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Jabalpur News: धान चालान में भी दर्ज वाहन के नंबर पोर्टल के डाटा से मेल नहीं खा रहे

- अधिकांश मिलर्स के प्रकरणों में सामने आई यह गड़बड़ी
- जरूरी है चालान में वाहन और उठाव की जानकारी देना
- जानकारों की मानें तो धान चालान एक तरह की पावती या फिर इसे टीपी भी कह सकते हैं।
Jabalpur News: 43 करोड़ रुपए के धान घोटाले मामले में 16 मिलर्स के खिलाफ गड़बड़ी पाए जाने पर प्रशासन द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई है। जिसको लेकर इन मिलर्स में हड़कंप की स्थिति बनी हुई है। जिला प्रशासन की टीम ने इस प्रकरण जांच के दौरान परिवहन में प्रयुक्त किए गए वाहनों के नंबर और पोर्टल पर दर्ज नंबर के अलावा लोडिंग वजन में भी अनियमितता पाई है।
वहीं एक तथ्य यह भी सामने आया है कि वाहन चालक के पास परिवहन के दौरान जो धान चालान मिले हैं उनमें न तो राइस मिलर्स के नाम अंकित हैं और न ही वे वाहन पोर्टल पर दर्ज नंबर से मेल खा रहे हैं। जिसको लेकर यह स्पष्ट हो रहा है कि परिवहन में प्रयुक्त वाहनों में गड़बड़ी की गई है।
विगत दिनों जिला प्रशासन द्वारा 16 मिलर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के साथ ही 27 के विरुद्ध जांच के निर्देश दिए गए हैं। जांच दल द्वारा कुल 2,45,400 क्विंटल धान का प्रतिवेदन सौंपा गया था। जिसमें पाया गया है कि 58343 क्विंटल धान का परिवहन मान्य हुआ है। इसके अलावा 1,87,026 क्विंटल धान में हेराफेरी की गई है। जिनमें 16 मिलर्स ऐसे हैं जिन्होंने 1 करोड़ से ज्यादा की धान खपाई है, वहीं 27 मिलर्स ऐसे हैं जिन्होंने राइस मिलर्स को दी है। 16 राइस मिलर्स, 12 अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई गई है।
क्या होता है धान चालान
जानकारों की मानें तो धान चालान एक तरह की पावती या फिर इसे टीपी भी कह सकते हैं। यह धान उठाव के दौरान सोसायटी द्वारा काटी जाती है, जो वाहन चालक के पास होती है। जिस वक्त चालक सोसायटी में धान उठाव के लिए पहुंचता है तो उसे सोसायटी द्वारा धान के उठाव के साथ ही एक पर्ची दी जाती है जिसे धान चालान कहा जाता है। इस चालान में वाहन नंबर के साथ ही धान का वजन, उठाव की तारीख दर्ज होती है। इस चालान में चालक के हस्ताक्षर के साथ ही डिस्पेच करने वाले के भी हस्ताक्षर हाेते हैं।
धान चालान कहां है जरूरी| इस धान चालान के बिना परिवहन किया जाना संभव नहीं है। वाहन चालाक के पास यह चालान परिवहन के दौरान होता है और अगर कहीं कोई वाहन को रोकता है, तो इस चालान को दिखाकर वह बिना रोक-टोक के परिवहन कर सकता है।
बताया जाता है कि जिन मिलर्स के खिलाफ प्रकरण दर्ज कराया गया है उनमें से अधिकांश मिलर्स के मामले में यह बात सामने आ रही है कि धान चालान और पोर्टल पर दर्ज वाहनों के नंबर मेल नहीं खा रहे हैं।
ईओडब्ल्यू या सीबीआई से हो धान घोटाले की जांच| नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच ने धान घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू या सीबीआई से कराने की मांग की है। मंच के डाॅ. नाजपांडे ने बताया कि जिले में 43 करोड़ रुपए का धान घोटाला हुआ है। इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग को लेकर मार्गदर्शक मंच गुरुवार को राज्यसभा सदस्य विवेक तन्खा से मिलकर चर्चा करेगा।
Created On :   17 July 2025 7:05 PM IST