खास रणनीति: दीवारों पर चुनाव प्रचार की तरफ लौटी है भाजपा - सालों परले ऐसा ही होता था

दीवारों पर चुनाव प्रचार की तरफ लौटी है भाजपा - सालों परले ऐसा ही होता था
  • सालों पहले चुनाव प्रचार के लिए होता था दीवार का इस्तेमाल
  • दीवारों पर छपे चित्र सोशल मीडिया से ज्यादा प्रभावी
  • चित्र उकेरने तैयार किया है स्टैंसिल

डिजिटल डेस्क, मुंबई, अमित कुमार। करीब 25 साल पहले चुनाव के दौरान दीवार विभिन्न दलों और उनके उम्मीदवारों के चुनाव प्रचार से रंगी रहती थी पर समय के साथ चुनाव प्रचार की यह पुरानी प्रथा लुप्त हो गई थी। डिजिटल युग में मिनटों में अत्याधुनिक प्रेस से चमचमाते होर्डिंग-पोस्टर तैयार हो जाते हैं। इसके बावजूद आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा ने एक बार फिर चुनाव प्रचार के लिए दीवार रंगने का फैसला लिया है। हालांकि इसके पीछे पार्टी की एक खास रणनीति है।

साल 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अभी से प्रचार शुरू कर दिया है। भाजपा ने पार्टी के चुनाव चिन्ह को घर-घर पहुंचाने के लिए इस बार अनूठा प्रयोग करने का फैसला लिया है। भाजपा की ओर से ग्रामीण और शहरी इलाकों में लोगों के घरों की दीवारों पर पार्टी के चुनाव निशान कमल का चित्र उकेरा जा रहा है। इस चित्र को लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार सहिंता लागू होने के बाद भी नहीं मिटाया जा सकेगा। भाजपा ने हर बूथ पर कम से कम पांच घरों की दीवार पर कमल निशान की पेंटिंग करने की योजना बनाई है। भाजपा के मंडल अध्यक्ष संबंधित घर मालिक से उनके घर की दीवार पर पार्टी के चुनाव चिन्ह "कमल' का चित्र उकरने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) ले रहे हैं।

प्रदेश भाजपा के एक पदाधिकारी ने ‘दैनिक भास्कर' से बातचीत में कहा कि लोकसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू होने के बाद नियमों के अनुसार सार्वजनिक स्थलों पर लगे पोस्टर और बैनर को हटा दिया जाता है। लेकिन यदि कोई निजी व्यक्ति अपने घर पर किसी दल का चुनाव निशान लगाता है तो उसको हटाया नहीं जा सकता है। इसके मद्देनजर पार्टी की ओर से लोगों के घरों के दीवारों पर पार्टी के चुनाव निशान को उकेरा जा रहा है। जिसे लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की तरफ से रंग रोगन कर हटा दिया जाएगा।

दीवारों पर छपे चित्र सोशल मीडिया से ज्यादा प्रभावी

पदाधिकारी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में लोगों के घर दूर-दूर होते हैं। इसलिए ग्रामीण अंचल में पार्टी अधिक से अधिक घरों की दावीरों पर पेंटिंग करने की योजना बनाई है। जबकि मुंबई, पुणे, नागपुर और नाशिक जैसे शहर में हाऊसिंग सोसायटी अधिक हैं। कई जगहों पर सोसायटियों की दीवार नगर निकाय के अधीन आती हैं। इसलिए शहरों में चाल और बड़ी झुग्गी झोपड़ियों की दीवारों को रंगने का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफार्म के बजाय पेंटिंग अथवा छपी हुई चीजों का प्रभाव लंबे समय तक रहता है।

चित्र उकेरने तैयार किया है स्टैंसिल

पदाधिकारी ने कहा कि डिजिटल कामकाज के दौर में दीवारों पर पेंटिग के लिए पेंटर अब बहुत कम मिलते हैं। इसके मद्देनजर पार्टी ने चुनाव निशान का चित्र उकेरने के लिए स्टैंसिल बनाया गया है। इस स्टैंसिल में स्प्रे कलर भरकर चित्र उकेरा जाता है।

एनओसी में क्या लिखते हैं घर मालिक

एनओसी में घर मालिक लिखित देते हैं कि वे भाजपा मंडल अध्यक्ष को अपने घर की दीवार पर मुफ्त में रंगने और उस पर पोस्टर लगाने की अनुमति दे रहे हैं। प्रचार कार्य पूरा होने के बाद उस दीवार को साफ करने की जिम्मेदारी संबंधित मंडल अध्यक्ष की होगी।

राज्य भर में 97 हजार बूथ

राज्य के मुख्य चुनाव अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र में 97 हजार 325 बूथ हैं। जिसमें से राज्य के ग्रामीण इलाकों में 62 हजार 66 बूथ हैं। जबकि शहरी हिस्सों में 35 हजार 259 बूथ है। लोकसभा चुनाव में मतदान के दिन मतदाता बूथ पर जाकर अपने मताधिकार का इस्तेमाल करते हैं।


Created On :   8 Feb 2024 4:20 PM GMT

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