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जिंदगी के अंधेरों में जलती मशाल थे देवीप्रसाद बंसल, 100वीं जयंती पर किया गया सम्मान से याद
- पीढ़ी-दर-पीढ़ी उद्योग जगत बंसल परिवार
- जलती मशाल थे देवीप्रसाद बंसल
- 100वीं जयंती पर किया गया याद
डिजिटल डेस्क, मुंबई। ग्वालियर का बंसल परिवार पीढ़ी-दर-पीढ़ी उद्योग जगत में अपने योगदान और समाज सेवा के लिए जाना जाता है। मोतीलाल मिल लगाने वाले, कई संस्थाओं और मध्य प्रदेश के चेंबर ऑफ कॉमर्स, सनातन धर्म मंदिर सहित अनेक धार्मिक संस्थाओं के संस्थापक बंशीधर बंसल का नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है। वह ग्वालियर के पहले मेयर रहे थे। उनके सुपुत्र देवीप्रसाद बंसल ने उनकी विरासत को आगे बढ़ाते हुए 23 फैक्ट्रियां लगाई थीं। उन्होंने मुरैना में दो सिनेमाघर, तेल मिल, कई आइस फैक्ट्री, वूल और प्लास्टिक और रबर इंडस्ट्री के कारखाने लगाए। बुधवार को 100वीं जयंती पर उन्हें सम्मान सहित याद किया गया।
रोजगार सृजन करने और लोगों की मदद करने में देवीप्रसाद बंसल का दूर-दूर तक नाम था। कहीं कोई भी आयोजन हो, सबसे अधिक चंदे के योगदान के लिए लोग आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। अपने नजदीकी रिश्तेदारों के लिए उन्होंने कई उद्योग लगाए। उनके मामा के लड़के डॉ. रमेश नारायण अग्रवाल सीबीआई के डायरेक्टर रहे।
पत्नी का मिला पूरा सहयोग
इन सभी सफलताओं को प्राप्त करने में उनकी पत्नी कमला देवी का भरपूर सहयोग उन्हें मिला। उनका विवाह 1940 में सिंधिया एस्टेट के खजांची फर्म भिखारी दास नारायणदास की पौत्री लालाराम दास काशीनाथ की पुत्री कमला देवी से संपन्न हुआ था। लालाराम दास वैश्य को तिजारुल मुल्क वफादारी दौलते सिंधिया सम्मान मिला था। उन्हें महारानी विक्टोरिया ने लंदन में सम्मानित करने के लिए बुलाया था। ग्वालियर के वे पहले व्यक्ति थे, जो विदेश गए । सिंधिया परिवार की पुस्तक शिंदेशाही में इनके परिवार का जिक्र मिलता है। कमला देवी संगीत की विशारद और अनेक कलाओं की जानकार थीं। उनका धार्मिक व्यक्तित्व था।
दामाद सा सम्मान देते थे श्रीमंत बाजीराव
देवी प्रसाद जी के संबंध में परिवार के लोग कहते थे कि जो कार्य किसी से न हो रहा हो, उसे वह आसानी से कर लेते थे। उन्होंने दुर्दांत दस्यु सम्राट अमृतलाल से आमना-सामना होने पर चतुर-बुद्धि से उसे चकमा दिया था। महाराजा श्रीमंत बाजीराव उन्हें अपने दामाद की तरह सम्मान दिया करते थे।
परिवार पर भी देते थे पूरा ध्यान
देवी प्रसाद जी के जन्मदिन पर उनकी सुपुत्री राधिका रानी गुप्ता ने बताया कि कारोबार के अलावा वह परिवार पर भी भरपूर ध्यान देते थे। बच्चों की शिक्षा और परवरिश का उन्होंने पूरा ख्याल रखा। राधिका रानी गुप्ता ने सिंधिया कन्या विद्यालय से हायर सेकेंडरी करने के उपरांत हिंदी साहित्य में एमए किया और फिर हरिवंश राय बच्चन पर पीएचडी की। परिवार की परंपरा के अनुसार वह समाज सेवा करती हैं और गोपाल देशमुख मार्ग रेजीडेंड एसोसियेशन की अध्यक्ष हैं। उन्होंने अपने पिता को 100 वीं जयंती पर इस तरह याद किया-
जिंदगी के अंधेरों में एक जलती मशाल थे,
मुसीबतों से बचाने के लिए परिवार की ढाल थे।
कहां जी पाए थे अपनी जिंदगी
अपने हिसाब से पिता हमारे
आम शख्स नहीं त्याग की मिसाल थे।
Created On :   12 July 2023 9:15 PM IST