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Latur News: नदी के तेज बहाव में मां-बेटी की दर्दनाक मौत, छोड़ा जा रहा पानी - दो माह में छह लोगों की गई जान

- तिरू प्रकल्प से छोड़ा पानी बना मौत का कारण
- मां-बेटी की दर्दनाक मौत
- बिना पूर्वसूचना छोड़ा गया पानी बना हादसे का कारण
Latur News. बिना पूर्वसूचना छोड़ा गया पानी फिर दो जानों के लिए काल बनकर आया। ज़िले के जलकोट तहसील में सोमवार (3 नवंबर) की सुबह एक दर्दनाक हादसा हुआ। तिरू नदी में अचानक बढ़े पानी के प्रवाह में मां-बेटी बह गईं, जिससे दोनों की मौत हो गई। यह हादसा मर सांगवी गांव के पास सुबह लगभग 11 बजे के आसपास हुआ। जानकारी के अनुसार, मर सांगवी निवासी कौशल्या अजय वाघमारे (35) और उनकी बेटी रुक्मिणी अजय वाघमारे (14) पास के खेत में कपास तोड़ने जा रही थीं। खेत नदी के दूसरी ओर था। सुबह नदी का पानी कम था, इसलिए दोनों पैदल पार करने लगीं। इसी दौरान तिरू प्रकल्प से अचानक छोड़े गए पानी के कारण नदी का प्रवाह तेज़ हो गया और मां-बेटी उसमें बह गईं। ग्रामीणों ने दोनों को बचाने का प्रयास किया, लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी। इस हृदयविदारक घटना से पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई।
बिना पूर्वसूचना छोड़ा गया पानी बना हादसे का कारण
मर सांगवी गांव के ऊपरी हिस्से में स्थित तिरू प्रकल्प (बांध) इन दिनों पूरी तरह भरा हुआ है। प्रतिदिन इसके गेट खोलकर नदी में पानी छोड़ा जा रहा है। सोमवार को भी अचानक पानी छोड़े जाने से नदी का प्रवाह तेज़ हो गया और यही प्रवाह मां-बेटी के लिए जानलेवा साबित हुआ।
गांव के सरपंच रवि गोरखे और चेयरमैन उमाकांत इमडे ने बताया कि पानी छोड़े जाने की कोई पूर्वसूचना नहीं दी गई थी, जिसके कारण यह दुखद हादसा हुआ। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि ऐसे मामलों में पहले से चेतावनी जारी की जाए।
सालों से पुल की मांग, पर नहीं हुई कार्रवाई
- गांव तिरू नदी के किनारे बसा है। हर वर्ष बरसात के मौसम में यहां बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है। ग्रामीणों को खेतों तक पहुँचने के लिए नदी पार करनी पड़ती है, जिससे जान का जोखिम बना रहता है।
- ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से नदी पर पुल निर्माण की मांग की, परंतु आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
- स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर पुल बना होता, तो यह हादसा टल सकता था।
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दो महीनों में छह लोगों की मौत
जलकोट तहसील में पिछले दो महीनों में नदी के बढ़े प्रवाह में बहकर छह लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें —
- माल्हीपरगा के शान सूर्यवंशी और वैभव गायकवाड,
- तिरुका के सुदर्शन घोनशेट्टे,
- ढोरसांगवी के बालाजी पोतने,
- और अब मर सांगवी की कौशल्या वाघमारे तथा रुक्मिणी वाघमारे शामिल हैं।
इन सभी की मौतें कम ऊंचाई वाले या पुलविहीन मार्गों के कारण हुईं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तिरू नदी पर स्थायी पुल बनाने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
Created On :   3 Nov 2025 9:17 PM IST













