Jabalpur News: मेहनत और समर्पण से बनाया खुद को अलग, स्वाद संघर्ष और सफलता की पहचान बनी अग्रोहा होटल

मेहनत और समर्पण से बनाया खुद को अलग, स्वाद संघर्ष और सफलता की पहचान बनी अग्रोहा होटल
  • प्रेरणादायी है जबलपुर के अग्रोहा होटल के संचालक अग्रवाल परिवार का सफर
  • जबलपुर शहर में खानपान और इवेंट मैनेजमेंट की दुनिया को एक नया रूप दिया।
  • स्वाद की यह कहानी, सफलता का नमकीन स्वाद बन गई।

Jabalpur News: जब किसी इंसान के जीवन में मेहनत, समर्पण और कुछ नया करने की लगन हो तो वह नाम ही नहीं, एक मिसाल बन जाता है। ऐसी ही एक प्रेरणादायक सफलता की कहानी है, विजय नगर स्थित अग्रोहा होटल के संचालक प्रदीप अग्रवाल की, जिन्हें आज पूरा महाकौशल क्षेत्र गुड्डा अग्रवाल के नाम से जानता है। उन्होंने जबलपुर शहर में खानपान और इवेंट मैनेजमेंट की दुनिया को एक नया रूप दिया।


यहां से शुरू हुआ संघर्ष का सफर

गुड्डा अग्रवाल का सफर शुरू होता है, उनके पिता स्वर्गीय सुदर्शन लाल अग्रवाल से, जो वर्ष 1944 में नरसिंहपुर से जबलपुर आए। उन्होंने सबसे पहले गल्ले का व्यापार शुरू किया और फिर दमोह नाका चौराहे पर होटल गोपाल की नींव रखी। यहीं से गुड्डा अग्रवाल की जिंदगी ने करवट ली। बीकॉम की पढ़ाई के बाद प्रदीप ने एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट में नौकरी शुरू की, लेकिन होटल व्यवसाय में रुचि ने उन्हें वापस अपने पारिवारिक व्यवसाय की ओर खींचा। नौकरी के साथ-साथ वे अपने पिता की मदद करने लगे और खाना बनाने की कला में भी निपुण हो गए।

सफलता की परिभाषा

गुड्डा अग्रवाल की कहानी हमें यह सिखाती है कि अगर इरादे मजबूत हों और मेहनत लगातार हो, तो कोई भी व्यक्ति सामान्य से असाधारण बन सकता है। आज उनका नाम सिर्फ जबलपुर ही नहीं, बल्कि पूरे महाकौशल में आदर और गर्व के साथ लिया जाता है। यह कहानी उन लाखों लोगों को प्रेरणा देती है, जो बड़े सपने देखते हैं और मेहनत से उन्हें सच करने की हिम्मत रखते हैं। स्वाद की यह कहानी, सफलता का नमकीन स्वाद बन गई।


पहला मोड़, जब कैटरिंग बनी जुनून

प्रदीप ने 1987 में कैटरिंग की दुनिया में कदम रखा। एक तरफ नौकरी और दूसरी तरफ आयोजन लेकिन गुड्डा नहीं रुके। उन्होंने 1992-93 में बड़े आयोजनों में अपनी कैटरिंग सेवाएं देनी शुरू कीं। उन्होंने खुद नए पकवान तैयार किए और दिन-रात मेहनत करके 20-20 घंटे तक काम किया। इस दौरान जबलपुर क्लब की कैंटीन, हितकारिणी कॉलेज हॉस्टल, जैसे कई प्रतिष्ठानों में उन्होंने सेवाएं दीं और हर जगह अपने स्वाद की छाप छोड़ी।

समय के साथ उनका नाम हर बड़े आयोजन से जुड़ने लगा। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से लेकर शिवराज सिंह चौहान तक सभी नेताओं ने उनके स्वाद की तारीफ की। इनके हाथ के दाल बाटी बाफले प्रसिद्ध हैं। हर आयोजन में उनका नाम जरूरी हो गया। लोग उन्हें प्रदीप अग्रवाल से ज्यादा गुड्डा के नाम से जानने लगे। उन्होंने देश के अलग-अलग हिस्सों से चुनकर प्रसिद्ध व्यंजन जबलपुर लाकर लोगों को परोसे।

पारिवारिक सहयोग बना ताकत

मुश्किल समय में उनकी पत्नी श्रीमती पुष्पा अग्रवाल ने उनका हर कदम पर साथ दिया। उन्होंने न केवल परिवार को संभाला, बल्कि प्रदीप के हर सपने में उनकी भागीदार बनीं। उनके बेटे कृष्णा अग्रवाल जिन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से इवेंट मैनेजमेंट और एलएलबी की पढ़ाई की है, आज व्यवसाय की बागडोर संभाल रहे हैं। वे आधुनिक इवेंट डेकोरेशन और थीम प्लानिंग में दक्ष हैं, और पारिवारिक व्यवसाय को नए युग की जरूरतों के अनुसार विकसित कर रहे हैं।

वर्तमान पद और पहचान

प्रदीप गुड्डा अग्रवाल वर्तमान में जबलपुर बारात घर संगठन के अध्यक्ष, मध्य प्रदेश टेंट एसोसिएशन के प्रदेश महासचिव, ऑल इंडिया टेंट एसोसिएशन के सचिव हैं। उनकी यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्ति की सफलता नहीं, बल्कि एक पूरे परिवार, एक विचार और एक जुनून की जीत है।

Created On :   13 May 2025 6:21 PM IST

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