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Jabalpur News: शिक्षकों की लापरवाही के कारण 93 छात्र विद्यालय से बाहर निकलने हुए मजबूर

- शासकीय ज्ञानोदय विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्थाएं चौपट
- सीबीएसई पाठ्यक्रम से संचालित इस विद्यालय में ए-1 और ए-2 में पांच प्रतिशत बच्चे भी नहीं हैं।
- शैक्षणिक कार्य में लापरवाही बरतने वाले 26 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
Jabalpur News: मध्य प्रदेश शासन के अनुसूचित जाति विभाग द्वारा संभाग स्तर पर शारदा नगर रांझी में संचालित शासकीय ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय दुर्दशा का शिकार है। बता दें कि यह विशेष विद्यालय है जिसमें शैक्षणिक एवं आवास व्यवस्था के लिए केंद्र एवं राज्य शासन द्वारा प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का बजट आवंटित किया जाता है, परंतु हाल ही में जारी हुए सत्र 2024-25 के परीक्षा परिणाम पर नजर डालेंगे तो पाएंगे कि पूरे विद्यालय में शैक्षणिक व्यवस्था चौपट हो चुकी है।
सीबीएसई पाठ्यक्रम से संचालित इस विद्यालय में ए-1 और ए-2 में पांच प्रतिशत बच्चे भी नहीं हैं। जबकि सी-1, सी-2, डी तथा ई में 40 प्रतिशत से ज्यादा छात्र आए हैं, जिससे पता चलता है कि विद्यालय की शैक्षणिक स्थिति अत्यंत खराब है। खास बात यह है कि 60 प्रतिशत से कम अंक पाने वाले विद्यार्थियोें को स्कूल से निकाल दिया जाता है।
इसी नियम के तहत इस वर्ष कक्षा 6वीं से 12वीं तक के 93 विद्यार्थियों को बाहर का रास्ता दिखाया जा रहा है, जिसके कारण अभिभावकों में आक्रोश व्याप्त है। अभिभावकों एवं अनुसूचित जाति-जनजाति छात्र संघ ने शिक्षकों पर कार्रवाई की मांग की है।
ज्ञानोदय विद्यालय को प्राप्त है विशेष विद्यालय का दर्जा
अनुसूचित जाति विभाग द्वारा संचालित अनुसूचित जाति एवं अन्य वर्ग के बीपीएल कार्ड धारक छात्र-छात्राओं के लिए यह संभाग स्तर का विशेष आवासीय विद्यालय है। इस विद्यालय में करोड़ों का बजट आवंटित होता है। यहां छात्रों के लिए रहने, खाने एवं पढ़ने की उच्चस्तरीय गुणवत्ता सुनिश्चित करने के निर्देश हैं एवं प्रत्येक छात्र का प्रवेश कठिन प्रवेश परीक्षा के माध्यम से होता है।
प्रवेश उपरांत छात्रों को नि:शुल्क रहने, खाने एवं पढ़ने की व्यवस्था शासन द्वारा सुनिश्चित की जाती है। इस कारण इस विद्यालय में प्रदेश के विभिन्न जिलों से उत्कृष्ट छात्र प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण कर आते हैं। प्रतिवर्ष न्यूनतम 60% परीक्षा परिणाम लाना होता है। 60% परीक्षा परिणाम न आने पर छात्रों को विद्यालय से बाहर निकाल दिया जाता है। सवाल यह है कि शिक्षकों के द्वारा पढ़ाने में की गई घोर लापरवाही की सजा छात्र-छात्राओं को भुगतनी पड़ती है एवं इसका विपरीत परिणाम उनके भविष्य पर पड़ता है।
कक्षा नौवीं में 60% से कम प्राप्तांक से उत्तीर्ण वाले छात्रों को कहीं भी नहीं मिलता प्रवेश, हो जाते हैं शाला त्यागी
इस विद्यालय में विगत कई वर्षों से कक्षा नौवीं में प्रवेशित एवं 33% से लेकर 59.9% तक उत्तीर्ण छात्राओं को विद्यालय से बाहर करने के नियम हैं। इस नियम के कारण 60% से कम प्राप्तांक से उत्तीर्ण कक्षा 9वीं के छात्रों को अन्य विद्यालयों में कक्षा दसवीं से सीधे प्रवेश नहीं दिया जाता, जिससे हजारों छात्रों का भविष्य चौपट हो चुका है एवं वे शाला त्यागी होकर शिक्षा छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं।
अनुसूचित जाति-जनजाति छात्र संघ ने कमजोर परिणाम देने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की मांग की है। संगठन का कहना है कि विद्यालय में कभी भी पालक शिक्षक संघ की बैठक नहीं होती, छात्र की शैक्षणिक स्थिति से पालकों को अवगत नहीं कराया जाता।
शैक्षणिक कार्य में लापरवाही बरतने वाले 26 शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। मामले की जांच की जाएगी।
-आर के डहेरिया, प्रिंसिपल, शासकीय ज्ञानोदय आवासीय विद्यालय
Created On :   3 May 2025 5:51 PM IST