मुंबई के 13 फीसदी सरकारी कर्मचारी हैं मोटापे के शिकार

मुंबई के 13 फीसदी सरकारी कर्मचारी हैं मोटापे के शिकार
  • तीन सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारियों की हुई थी जांच
  • 190 कर्मचारियों की जांच की गई
  • 51 फीसदी कर्मचारी मिले ओवरवेट

डिजिटल डेस्क, मुंबई, मोफीद खान। राज्य में मोटापा को लेकर सरकार की ओर से जनजागृति अभियान चलाया जा रहा है। इसी अभियान के तहत मुंबई के सरकारी कार्यालयों में कार्यरत कर्मचारी भी मोटापे से ग्रस्त पाए गए हैं। मुंबई के तीन सरकारी कार्यालयों में हाल ही में किए गए एक जांच अभियान में 13 फीसदी सरकारी कर्मचारी मोटापाग्रस्त पाए गए हैं। इन कर्मचारियों को मोटापे से बचने के लिए डॉक्टरों ने टिप्स भी दिए हैं और आगे की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में रेफर किया गया है।

प्रदेश के नागरिकों में बढ़ते मोटापे की समस्या को ध्यान में रखते हुए राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग ने ‘मोटापा: जागरूकता एवं उपचार' अभियान शुरू किया है। राज्य में 4 मार्च से शुरू हुए इस अभियान में सबसे पहले स्कूली छात्रों की जांच की गई थी। इसके बाद 19 जून से 26 जून के बीच यह अभियान राज्य में सरकारी दफ्तरों में कर्मचारियों और अधिकारियों के लिए चलाया गया। इस अभियान के तहत हर सरकारी अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों को अपने पास के तीन सरकारी कार्यालयों में कार्यरत अधिकारी व कर्मचारियों का वजन, ऊंचाई के आधार पर बॉडी मास्क इंडेक्स, डायबिटीज और ब्लड प्रेशर की जांच करने के आदेश दिए गए थे।

190 कर्मचारियों की जांच की गई

जे.जे. अस्पताल के मार्फत मझगांव के जीएसटी भवन, डोंगरी के बाल सुधार गृह और नागपाड़ा के अतिरिक्त पुलिस महासंचालक के कार्यालय में कार्यरत पुलिस कर्मचारियों की जांच की गई थी। इन तीन कार्यालयों में 190 कर्मचारियों की जांच की गई थी।

51 फीसदी कर्मचारी मिले ओवरवेट

जे.जे. अस्पताल के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने बताया कि इन 190 कर्मचारियों में से 51 फीसदी यानी 97 कर्मचारी तय मानक से अधिक वजन के यानी ओवरवेट पाए गए हैं। इसके अलावा 27 कर्मचारी उच्च रक्तदाब और 18 कर्मचारी डायबिटीज से पीड़ित पाए गए हैं। इसके साथ ही 50 कर्मचारी डायबिटीज के नजदीक पाए गए।

डॉ. पल्लवी सापले, डीन-जे.जे. अस्पताल के मुताबिक राज्य सरकार के चिकित्सकीय शिक्षा विभाग के निर्देश पर अस्पताल के करीब तीन सरकारी कार्यालयों में जांच की गई। इन कर्मचारियों को मोटापे से बचने के लिए टिप्स भी दिए गए हैं, जिसमें खाने से लेकर व्यायाम आदि शामिल है। इसके साथ ही अन्य बीमारियों के लिए इन्हें अस्पताल में रेफर किया गया है।

डॉ. शशांक शहा, लेप्रोस्कोपिक बेरिएट्रिक सर्जन-लीलावती अस्पताल के मुताबिक 90 फीसदी मोटापे से ग्रस्त मरीज डॉक्टर द्वारा सुझाए गए मोटापे के उपचार में देरी करते हैं। इसलिए वे कई जटिलताओं के साथ गंभीर बीमारियों का शिकार भी हो जाते हैं। मोटापे के बढ़ते मामलों के पीछे शारीरिक गतिविधियों की कमी, तनाव और बेतरतीब भोजन मुख्य कारण हैं।


Created On :   6 July 2023 5:36 PM IST

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