गौरैया के लिए गुलजार होगा आईएनएस हमला, घोसलों के साथ लगाए जाएंगे 14 हजार पेड़

गौरैया के लिए गुलजार होगा आईएनएस हमला, घोसलों के साथ लगाए जाएंगे 14 हजार पेड़
  • घोसले और खाने की व्यवस्था के बाद लाकर छोड़ी जाएंगी गौरैया
  • 20 मार्च को गौरैया दिवस से होगी शुरुआत
  • खाने पीने की व्यवस्था के बाद लाई जाएंगी गौरैया

डिजिटल डेस्क, मुंबई. मायानगरी मुंबई में गौरैया को बचाने और उनके संवर्धन के लिए मुहिम शुरू की जा रही है। इसके लिए मालाड पश्चिम स्थित आईएनएस हमला पर छह एकड़ में 14 हजार से ज्यादा ऐसे पेड़ लगाए जाएंगे। खासकर बोगनविलिया, बेर, कीकर जैसे झाड़ीदार और लताओं वाले पेड़ों में छिपकर गौरैया रहतीं हैं इसलिए उन्हीं पेड़ों को लगाने पर जोर दिया जाएगा। पर्यावरण प्रेमियों को नौसेना ने न सिर्फ पेड़ लगाने की इजाजत दी है बल्कि इसमें पूरा सक्रिय सहयोग भी करेगी। 20 मार्च को विश्व गौरैया दिवस पर नौसेना के अधिकारी और पर्यावरण प्रेमी मिलकर इस मुहिम की शुरुआत करेंगे। इस पहल से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता सुभजीत मुखर्जी ने कहा कि कभी हर घर आंगन में सहज ही नजर आ जाने वाली गौरैया तेजी से खत्म हो रही है। अनुमान के मुताबिक मुंबई में करीब 80 फीसदी गौरैया खत्म हो चुकी है। हालात ऐसे बन रहे हैं कि अगर कुछ नहीं किया गया तो अगले पांच वर्षों में गौरैया पूरी तरह खत्म हो सकती है। बीज, अनाज और लार्वा खाने वाली गौरैया पारिस्थितिकी तंत्र बनाए रखने में बेहद अहम भूमिका निभाती है और इसके खत्म होने का मतलब है कि जगह इंसानों के लिए भी रहने के लायक नहीं है। गौरैया नहीं होगी तो कीड़े अनियंत्रित रुप से बढ़ने लगेंगे तो बेहद घातक साबित हो सकते हैं। गौरैया का कम होना संकेत है कि शहर में पेड़ पौधे बढ़ाने, प्रदूषण कम करने और पानी की मात्रा बढ़ाने पर जोर देना होगा। गौरैया का खत्म होना मोबाइल टावर और दूसरे तरीकों से रेडिएशन बढ़ने के भी संकेत हैं।

मदद के लिए लोग आए आगे

मुखर्जी ने इस मुहिम के लिए सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट कर अपील की तो बड़ी संख्या में लोगों का साथ मिला। उन्होंने बताया कि अब तक 250 से ज्यादा लोग पेड़ और उनकी देखभाल का खर्च देने के लिए साथ आ चुके हैं। एक पेड़ लगाने और दो साल के देखभाल के लिए 180 रुपए की आर्थिक मदद ली जा रही है। लोग एक पेड़ से लेकर हजारों पेड़ तक दान देने के लिए आगे आ रहे हैं। लायंस क्लब से जुड़े मिलन मेहता ने कहा कि हमने एक हजार पेड़ लगाने का संकल्प लिया है था लेकिन अब यह संख्या ढाई हजार करने पर विचार कर रहे हैं। मैंने मुंबई में बचपन से अपने आसपास गौरैया देखी है जो अब नजर नहीं आती। आने वाली पीढ़ियों के लिए इन्हें बचाना जरूरी है।

खाने पीने की व्यवस्था के बाद लाई जाएंगी गौरैया

मुखर्जी ने कहा कि शुरुआत में बोगनविलिया के ज्यादा पेड़ लगाने पर जोर है क्योंकि यह किसी भी मिट्टी में और कम खाद पानी में भी आसानी से तैयार हो जाते हैं। दूसरे भी पांच तरह के पेड़ लगाए जाएंगे। इसके अलावा चिड़यों के खाने के लिए 250 फीडर और 250 घोसले भी रखे जाएंगे। कुछ महीनों बाद यहां 100 गौरैया लाकर छोड़ी जाएगी। हमें उम्मीद है कि उपयुक्त वातावरण मिलने के बाद यहां गौरैया की संख्या तेजी से बढ़ेगी।

Created On :   18 March 2024 6:44 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story