निया बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रही हैं। सस्ता मनोरंजन महंगा पड़ रहा है, जिससे छोटी आखों को बड़े जख्म मिल रहे हैं।
आंखों की रोशनी हमेशा के लिए जा सकती है
मेडिकल कॉलेज के डीन और नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. नवनीत सक्सेना ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में भी पीड़ित सामने आए हैं, जिन्हें उपचार दिया गया। इस गन के विस्फोट से आंख की काली पुतली और कॉर्निया बुरी तरह डैमेज होते हैं। मरीज हमेशा के लिए अंधेपन का शिकार हो सकता है। यह बेहद खतरनाक पटाखा है, इसका इस्तेमाल बंद होना चाहिए।
सस्ती गन से आकर्षित हुए युवा, फिर हुए घायल
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. पवन स्थापक ने बताया कि कार्बाइड गन से जख्मी हुए 11 मरीज उपचार लिए आए, इनमें शहर के अलावा दूसरे जिलों के भी मरीज थे। सभी पीड़ित युवा हैं। कम खर्च में उपलब्ध होने के चलते वे इस गन की ओर आकर्षित हुए और बाद में घायल हो गए। कार्बाइड आंखों में जाने से ब्लड सर्कुलेशन खत्म हो जाता है, घाव की हीलिंग नहीं हो पाती है। पुतली सफेद हो जाती है। सस्ती गन बनाने और चलाने की यह विधि सोशल मीडिया पर किसने प्रसारित की, इसकी जांच होनी चाहिए। यह कैमिकल आसानी से क्यों उपलब्ध है, यह भी बड़ा प्रश्न है।
जिला अस्पताल भी पहुंचे घायल
जिला अस्पताल के नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. तरुण अहरवाल ने बताया कि अस्पताल की ओपीडी में एक 15 वर्षीय बालक और एक 23 वर्षीय युवक गंभीर स्थिति में आए थे। दोनों ही कार्बाइड गन के इस्तेमाल के वक्त घायल हुए। दोनों का उपचार चल रहा है, हालांकि आंखों की रोशनी काे नुकसान नहीं हुआ है।
सस्ती देसी गन बनी खतरनाक ट्रेंड
बाजार में 100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह गन अब ‘खतरनाक ट्रेंड’ बन चुकी है। इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आने पर एसीटिलीन गैस बनाता है। यह गैस विस्फोट के साथ जलती है और कुछ ही सेकंड में आंखों, त्वचा और चेहरे को झुलसा देती है। यह गन कैमिकल रिएक्शन से विस्फोट करती है। जब गन नहीं चलती, तो उपयोगकर्ता उसकी नाल में झांकता है। तभी दबाव बढ़ता है और धमाका होता है।
Created On :   23 Oct 2025 7:09 PM IST