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मेडिकल यूनिवर्सिटी: डेढ़ दशक बाद भी सिर्फ 25 प्रतिशत बजट मिल सका और 89 फीसदी पोस्ट खाली

- सफर अब तक का: 15 वर्ष पहले आज के दिन ही हुई थी यूनिवर्सिटी बनाने की घोषणा
- 15 करोड़ के प्रोजेक्ट में शुरू के 4 वर्षों तक मिले बस 1-1 करोड़
- यूनिवर्सिटी की स्थापना में कुल 275 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से वर्तमान में 32 पद भरे हुए हैं, वहीं शेष 243 पद रिक्त हैं।
Jabalpur News: प्रदेश की पहली जिस मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी पर स्वास्थ्य की बड़ी जिम्मेदारी है वह खुद लाचार है.. बीमार है। दरअसल, डेढ़ दशक बाद भी विश्वविद्यालय को न तो बजट हासिल हाे सका है और न ही स्टाफ। यूनिवर्सिटी की स्थापना की घोषणा 14 जुलाई 2010 को तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने की थी, लेकिन यह वर्ष 2011 में अस्तित्व में आई। आज डेढ़ दशक बाद भी सीमित संसाधन तक नहीं जुट पाए हैं।
विवि के निर्माण की परियोजना की लागत करीब 15 करोड़ रुपए की थी। शुरुआती 4 वर्षों तक विवि के संचालन के लिए 1-1 करोड़ रुपये सरकार की ओर से दिए गए, लेकिन उसके बाद विवि को उसी के हाल पर छोड़ दिया गया। मुट्ठी भर अधिकारी जैसे-तैसे विवि को चलाते रहे। मेडिकल, डेंटल, आयुष के साथ नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों का भार आने के बाद विवि का कैलेंडर बार-बार पटरी से उतरता रहा, क्योंकि जिस मानव संसाधन की विवि को जरूरत थी वह कभी मिला ही नहीं।
विवि संचालन के लिए जरूरी प्रशासकीय अधिकारी, उपकुलसचिव, सहायक कुलसचिव जैसे ज्यादातर पद आज भी रिक्त हैं। समय-समय पर प्रबंधन द्वारा पदों को भरने के लिए पत्राचार भी किया गया, लेकिन आज भी कुल स्वीकृत पदों के मुकाबले 89 प्रतिशत पद खाली हैं।
शुरूआती फंडिंग के बाद फिर नहीं मिली कोई राशि, महत्वपूर्ण पद आज भी रिक्त
एमयू की स्थापना का उद्देश्य
मेडिकल यूनिवर्सिटी की स्थापना का उद्देश्य था कि क्षेत्रीय यूनिवर्सिटीज से चिकित्सा शिक्षा को पृथक कर पूरे प्रदेश में एक साथ एक पाठ्यक्रम स्थापित करना, ताकि चिकित्सा शिक्षा में गुणवत्ता में सुधार हो और परीक्षाएं एक साथ आयोजित हो सकें। विवि के स्थापना के समय यह प्रावधान किया गया था कि यूनिवर्सिटी स्वशासी संस्था के रूप में होगी। विवि द्वारा निर्धारित संबद्धता शुल्क, परीक्षा फीस समेत अन्य शुल्क आय के स्रोत होंगे।
ऐसी थी आयुर्विज्ञान विवि की परियोजना
परियोजना में विवि की स्थापना पर 14 करोड़ 90 लाख 72 हजार 620 रुपयों का अनुमानित व्यय आंका गया, जिसकी व्यवस्था राज्य शासन चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा की जानी थी।
इसमें निर्माण, वाहन, फर्नीचर और उपकरण पर 11 करोड़ 51 लाख 25 हजार रुपयों का अनावर्ती व्यय और वेतन व अन्य कार्यों पर 3 करोड़ 39 लाख 47 हजार 620 रुपयों का आवर्ती व्यय शामिल है।
वर्ष 2011-12 के लिए 1 करोड़ की राशि दिए जाने का प्रावधान किया गया, जिसमें प्रथम चरण में 249 पद सृजित किए गए। इस पर 2 करोड़ 84 लाख का व्यय आंका गया।
विवि की स्थापना के समय 35 पदों का सृजन हुआ और बाद में 240 पद और सृजित हुए, जिसके बाद कुल पदों की संख्या 275 हाे गई।
हाल फिलहाल के हालात
यूनिवर्सिटी की स्थापना में कुल 275 पद स्वीकृत हैं, जिसमें से वर्तमान में 32 पद भरे हुए हैं, वहीं शेष 243 पद रिक्त हैं।
18 पदनाम ऐसे हैं, जो स्थापना वर्ष 2011 के समय से ही रिक्त हैं, वहीं कुछ पद नाम वर्ष 2015, 2021 और 2022 से रिक्त हैं।
प्रशासकीय अधिकारी के 3 पदों में से 0, उपकुलसचिव के 7 पदों में 5, सहायक कुलसचिव के 19 पदों से सिर्फ 3 पद भरे हुए हैं।
छात्र कल्याण, वित्त अधिकारी, प्रशासकीय अधिकारी, कार्यपालन यंत्री, सहायक अभियंता सिविल, सहायक अभियंता विद्युत, निज सचिव, स्टाफ ऑफिसर, कम्प्यूटर प्रोग्रामर, सहायक प्रोग्रामर, अनुभाग अधिकारी, बायो मेडिकल इंजीनियर, लेखापाल, कैशियर, शीघ्रलेखक, भंडार लिपिक समेत अन्य पद पूरी तरह रिक्त हैं।
विवि द्वारा आउटसोर्स के माध्यम से क्लास-3 और क्लास-4 पदों पर 130 आउटसोर्स कर्मियों को रखा गया है, जिसके चलते आज विवि में विभिन्न कार्य हो रहे हैं, लेकिन क्लास-1 और क्लास-2 अधिकारियों की जरूरत है।
Created On :   14 July 2025 1:58 PM IST