Latur News: शिक्षकों की निष्ठा और संस्कारों से ही आगे बढ़े हम - डाॅ. वर्षा कदम

शिक्षकों की निष्ठा और संस्कारों से ही आगे बढ़े हम - डाॅ. वर्षा कदम
  • 35 साल बाद स्वामी विवेकानंद स्कूल में सजी यादों की महफ़िल
  • साथियों की मुलाकात में गूंजी हंसी, भावनाएं और सुनहरी यादें

Latur News संजय बुच्चे . समय के साथ भले ही चेहरे बदल गए हों, लेकिन दिलों में बसी बचपन की यादें आज भी ताज़ा है। शिक्षकों की निष्ठा, अनुशासन और संस्कारों ने ही हमें जीवन में आगे बढ़ने की ताकत दी है। हम सभी उस पल को नहीं भूल सकते। उक्त उद्गार पूर्व छात्रा डाॅ. वर्षा कदम, स्वामी विवेकानंद विद्यालय में पूर्व छात्रों का स्नेह मिलन संमेलन के अवसर पर बोल रहीं थीं।

पूर्व छात्रों के स्नेह मिलन के जरिये पुरानी यादों को तरोताजा करने के लिए जिला लातूर तहसील चाकुर के स्वामी विवेकानंद विद्यालय जानवल में 1989-90 के 10 वीं कक्षा तक अपनी एक साथ शिक्षा लिए पूर्व छात्रों ने 35 साल बाद एक भव्य स्नेह मिलन समारोह आयोजित किया। आधुनिक डिजिटल युग में एक-दूसरे से संपर्क साधते हुए सभी साथियों ने दिवाली के शुभ अवसर पर प्राकृतिक सौंदर्य से घिरे “निसर्ग” परिसर में एकत्र होकर विद्यार्थी जीवन की सुनहरी यादों को पुनर्जीवित किया।

पुराने दिनों की यादों से सजा भावनाओं का मंच सुबह स्कूल के समय के अनुसार हिंदी के पूर्व अध्यापक तुकाराम हारगिले, भदाडे सर, साबदे सर की प्रमुख उपस्थिति में 28 अक्टूबर के दिन 10:00 बजे सभी पूर्व छात्र उपस्थित हुए ।कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रगीत से हुई। स्नेह मिलन के दौरान सभी पूर्व छात्र अपने विद्यालयीन जीवन के मजेदार किस्से, शरारतें, अध्यापकों की यादों को, तरोताजा करते हुए अपनी भावनात्मक क्षणों को याद करते हुए भावुक हो उठे। कई साथियों की आंखें पुराने पलों की याद में नम हो गईं, तो कहीं ठहाकों की गूंज सुनाई दी। हंसी, भावनाएं और स्नेह से भरा यह वातावरण मानो उस पुराने स्कूल परिसर को फिर से जीवंत कर गया।

हर क्षेत्र में आगे बढ़े स्वामी विवेकानंद विद्यालय के विद्यार्थी-- पूर्व अध्यापक हारगिले : इस 1989-90 बैच के अनेक विद्यार्थी आज समाज के विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय कामगिरी कर रहे है। मुझे गर्व है कि मैंने पढ़ाएं छात्र कोई चिकित्सा, अध्यापन, उद्योग, पत्रकारिता, शेती व वित्त क्षेत्र में, सफलतापूर्वक कार्यरत है। ऐसा पूर्व हिदी के अध्यापक तुकाराम हारगिले संबोधित कर रहे थे। इस समय दैनिक भास्कर के लातूर जिला प्रतिनिधी संजय बुच्चे कहा कि आज मैं अपने हिंदी के पूर्व गुरु तुकाराम हारगिले की शिक्षा से प्रेरणा लेकर मै देश के सर्वोच्च वर्तमानपत्र दैनिक भास्कर से जुड़ा हूं। अध्यापकों की मेहनत और सीख को मैं कभी नहीं भूल सकता। इनमें से कई छात्रों ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की।अरुण कानडे ने कहा कि उस समय संसाधन सीमित थे, लेकिन शिक्षकों की निष्ठा, अनुशासन और संस्कारों ने ही हमें जीवन में आगे बढ़ने की ताकत दी है। हम तो विभिन्न क्षेत्र में कार्यरत हैं और हमारे बच्चे भी आईआईटी क्षेत्र में अव्वल स्थान पर कार्यरत हैं। ऐसा पूर्व छात्रा अरुण कानडे ने कह रही थी।

संघर्षों से सफलता तक का सफर : सभी ने बताया कि शिक्षा के कार्यकाल में आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण बहुत से छात्र रोजाना 10-10 किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल जाते थे। इसी कार्यकाल से मिली शिक्षा से हमारे जीवन में सफलता पाई है। इससे हम अपने परिवार को उचित शिक्षा देने में हम सफल रहे हैं। ऐसा पूर्व छात्र सतिश साबदे कह रहे थे। --- सतीश साबदे

35 साल बाद संपन्न हुआ यह स्नेह मिलन केवल मुलाकात नहीं, बल्कि भावनाओं, प्रेरणाओं और एकता का उत्सव साबित हुआ है। इस कार्यक्रम के मौके पर सभी पूर्व छात्रों ने अपने स्कूल के अध्यापकों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की है। और भविष्य में ऐसे स्नेह मेला लेने का निर्णय भी लिया गया। सच कहा जाए तो, यह स्नेह मिलन केवल पुराने दोस्तों की बैठक नहीं थी, बल्कि यह उस पीढ़ी का आत्मीय संगम था जिसने संघर्षों के बीच शिक्षा, संस्कार और सफलता का उज्ज्वल उदाहरण पेश किया। ऐसा भदाडे सर इस स्नेह मिलन के कार्यक्रम के अवसर पर बोल रहे थे। ---भदाडे सर

इन पूर्व छात्रों की रही उपस्थित : डॉक्टर.वर्षा कदम, अध्यापिका अरुणा कानडे, अनुसया कलंग्रे, जयश्री हुमनाबादी, मनीषा पुजारी, मोरे सुनीता, तेलंगे मुद्रिका, बेबी सरोजा सुरोशे, गोविंद सोनकांबळे, प्रताप सिंग राजपूत, महारुद्र हुंडेकर, राजेंद्र कर्डिले, सतीश साबदे, महादेव तेलंगे, नागनाथ भुरे, आमजत शेख हमजा, दत्ता पांचाळ, चंद्रकांत पवार, संजय पांचाळ, गणेश कर्डिले, श्रीकृष्ण सुरवसे, चांदपाशा सय्यद, शेख इर्शाद, संभाजी चव्हाण, युवराज सोनकांबळे, सतीश कातळे, शिवरुद्र मिटकरी, राजासाहेब कांबळे, संजय बुच्चे, शंकर साखरे,गुरूनाथ कोते आदि छात्र उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत मे सभी पूर्वक छात्रवने भोजन का आनंद लिया। कार्यक्रम का संचालन अध्यापक ऋषिकेश कोलबुदे ने किया।


Created On :   29 Oct 2025 4:18 PM IST

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