- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- जबलपुर
- /
- 52 डिग्री के तपे पोल पर भले हम झुलस...
Jabalpur News: 52 डिग्री के तपे पोल पर भले हम झुलस जाएं, बिजली बहती रहे

- गर्मी के चलते कर्मियों को स्किन व अन्य शारीरिक समस्याएं हो रहीं, सावधानी में ही बचाव
- कर्मचारियों को विशेष हीट-प्रूफ यूनिफॉर्म, हेलमेट और दस्ताने दिए जाएं
- कर्मचारियों को बिजली से सुरक्षा के साधन मिल जाते हैं, लेकिन गर्मी से राहत देने वाले संसाधन नहीं हैं।
Jabalpur News: भीषण गर्मी में जहां आम लोग घरों के भीतर रहने को मजबूर हैं, वहीं बिजली कर्मचारी तपती धूप और करीब 52 डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्म बिजली के पाेल में मेंटेनेंस का काम करने के लिए मजबूर हैं। शरीर को झुलसा देने वाली गर्मी में खुले आसमान के नीचे बिजली तारों की मरम्मत और मेंटेनेंस का काम कर रहे हैं।
इन कर्मचारियों को बिजली से सुरक्षा के साधन मिल जाते हैं, लेकिन गर्मी से राहत देने वाले संसाधन नहीं हैं। गर्म पोल, तेज धूप में लगातार काम की वजह से इनकी त्वचा पर जलन, रैशेज और स्किन इन्फेक्शन जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। कई कर्मचारियों को अस्पताल तक जाना पड़ा है, लेकिन फिर भी वे बिना रुके अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं, ताकि शहर को अंधेरे में न रहना पड़े।
बिजली कर्मियों का दर्द
लाइन मेंटेनेंस का काम करने वाले कर्मचारी का कहना है कि हमें गर्मी से बचने के लिए उनके पास से कोई स्पेशल यूनिफॉर्म नहीं मिलता है। रोज स्किन पर जलन और थकावट जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं। कुछ साथी तो चक्कर खाकर गिर भी चुके हैं।
बरती जाए संवेदनशीलता
ऐसी कठिन परिस्थितियों में काम करने वाले कर्मचारियों को राहत देने के लिए बिजली कंपनी ने अब तक कोई कार्य योजना नहीं बनाई है। बिजली कंपनियों को इन कर्मचारियों की सुध लेनी चाहिए, ताकि इस भीषण गर्मी वाले मौसम में वे शहर की रोशनी बनाए रखने में जुटे रहें।
संपर्क में आने से त्वचा की दूसरी परत तक को हो सकता है नुकसान
पारा भले ही अभी 40 डिग्री सेल्सियस के आसपास चल रहा है लेकिन बिजली के तारों पर दौड़ रहे करंट और लोहे के खंभों का टेंपरेचर 52 डिग्री सेल्सियस और इससे ज्यादा होता है। ऐसे में बिजली कर्मी काम करते रहते हैं। कई बार ये करंट से भले ही न झुलसें लेकिन गर्म खंभों के संपर्क में आने से इनकी स्किन झुलस जाती है। स्किन से जुड़े विशेषज्ञ डाॅ. अमरेन्द्र पांडे का कहना है कि त्वचा की पहली परत या दूसरी परत को नुकसान होता है तो समय रहते वह ठीक हो जाती है, अगर कोई अधिक देर तक ज्यादा टेंपरेचर में रहता है ताे उससे बहुत परेशानी हो सकती है।
कर्मियों को मिलें सुविधाएं
उच्च तापमान में काम के घंटे सीमित किए जाएं।
कर्मचारियों को विशेष हीट-प्रूफ यूनिफॉर्म, हेलमेट और दस्ताने दिए जाएं।
कार्यस्थल पर पानी, ओआरएस और प्राथमिक चिकित्सा किट की अनिवार्य उपलब्धता हो।
नियमित मेडिकल जांच की व्यवस्था हो।
Created On :   16 Jun 2025 5:55 PM IST