Jabalpur News: मात्र 2.95 करोड़ रुपए में नीलाम कर दिया हेरिटेज ब्रिज

मात्र 2.95 करोड़ रुपए में नीलाम कर दिया हेरिटेज ब्रिज
  • एसईसीआर की जिद ने पुल को जर्जर बताया जबकि ग्रामीणों की जरूरत और पर्यटकों के लिए उपयुक्त था पुल
  • एसईसीआर द्वारा जारी किए गए बयान में इसका निर्माण 1905 में होना बताया जा रहा है।
  • पुल जर्जर अवस्था में पहुंच गया था, इसलिए इसे तोड़ा जा रहा है।

Jabalpur News: नागपुर खिरहनी-जमतरा के हेरिटेज ब्रिज को मात्र 2.95 करोड़ रुपए में नीलाम कर दिया गया। नैरोगेज की इस आखिरी निशानी को दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (एसईसीआर) की जिद ने जर्जर और स्क्रैप बताकर मिटा दिया। जबकि छोटी लाइन से ट्रेन बंद होने के बाद भी इस ब्रिज की उपयोगिता बनी रही है। इससे जहां दर्जनों गांव के लोगों का आवागमन हो रहा था, वहीं पर्यटकों के लिए भी यह उपयुक्त बन गया था।

इस पुल की खासियत यह रही है कि वर्षों पुराने इस स्ट्रक्चर की मजबूती में कोई कमी नहीं आई थी और न ही कहीं जंग लगा था। इतना ही नहीं यह ब्रिज कोलकाता के हावड़ा ब्रिज से भी पुराना था, जिसका डिजाइन पूरे प्रदेश में किसी भी अन्य ब्रिज के समान नहीं है। बेहतर इंजीनियरिंग की मिसाल इस ब्रिज को ब्रिटिश शासन काल के दौरान वर्ष 1927 में बनाए जाने का जिक्र पुल में है। पुल की ऊंचाई लगभग 21 फीट व चौड़ाई लगभग 12 फीट बताई गई है।

वहीं एसईसीआर द्वारा जारी किए गए बयान में इसका निर्माण 1905 में होना बताया जा रहा है। इसकी निर्माण तिथि को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है। नैरोगेज बंद होने के बाद जमतरा ब्रिज काे उसके हाल पर लावारिस छोड़ दिया गया। इसके बावजूद उसमें कहीं से खराबी नहीं आई थी। आसपास के ग्रामीणों का पैदल उससे आना-जाना शुरू हो गया था।

कोई रोक नहीं पाया ध्वस्त होने से

एसईसीआर द्वारा जमतरा पुल को 2021 में जर्जर व स्क्रैप घोषित कर दिया गया, तभी से इसे मिटाने की कवायद शुरू हो गई थी। उस दौरान शहर के जनप्रतिनिधियों ने इसे बचाने की बड़ी-बड़ी घोषणाएं कीं। मगर रेलवे बोर्ड और केंद्रीय स्तर पर किसी जनप्रतिनिधि द्वारा इसे बचाने का प्रयास नहीं किया गया।

इन गांवों की दिक्कतें बढ़ीं

जमतरा पुल गिरने के बाद खिरहनी सहित बढ़ैया खेड़ा, समद पिपरिया, मोहास, बहोरीपार, नारायणपुर, नीमटोला सहित आसपास के अन्य गांवों के लोगों के आवागमन की दिक्कतें बढ़ गई हैं।

रेलवे काे मुआवजे का डर सता रहा था

जमतरा ब्रिज को गिराने में एसईसीआर द्वारा इतनी जल्दबाजी दिखाने पर उसका मुआवजा देने का डर सामने आ रहा है। रेलवे के अधिकारी बार-बार एक ही राग अलाप रहे हैं कि यह ब्रिज जर्जर हो चुका था और खतरनाक भी, इससे आवागमन में दुर्घटनाओं की संभावना ज्यादा है। जानकारों का कहना है कि पुल से किसी प्रकार की घटना होने पर रेलवे को मुआवजा देना पड़ता, इसी डर से इसे नष्ट करा दिया गया।

नैरोगेज प्रणाली की मिसाल था

इस पुल को नैरोगेज प्रणाली की बेजोड़ मिसाल के रूप में देखा जा रहा था। जानकारों का कहना है कि जिस तरह दार्जिलिंग पर्वतीय रेलवे को 24 जुलाई 2008 में विश्व धरोहर घोषित किया गया। वहीं कालका शिमला रेलवे भी काफी लोकप्रिय है, उसी तरह जमतरा ब्रिज को भी हेरिटेज के रूप में विकसित कर संजोया जा सकता था।

ब्रिज का निर्माण 1905 में कराया गया था, यह ब्रिज अपनी टोटल आयु पूरी कर चुका है। वर्तमान में इसका रखरखाव रेलवे द्वारा नहीं किया जा रहा है। पुल जर्जर अवस्था में पहुंच गया था, इसलिए इसे तोड़ा जा रहा है। सभी काम रेलवे के नियमों से ही किया जा रहा है।

-दिलीप सिंह, सीनियर डीसीएम, एसईसीआर

Created On :   13 Jun 2025 4:15 PM IST

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