Jabalpur News: सेहत को खतरे में डाल रहीं नाले के पानी की सब्जियां, कार्रवाई से बच रहे अधिकारी

सेहत को खतरे में डाल रहीं नाले के पानी की सब्जियां, कार्रवाई से बच रहे अधिकारी
  • कछपुरा व आसपास सब्जी के खेतों में धड़ल्ले से हो रहा गंदे पानी का उपयोग, लोगों ने कहा- इस पर तत्काल लगे अंकुश
  • नालों में सीवेज की गंदगी के साथ सबसे अधिक पानी डिटर्जेंट का ही होता है।
  • विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि गंदे नालों का पानी बेहद खतरनाक है।

Jabalpur News: कछपुरा व विजय नगर से लेकर कचनारी व आसपास के क्षेत्र में ओमती नाले के गंदे पानी से सब्जियां उगाई जा रही हैं। इधर गोहलपुर से लेकर बेलखाड़ू के बघौड़ा व आसपास के कुछ गांवों में मोती नाले के संक्रमित पानी का उपयोग सब्जियों की खेती में किया जा रहा है। विशेषज्ञ लगातार चेतावनी दे रहे हैं कि गंदे नालों का पानी बेहद खतरनाक है। इसमें घुलनशील विषैले तत्व लोगों की सेहत को खतरे में डाल रहे हैं।

इस तरह की खेती पर अंकुश लगाने की मांग भी उठ रही है, लेकिन जिन अधिकारियों पर कार्रवाई की जिम्मेदारी वे इससे बच रहे हैं। सभी विभाग एक दूसरे पर ठीकरा फोड़ रहे हैं। नागरिकों का कहना है कि इस पर कार्रवाई को लेकर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए और इस तरह की घातक खेती पर अंकुश लगना चाहिए। कांचघर की पहाड़ियों के पास से निकला ओमती नाला कभी ओमवती नदी के नाम से जाना जाता था।

धीरे-धीरे इसके दोनों तरफ आबादी बढ़ती चली गई और यह शहर के बीच में आ गया। अब केवल सेप्टिक टैंकों और बाथरूम से निकलने वाला पानी ही बहता है। यही हालात गोहलपुर क्षेत्र से गुजरे मोती नाले के हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन नालों का पानी बेहद खतरनाक और जहरीला हो सकता है।

कैंसर तक का खतरा

जानकारों का कहना है कि नालों में सीवेज की गंदगी के साथ सबसे अधिक पानी डिटर्जेंट का ही होता है। डिटर्जेंट में भी सोडियम कार्बोनेट मिला होता है इससे हाइपरटेंशन, पोटेशियम की कमी, गैस और सूजन, सिरदर्द और एलर्जी जैसे रोग होते हैं। वहीं डिटर्जेंट में झाग बनाने के लिए सोडियम लॉरेथ सल्फेट का उपयोग होता है जिससे त्वचा में जलन, मुंहासे, मुंह के छाले और कैंसर भी हो सकता है।

दाग हटाने वाला खुद बदनुमा दाग है

एक्सपर्ट्स का मानना है कि डिटर्जेंट में दाग हटाने के लिए एल्काइल बेंजीन सल्फोनेट का उपयोग बेहद किया जाता है। इससे कपड़ों के दाग तो हट जाते हैं लेकिन यह प्रकृति के लिए खुद एक बदनुमा दाग है, क्योंकि इससे पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान होता है। यह बायोडिग्रेबल नहीं है और हमेशा ही जमीन पर बना रहता है, जिससे पानी और मिट्टी को नुकसान होता है। पानी की गुणवत्ता में कमी आती है और मिट्टी अपनी उर्वरता खो देती है।

तो फिर कौन करे कार्रवाई

नालों के पानी से सब्जी उगाने पर प्रतिबंध व अंकुश के मामले में कौन कार्रवाई करेगा? इसको लेकर कोई भी विभाग जिम्मेदारी लेने तैयार नहीं नजर आया। प्रशासन के खाद्य सुरक्षा विभाग व खाद्य एवं आपूर्ति विभाग, नगर निगम स्वास्थ्य विभाग और उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने मामले से किनारा ही कर लिया, कोई भी कुछ कहने तैयार नहीं हुआ। वे कुछ भी कहने से बचते रहे। हालांकि बातचीत के दौरान कलेक्टर दीपक सक्सेना ने जनहित से जुड़े मामले में गंभीरता दिखाई।

जिन भी शहरी क्षेत्रों और गांवों में ओमती या अन्य नालों के गंदे पानी से खेतों में सिंचाई की जाती है वहां जल्द ही टीम को भेजकर कार्रवाई की जाएगी। किसानों को समझाइश देंगे कि वे बोरिंग आदि के पानी का उपयोग सिंचाई में करें और नालों के पानी से परहेज करें।

-दीपक सक्सेना, कलेक्टर

Created On :   14 Jun 2025 3:45 PM IST

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