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बॉम्बे हाई कोर्ट: निरक्षर विधवा महिला के खाते से 25 लाख बिना अनुमति निकाले जाने के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया जिम्मेदार

- अदालत ने 2 लाख मुआवजे और 25 हजार जुर्माना सहित पूरी रकम 9 फीसदी ब्याज के साथ लौटने का दिया निर्देश
- अदालत ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को किया रद्द
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक निरक्षर विधवा महिला के खाते से 25 लाख 28 हजार 515 रुपए बिना उसकी अनुमति निकले जाने के लिए सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को जिम्मेदार ठहराया और उसे पीड़िता को 2 लाख रुपए मुआवजे और 25 हजार रुपए जुर्माना सहित पूरी रकम 9 फीसदी प्रतिवर्ष की ब्याज के साथ लौटने का निर्देश दिया है। अदालत ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें बैंक की याचिका पर उसके पक्ष में फैसला सुनाया था।
न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की एकल पीठ ने बुनिया देवी चौहान की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि बैंक अधिकारी ने स्पष्ट प्रक्रियात्मक और नियामक खामियों के बावजूद ऐसी निकासी की अनुमति दी, जिसमें भारतीय बैंक संघ के दिशानिर्देशों और भारतीय रिजर्व बैंक के अपने ग्राहक को दी जानें वाले मानदंडों का उल्लंघन भी शामिल है। एक संयुक्त खाते में जहां एक धारक निरक्षर व्यक्ति है, चेक द्वारा संचालन की अनुमति नहीं है। इसके बावजूद बैंक ने आरोपी को कई तरीकों से राशि निकालने की अनुमति दी। इस तरह के कृत्य बैंक अधिकारी द्वारा नियामक मानदंडों की स्पष्ट लापरवाही और उल्लंघन हैं।
पीठ ने माना कि प्रथम दृष्टया राष्ट्रीय आयोग ने राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के आदेश को रद्द करने में गलती की है। राष्ट्रीय आयोग के प्रथम अपील पर 3 जनवरी 2022 और समीक्षा आवेदन पर 12 अप्रैल 2022 के आदेश को रद्द किया जाता है, क्योंकि यह तथ्यों पर विचार नहीं करता है। पीठ ने कहा कि राज्य आयोग के 14 सितंबर 2016 के आदेश में निर्धारित 6 फीसदी प्रति वर्ष के स्थान पर 9 फीसदी प्रतिवर्ष की दर से ब्याज दर के पूरी राशि का भुगतान याचिकाकर्ता को करने के संबंध में संशोधन के साथ बरकरार रखा जाता है।
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क्या है पूरा मामला
याचिकाकर्ता के पति की 10 जनवरी 2003 को चीन के तियानजिन बंदरगाह पर एक दुर्घटना में मौत हो गई। उसे अपने पति के मौत के लिए मुआवजे के रूप में 55,000 अमेरिकी डॉलर (25 लाख 28 हजार 515 रुपए) प्राप्त हुआ। वह अपने परिचित गुलाब चंद चौहान के साथ सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के वडाला शाखा गई। वह याचिकाकर्ता का अलग से खाता खोलने के बजाय बैंक अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके धोखाधड़ी से याचिकाकर्ता का नाम अपने पहले से खोले गए बचत खाते में जोड़ दिया। उसने महिला के 55 हजार अमेरिकी डॉलर को अपने संयुक्त बैंक खाते में जमा करवा दिया।
वह पैसे जमान कर अपने पैतृक गांव उत्तर प्रदेश के देवरिया गई, तो आरोपी गुलाब चौहान ने बैंक खाते से पूरे पैसे को निकाल लिया। जब वह मुंबई आयी और बैंक के पैसे निकालने गई, तो पता चला कि उसके खाते में पैसे ही नहीं है। उसने वडाला पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी की शिकायत की। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया। उसने राज्य आयोग में अपने पैसे के लिए याचिका दाखिल किया। याचिका में आरोपी के साथ बैंक को पार्टी बनाया और उसके बैंक खाते से पैसे निकाले जाने कि लिए बैंक के जिम्मेदार ठहरा
Created On :   16 Oct 2025 10:27 PM IST