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बॉम्बे हाई कोर्ट: केवल टिकट न होने से यह दावा खारिज नहीं होगा कि पीड़ित एक वास्तविक यात्री था

- भायंदर में 2010 में लोकल ट्रेन से गिरकर हुई युवक की मौत के मामले में पिता को 15 साल बाद मिला न्याय
- अदालत ने रेलवे को मृतक युवक पिता को 4 लाख मुआवजा के साथ घटना के दिन से 8 फीसदी ब्याज के साथ देने का दिया निर्देश
- रेलवे दावा न्यायाधिकरण ने युवक को लोकल ट्रेन यात्री मानने से कर दिया था इनकार
Mumbai News. भायंदर में 2010 में लोकल ट्रेन से गिरकर हुई युवक के मौत के मामले में पिता को 15 साल बाद हाई कोर्ट से न्याय मिला है। अदालत ने माना कि केवल टिकट न होने से यह दावा खारिज नहीं होगा कि पीड़ित एक वास्तविक यात्री था। अदालत ने रेलवे को मृतक युवक के पिता को 4 लाख रुपए मुआवजा और उस पर घटना के दिन से 8 फीसदी ब्याज देने का निर्देश दिया है। रेलवे दावा न्यायाधिकरण ने युवक के पिता मुआवजा देने से इनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति एन. जे. जमादार की एकल पीठ ने कहा कि न्यायाधिकरण केवल इस कारण से यह नहीं मान सकता था कि जब जांच पंचनामा किया गया था, तब मृतक के पास टिकट नहीं मिला था। इसलिए वह वास्तविक यात्री नहीं था। मृतक के आश्रितों को गैर-अनुकूलित करना खतरनाक होगा, जो लाभकारी और कल्याणकारी कानून के तहत मुआवजे के हकदार हैं। इस आधार पर कि मृतक के पास टिकट नहीं पाया जा सका। ऐसा कठोर दृष्टिकोण विधायी उद्देश्य के विपरीत होगा। पीठ ने कहा कि केवल टिकट न होने से यह दावा खारिज नहीं होगा कि पीड़ित एक वास्तविक यात्री था। शुरू में यह साबित करने का भार दावेदारों पर होगा। एक बार जब ऐसा प्रारंभिक भार समाप्त हो जाता है, तो प्रतिवादी (रेलवे) को इसके विपरीत साबित करना होगा कि पीड़ित के वास्तविक यात्री होने या न होने का प्रश्न किसी दिए गए मामले में प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर निर्धारित किया जाना आवश्यक है।
गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाले मृतक के पति दामोदर ठक्कर ने अपनी याचिका में इस बात की पुष्टि की थी कि उनका बेटा कौशिक एक आयुर्वेदिक कंपनी में सेल्समैन के रूप में काम कर रहा था। वह 27 जुलाई 2010 को मध्यरात्रि 12 बजे भायंदर से बांद्रा के लिए लोकल ट्रेन से यात्रा कर रहा था। इस दौरान वह भायंदर स्टेशन पर लोकल ट्रेन से गिर गया और उनके सिर में चोट लगने से मौत हो गई। मृतक के पिता ने मुआवजे के लिए रेलवे दावा न्यायाधिकरण के समक्ष अपील की। न्यायाधिकरण ने उनकी अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनके पास वैध टिकट नहीं था। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
Created On :   26 Jun 2025 8:13 PM IST