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महाराष्ट्र: अलग-अलग इलाकों में मॉक ड्रिल, जानिए - क्यों है जरूरी, आरपीएफ और जीआरपी भी चौकस

- अगले चार दिन होगी मॉक ड्रिल
- आरपीएफ और जीआरपी भी चौकस
- अफवाहों से बचें, जानिए क्या करें, क्या न करें
Mumbai News : देशभर में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल हो रही है। महाराष्ट्र की बात करें तो पुणे और नागपुर सहित महाराष्ट्र के कई जिलों में बुधवार को मॉक ड्रिल की गई। इसका मकसद दुश्मन के हमलों के दौरान नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और आपातकालीन तैयारियों का मूल्यांकन करना है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार ‘ऑपरेशन अभ्यास’ के तहत आम लोगों को बताया गया कि युद्ध जैसे हालात में खुद का बचाव कैसे करें। मुंबई मनपा (बीएमसी) के आपदा प्रबंधन विभाग में सिविल डिफेंस के महानिदेशक प्रभात कुमार ने पत्रकारों को यह जानकारी दी। कुमार ने खुद मुंबई के क्रॉस मैदान, बॉम्बे हॉस्पिटल और मनपा के नायर अस्पताल में मॉक ड्रिल का निरीक्षण किया। इस दौरान बीएमसी की अतिरिक्त आयुक्त डॉ. अश्विनी जोशी, अमित सैनी, मनपा आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक महेश नार्वेकर एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे। मॉक ड्रिल में सिविल डिफेंस के अलावा बीएमसी, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), फायर ब्रिगेड, एनसीसी कैडेट आदि शामिल किए गए।
क्या है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक अभ्यास होता है। जिसके तहत वास्तविक परिस्थितियों की तरह ही हवाई हमले के सायरन बजाए जाते हैं, शहरों को ब्लैकआउट (बिजली गुल) किया जाता है, साथ ही नागरिकों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाता है। इसका मकसद आपदा के समय घबराहट, भ्रम और नुकसान को कम करना होता है।
अगले चार दिन होगी मॉक ड्रिल
कुमार ने बताया कि अगले चार दिन राज्य के अलग-अलग जिलों में मॉक ड्रिल की जाएगी। बुधवार को कल्याण, ठाणे, नाशिक, उरण, रत्नागिरी में मॉक ड्रिल की गई। जबकि अणुशक्ति नगर-भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और तारापुर परमाणु केंद्र पर रात 8 बजे ब्लैक आउट कर मॉक ड्रिल की गई।
क्या करना चाहिए ?
शांत रहें और निर्देशों का पालन करें।
यदि कहा जाए तो निकासी अभ्यास में भाग लें।
स्पीकर या एसएमएस से आधिकारिक घोषणाएं पढ़ें और सुनें।
बुज़ुर्गों, बच्चों और विकलांगों की मदद करें।
साल 1971 के बाद देशभर में फिर सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल हो रही है। जिसमें हूटर बजते ही घर की सभी लाइटें बंद करने के निर्देश हैं। यह मॉक ड्रिल ऐसे समय में हो रही है, जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए जवाबी रणनीति पर काम शुरू किया है।
क्या नहीं करना चाहिए ?
घबराएं नहीं – यह केवल अभ्यास है।
सोशल मीडिया पर गलत सूचना न फैलाएं।
आपातकालीन वाहनों या कर्मियों को न रोकें।
अपने क्षेत्र में अलार्म या सायरन को नज़रअंदाज़ न करें।
जब तक कहा न जाए, खाली की गई इमारतों में दोबारा प्रवेश न करें।
मुंबई में सायरन की कमी
मुंबई में सायरन की कमी है। महानगर में 1993 में 450 सायरन थे, जो कपड़ा मिलों, बॉम्बे पोर्ट ट्रस्ट (बीपीटी), तेल कंपनियों के परिसरों में लगाए गए थे। लेकिन अब 59 सायरन ही हैं। कुमार ने कहा कि हम सायरन के अपडेशन पर काम कर रहे हैं।
आरपीएफ और जीआरपी भी चौकस
मध्य रेलवे के छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस पर राजकीय रेलवे पुलिस (जीआरपी) ने अलग-अलग और संयुक्त सुरक्षा अभ्यास किया। जीआरपी और रेलवे पुलिस बल (आरपीएफ) ने लोकमान्य तिलक टर्मिनस (एलटीटी) सहित अन्य स्टेशनों पर रूट मार्च, गश्त और जांच की। यह अभ्यास अपराह्न करीब तीन बजे शुरू हुआ और करीब एक घंटा चला। दक्षिण मुंबई के क्रॉस मैदान में शाम चार बजे सायरन बजा, जिसके बाद ‘मॉक ड्रिल’ के हिस्से के रूप में हवाई हमले के दौरान नागरिक सुरक्षा, अग्निशमन दल और चिकित्सकों की टीम ‘घायलों’ को बचाने के लिए दौड़ पड़ीं। आग बुझाने के लिए दमकल कर्मी पहुंचे और उसके बाद चिकित्सा कर्मियों ने ‘घायलों’ को नजदीकी अस्पताल पहुंचाया।
Created On :   8 May 2025 6:24 PM IST