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बॉम्बे हाई कोर्ट ने नवाब मलिक को मेडिकल आधार पर जमानत देने से किया इनकार
- मलिक को मेडिकल आधार पर जमानत नहीं
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने किया इनकार
- मलिक की नियमित जमानत पर 2 सप्ताह बाद से शुरू होगी सुनवाई
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाई कोर्ट ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी(एनसीपी) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक को मेडिकल आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया। अदालत ने मेरिटल के आधार पर मलिक की जमानत याचिका खारिज की है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मलिक को अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तारी किया था। उन्हें एनसीपी के शरद पवार गुटका नेता माना जा रह है।
न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई ने गुरुवार को फैसला सुनाते हुए कहा कि चिकित्सा आधार पर जमानत याचिका खारिज की जाती है।
जब अदालत ने फैसला सुनाया, तो उनके वकील अमित देसाई के साथ ही अदालत में उनकी बेटियां और अन्य रिश्तेदार मौजूद थे। जब मलिक के वकील अमित देसाई ने पूछा कि अदालत गुण-दोष के आधार पर जमानत याचिका पर कब सुनवाई करेगी, तो अदालत ने कहा कि वह दो हफ्ते बाद ऐसा करेगा. अब दो हफ्ते बाद मलिक की नियमित जमानत याचिका पर सुनवाई होगी।
मलिक को 23 फरवरी, 2022 को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था और उस पर दाऊद इब्राहिम से जुड़े एक भूमि सौदे से संबंधित आरोप हैं। मई 2022 में दायर आरोपपत्र पर विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा संज्ञान लेने के बाद मलिक ने नियमित जमानत के लिए आवेदन किया। पिछले साल 30 नवंबर को मुंबई की विशेष अदालत ने उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी, तो उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया।
मलिक की जमानत याचिका पर मुख्य रूप से चिकित्सा आधार पर जमानत देने के लिए बहस की गई।
मलिक की ओर से पेश वकील अमित देसाई, तारक सैय्यद, कुशल मोर और रोहन दक्षिणी ने दलील दी थी कि 64 वर्षीय व्यक्ति की शारीरिक स्थिति गंभीर है क्योंकि वह किडनी की विभिन्न बीमारियों से पीड़ित हैं। उनकी दाहिनी किडनी की खराब हो गई है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा उपचार के साथ-साथ मलिक को तनाव मुक्त वातावरण में रहना होगा और मुकदमे का सामना करने के लिए फिट होना होगा।
मलिक के वकील अमित देसाई ने विस्तार से बताया कि कैसे लंबी कैद के दौरान उनकी एक किडनी खराब हो गई थी। जबकि दूसरी भी खराब हो रही है। उस एक अस्पताल में सभी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए किसी अन्य चिकित्सा सुविधा का लाभ उठाने के लिए अदालत की अनुमति लेनी पड़ती है। क्या अदालत अंतरिम जमानत के उनके अनुरोध पर भी विचार कर सकती है, जिसमें वह कुछ महीनों के लिए घर पर रह सकते हैं और चिकित्सा उपचार प्राप्त कर सकते हैं।
ईडी ने इस दलील का पुरजोर विरोध किया। जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने अदालत से कहा कि हर किसी को तनाव है और यह जमानत मांगने का आधार नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि मलिक को पिछले साल से उनकी पसंद के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उन्हें चिकित्सा सहायता मिल रही है।
Created On :   13 July 2023 8:25 PM IST