वाईसीएम अस्पताल की 127 नर्सों को स्थाई करने पर 2 सप्ताह में फैसला करे सरकार

वाईसीएम अस्पताल की 127 नर्सों को स्थाई करने पर 2 सप्ताह में फैसला करे सरकार
  • पिंपरी-चिंचवड मनपा ने नर्सों के पक्ष में पारित किया है प्रस्ताव
  • तीन साल से धूल फांक रही फाइल, सरकार नहीं कर पाई निर्णय

डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुणे के यशवंतराव चव्हाण मेमोरियल (वाईसीएम) अस्पताल में कार्यरत 127 अस्थाई नर्सों के मामले में देरी के लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई है। नर्सों को स्थाई करने का निर्णय लेने के लिए अदालत ने सरकार को दो सप्ताह का समय दिया है। पिंपरी-चिंचवड मनपा ने नर्सों को स्थाई करने का प्रस्ताव पारित कर सरकार के पास भेजा है। यह फाइल तीन साल से धूल फांक रही है। इस मामले में अगली सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश नितिन मधुकर जामदार और न्यायमूर्ति संदीप वी. मर्ने की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार को राष्ट्रीय श्रमिक संघ के अध्यक्ष यशवंत अनंतराव भोसले की ओर से वकील वैशाली जगदाले ने पैरवी की। अदालत को बताया गया कि महामारी के दौरान अस्थाई नर्सों ने जान की परवाह नहीं करते हुए ड्यूटी की। कोरोना से 3 नर्सों की मौत भी हो गई। 21 हजार रुपए प्रति माह के मानधन पर काम करने वाली इन नर्सों को स्थाई करने के बजाय सरकार ने वाईसीएम अस्पताल में नर्सों की नई भर्ती का विज्ञापन जारी किया था, जिस पर अदालत ने रोक लगा दी है।

फैसला क्यों नहीं

खंडपीठ ने सरकारी वकील से पूछा कि 3 साल से नर्सों को स्थाई करने का प्रस्ताव विचाराधीन है। आखिर इस पर कोई निर्णय क्यों नहीं लिया गया। सरकारी वकील ने बताया कि याचिकाकर्ता से सभी 127 नर्सों की जानकारी मांगी गई है।

Created On :   6 Jun 2023 7:15 PM GMT

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