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बॉम्बे हाई कोर्ट: व्यवसायिक भूमि के आवंटन को लेकर सिडको को लगा झटका, छेड़छाड़ के दोषी 60 वर्षीय शिक्षक को जमानत

- अदालत ने 12 भूखंडों के आवंटन में एक भूखंड की सबसे अधिक बोली लगाने वाली रियल स्टेट कंपनी को भूमि आवंटित करने का दिया निर्देश
- सिडको ने भूखंड के आवंटन का निकला था निविदा
- बॉम्बे हाई कोर्ट ने छात्रा से छेड़छाड़ के दोषी 60 वर्षीय शिक्षक को दी जमानत
- विशेष पॉक्सो अदालत ने शिक्षक को सुनाई है पांच साल की कारावास की सजा
Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट से व्यवसायिक भूमि के आवंटन को लेकर महाराष्ट्र नगर एवं औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडको) को झटका लगा है। अदालत ने 12 भूखंडों के आवंटन में से एक भूखंड को सबसे अधिक बोली लगाने वाली कंपनी नीलकंठ इंफ्राटेक को भूमि आवंटित करने का निर्देश दिया है। अदालत ने कहा कि सिडको राज्य का एक निकाय होने के नाते निष्पक्ष रूप से कार्य करना चाहिए। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप बनाम मार्ने की पीठ ने कंपनी नीलकंठ इंफ्राटेक की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि हम पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि सिडको ने भूखंड संख्या 26 और 27 के आवंटन के संबंध में निर्णय लेते समय मनमाने ढंग से और भेदभावपूर्ण तरीके से कार्य किया है। उन्होंने भूखंड संख्या 26 के आवंटी के संबंध में याचिकाकर्ता के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया है। पीठ ने कहा कि सिडको द्वारा याचिकाकर्ता के साथ वैसा व्यवहार नहीं किया, जैसा भूखंड संख्या 26 (जूही हैबिटेट) के आवंटियों के साथ किया गया है। यह भेदभावपूर्ण है। जूही हैबिटैट को भूखंड संख्या 26 आवंटित करने का निर्णय 23 मार्च 2022 को लिया गया था, यानी उसी दिन जिस दिन याचिकाकर्ता का आवेदन अस्वीकार कर दिया गया था और 24 दिसंबर 2021 का प्रस्ताव पत्र वापस ले लिया गया था। याचिकाकर्ता नीलकंठ इन्फ्राटेक नवी मुंबई में रियल एस्टेट के व्यवसाय करने वाली एक साझेदारी फर्म है। सिडको नवी मुंबई में अन्य भूमियों का स्वामित्व रखता है और उन्हें पट्टे पर आवंटित करता है। सिडको ने 9 सितंबर 2021 को विभिन्न सेक्टरों और नवी मुंबई नोड्स में व्यावसायिक 12 भूखंडों के आवंटन के लिए निविदाएं प्रकाशित कीं। याचिकाकर्ता ने नवी मुंबई नोड घनसोली स्थित सेक्टर 9 में भूखंड संख्या 27 (3212.92 वर्ग मीटर क्षेत्रफल वाले भूखंड) के विज्ञापन 9 सितंबर 2021 की निविदा सूचना के आधार पर भूखंड का आवेदन किया था। इस भूखंड के लिए सिडको को 9 बोलियां प्राप्त हुईं और याचिकाकर्ता 1 लाख 42 हजार 578 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर से सबसे अधिक बोली लगाई गई। जबकि सिडको ने भूखंड संख्या 27 के आसपास भूखंड संख्या 24 का भी विज्ञापन दिया था, जिसके लिए याचिकाकर्ता ने 2 लाख 12 हजार 589 रुपए प्रति वर्ग मीटर की सबसे ऊंची बोली लगाई थी। सिडको ने भूखंड संख्या 26 का भी विज्ञापन दिया था, जिसके लिए उच्चतम बोली मेसर्स जूही हैबिटेट ने 1 लाख 72 हजार 245 रुपए प्रति वर्ग मीटर लगाई थी। सिडको ने घनसोली नोड के सभी संबंधित उच्चतम बोलीदाताओं से भूखंड संख्या 24 के लिए उद्धृत 2 लाख 12 हजार 589 रुपए की कीमत के बराबर सभी भूखंडों की बोली लगाने का आह्वान किया। इसके बाद सिडको के 24 दिसंबर 2021 के पत्र से व्यथित होकर याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने फैसला सुनाया है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने छात्रा से छेड़छाड़ के दोषी 60 वर्षीय शिक्षक को दी जमानत
उधर बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक नाबालिग छात्रा से छेड़छाड़ के दोषी 60 वर्षीय शिक्षक को जमानत दे दी। विशेष पॉक्सो अदालत ने उसे दोषी ठहराते हुए पांच साल की कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने माना कि पीड़िता के गोलमोल जवाब और उसके बयान में विसंगतियों से पता चलता है कि कथित घटना सच नहीं हो सकती है। न्यायमूर्ति सारंग कोतवाल की एकल पीठ ने शिक्षक की जमानत याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि पीड़िता का अपनी मां को बताने के बाद 16 मार्च 2017 को फिर से ट्यूशन क्लास में जाना शिक्षक के दुराचार करने की बात पर यकीन करना मुश्किल लगता है। उसे याद नहीं कि 17 मार्च को वह ट्यूशन क्लास में गई थी या नहीं। ये सभी गोलमोल जवाब हैं। यह घटना सच नहीं हो सकती है। इन सभी सवालों का फैसला अपील की अंतिम सुनवाई के दौरान किया जाएगा। शिक्षक की उम्र, सबूतों का अभाव और अपील के निपटारे में देरी की संभावना को देखते हुए उसे 25 हजार रुपए के निजी मुचलके पर जमानत दे दी। पीड़िता की मां पुलिस कांस्टेबल है। उसने अपने बेटी को बताया था कि निचली अदालत में सवालों का जवाब कैसे देना है? कथित घटना 15 मार्च 2017 को हुई थी। पीड़िता अपने बड़े भाई के साथ शिक्षक के पास ट्यूशन क्लास जाती थी। पीड़िता की मां ने शिक्षक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। उसने दावा किया था कि शिक्षक ने पीड़िता को अपने कमरे में बुलाया, किताब पढ़ने को कहा और उसके शरीर पर अनुचित तरीके से छुआ। पीड़िता डर गई और बगल के कमरे में चली गई, जहां शिक्षक की पत्नी भी कक्षा ले रही थी। अदालत ने पाया कि पीड़िता ने कथित घटना के एक दिन बाद अपनी मां को शिक्षक के कथित छेड़छाड़ के विषय में बतायी थी। सुनवाई के दौरान शिक्षक के वकील सत्यव्रत जोशी ने दलील दी कि कक्षा में न आने पर डांटे जाने के बाद पीड़िता द्वारा शिक्षक को झूठे मामले में फंसाया। कथित घटना के दौरान शिक्षक की पत्नी घर में मौजूद थी, जिससे किसी भी अपराध की संभावना असंभव हो जाती है। मुंबई की विशेष पॉक्सो अदालत ने शिक्षक को यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम की धारा 10 और भारतीय दंड संहिता की धारा 354 और 354 A के तहत दोषी ठहराया और पांच साल के कारावास की सजा सुनाई है। उसे 9 जनवरी 2025 को हिरासत में लिया गया था और इससे पहले उसने 2017 में कुछ समय जेल में बिताया था।
Created On :   3 Aug 2025 9:40 PM IST