54 स्कूल अनधिकृत घोषित फिर चुपके से 23 को मान्यता

54 स्कूल अनधिकृत घोषित फिर चुपके से 23 को मान्यता
  • हाई कोर्ट के आदेश का भी उल्लंघन
  • पूरे नहीं किए गए मापदंड
  • राज्य सूचना आयोग की कड़ी टिप्पणी-कागजात नहीं होना अत्यंत खतरनाक

डिजिटल डेस्क, नागपुर। शिक्षा विभाग ने नागपुर जिले के 54 स्कूलों को अनधिकृत घोषित किया था। इस मामले में दायर जनहित याचिका पर हाई कोर्ट ने इन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए। शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करना तो दूर, इनमें से 23 स्कूलों को एक महीने में ही चोरी-छिपे मान्यता प्रदान कर दी। किस आधार पर इन स्कूलों को मान्यता दी गई, इस संबंध में शिक्षा विभाग से आरटीआई में कागजात मांगे गए, तो वह बगले झांकता रहा। कई दिनों तक आरटीआई एक्टिविस्ट को झूलाते रहे। जब राज्य सूचना आयोग का दबाव बढ़ा, तो शिक्षा विभाग ने लिखित जवाब में माना कि उसके बास इन स्कूलों के मान्यता देने या स्कूलों द्वारा त्रुटि पूर्ति करने के कोई दस्तावेज नहीं हंै।

उजागर हो सकते हैं बड़े घोटाले

इस मामले में राज्य सूचना आयोग ने शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि नागपुर शहर में कोई भी कागजात बिना स्कूलों को मान्यता देना अत्यंत खतरनाक है। आयोग ने इस मामले में 14 जून को सुनवाई रखते हुए कहा कि अगर संबंधित अधिकारी फाइल सहित सुनवाई में उपस्थित नहीं हुए, तो आयोग एकतरफा निर्णय पारित करेगा। इस मामले ने शिक्षा विभाग के फर्जीवाड़े की पोल खोलकर रख दी है। संदेह जताया जा रहा है कि शिक्षा विभाग ने नियमों को ताक पर रखकर ऐसे कई स्कूलों को मान्यता दी है। सही दिशा में इसकी जांच होने पर कई बड़े घोटाले उजागर होने का दावा किया जा रहा है।

शैक्षणिक सत्र शुरू होने वाला है। बच्चों को एडमिशन दिलाने के लिए पालक दौड़-भाग कर रहे हैं। संचालक भी सीबीएसई, स्टेट बोर्ड के फलक लगाकर दुकानों की तरह स्कूल खोले बैठे हैं। ऐसे में यह पहचान करना मुश्किल हो रहा है कि कौन से स्कूल मान्यता प्राप्त हैं और कौन से नहीं। इसी तरह के मामले को लेकर 2016 में नागपुर जिला परिषद के प्राथमिक शिक्षा विभाग से एक्शन एनजीओ के सचिन बिसेन ने आरटीआई में अधिकृत और अनधिकृत स्कूलों की सूची मांगी थी। आरटीआई में मिली जानकारी में नागपुर जिले में 54 स्कूल अनधिकृत होने का खुलासा हुआ था। 8 कारणों के आधार पर इन्हें अनधिकृत करने की जानकारी दी गई थी। इसे लेकर सचिन बिसेन ने हाई कोर्ट में 68-2017 क्रमांक की जनहित याचिका दायर की थी। याचिका पर हाई कोर्ट ने 2017 में सभी अनधिकृत स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई कर तुरंत इन्हें बंद करने के आदेश दिए थे।

तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने दिया था आदेश

हाई कोर्ट के आदेशानुसार इन पर कार्रवाई होनी चाहिए थी, लेकिन शिक्षा विभाग ने कार्रवाई न करते हुए एक महीने में 53 में से 23 स्कूलों को मान्यता प्रदान कर दी। इस बीच स्कूलों का समूह तत्कालीन शिक्षा मंत्री से मिला। शिक्षा मंत्री के आदेश पर इन स्कूलों को मान्यता प्रदान करने की जानकारी है। स्कूलों को मान्यता प्रदान करने के लिए जिन कागजों की आवश्यकता या जो मापदंड पूरे करने चाहिए थे, वे नहीं किए गए। इन मापदंडों को पूरे किए बिना ही स्कूलों को मान्यता दी गई। आरटीआई में कई महीने जानकारी नहीं मिली, तो मामला राज्य सूचना आयोग के पास पहुंचा।

आयोग के आदेश पर आखिरकार 2020 में शिक्षा विभाग ने बताया कि उसके पास इन स्कूलों को मान्यता देने के कोई दस्तावेज नहीं हैं। इस जवाब से राज्य सूचना आयोग भी हैरान रह गया। 3 मई 2023 को जारी अपने आदेश पर आयोग के आयुक्त राहुल पांडे ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि बिना दस्तावेज के स्कूल शुरू करना अत्यंत खतरनाक है।

Created On :   13 Jun 2023 1:43 PM GMT

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