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Mumbai News: शनि शिंगणापुर ट्रस्ट घोटाले में मामला दर्ज के आदेश, एक तारीख को शिक्षकों का वेतन देने का प्रयास, 16 सौ से ज्यादा गांवों में प्राथमिक स्कूल नहीं

- फर्जी एप के जरिए लाखों श्रद्धालुओं से ठगे करोड़ों रुपए, विधानसभा में उठा मामला
- हर महीने एक तारीख को शिक्षकों का वेतन देने का प्रयास
- राज्य के 1650 गांवों में प्राथमिक स्कूल और 6563 गांवों में उच्च प्राथमिक स्कूल नहीं
Mumbai News. महाराष्ट्र के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों में से एक शनि शिंगणापुर मंदिर ट्रस्ट में भारी वित्तीय अनियमितताओं और फर्जीवाड़े का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। एक आधिकारिक जांच समिति की रिपोर्ट में सामने आया है कि ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने 2 हजार 447 फर्जी कर्मचारियों की नियुक्ति दिखाकर करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है। इन फर्जी कर्मचारियों को प्रति महीने मंदिर ट्रस्ट की ओर से वेतन भी दिया जा रहा था। इसके साथ ही दो-तीन फर्जी ऐप के जरिए भक्तों से मंदिर के नाम पर दान भी लिया जा रहा था। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान सदस्य विट्ठल लंघे व सुरेश धस के सवाल के जवाब में विधानसभा में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने ट्रस्ट के पदाधिकारियों के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की बात कही है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि शनि शिंगणापुर के एक भी घर में ताला या चाबी नहीं है। यहां चोरी नहीं होती क्योंकि यहां के लोगों की मान्यता है कि शनिदेव चोरों को दंड देते हैं। उन्होंने कहा कि इस शनि मंदिर का कामकाज देखने वालों ने शनिदेव के सामने ही करोड़ों रुपये का घोटाला किया है। फडणवीस ने कहा कि मंदिर का कामकाज 250 से 300 कर्मचारियों से चल जाता था लेकिन घोटालेबाजों ने कागजों पर 2 हजार 447 फर्जी कर्मचारी दिखा दिए। उन्होंने कहा कि दस्तावेजों में मंदिर के अस्पताल में 327 कर्मचारी काम करते दिखाए गए। जबकि जांच के दौरान अस्पताल में एक भी मरीज दिखाई नहीं दिया। 80 कर्मचारियों को उस अस्पताल के बगीचे की देखभाल के लिए दिखाया गया था जो कभी अस्तित्व में ही नहीं था। भक्त निवास की देखरेख में 200 कर्मचारी दिखाए गए। पार्किंग, पानी आपूर्ति, गौशाला आदि विभागों में बड़ी संख्या में फर्जी कर्मचारी दिखाए गए। फडणवीस ने कहा कि अस्तित्व में नहीं होने वाले कर्मचारियों का वेतन सीधे ट्रस्ट के पदाधिकारियों के कार्यकर्ताओं के बैंक खातों में भेजा जा रहा था। विधानसभा में सदस्य विठ्ठल लंघे और सुरेश धस ने कहा कि फर्जी मोबाइल ऐप के जरिए भी श्रद्धालुओं से पूजा और सेवा के नाम पर धन की वसूली की गई। धस ने आरोप लगाया कि इस ऐप के माध्यम से लगभग 500 करोड़ रुपये की अवैध वसूली की गई है। जवाब में मुख्यमंत्री फडणवीस ने इस घोटाले की जांच साइबर क्राइम विभाग को सौंपने का आदेश दिया। उन्होंने कहा कि दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। ट्रस्ट के कुछ पदाधिकारियों ने इस लूट से करोड़ों की संपत्ति खरीदी है, उनकी आय से अधिक संपत्ति की जांच की जा रही है।
हर महीने एक तारीख को शिक्षकों का वेतन देने का प्रयास
राज्य के निजी अनुदानित स्कूलों के शिक्षकों का वेतन हर महीने की एक तारीख अथवा पहले सप्ताह में उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा। इसके लिए संबंधित प्रशासन को आवश्यक निर्देश दिए जाएंगे। विधान परिषद में प्रदेश के स्कूली शिक्षा राज्य मंत्री पंकज भोयर ने यह आश्वासन दिया। शुक्रवार को सदन में निर्दलीय सदस्य किरण सरनाईक और कांग्रेस सदस्य भाई जगताप ने आदिवासी क्षेत्रों के शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिलने को लेकर सवाल पूछा था। इसके जवाब में भोयर ने कहा कि राज्य में विशेष रूप से आदिवासी इलाकों के स्कूलों के शिक्षकों का वेतन देरी से दिया जाता है। क्योंकि इन स्कूलों का वेतन आदिवासी विभाग उपलब्ध कराता है। कई बार निधि नहीं होने से भी देरी होती है। लेकिन राज्य के शिक्षकों के वेतन की तारीख में एक समानता लाई जाएगी।
राज्य के 1650 गांवों में प्राथमिक स्कूल और 6563 गांवों में उच्च प्राथमिक स्कूल नहीं
विधान परिषद में प्रदेश सरकार ने स्वीकार किया है कि राज्य के 1650 गांवों में प्राथमिक स्कूल और 6563 गांवों में उच्च प्राथमिक स्कूल नहीं हैं। वहीं एकीकृत जिला शिक्षा सूचना प्रणाली (यू-डायस) के अनुसार साल 2024-2025 में साल 2023-24 की तुलना में सरकारी और अनुदानित स्कूलों में 4 लाख 9 हजार 358 विद्यार्थी की संख्या घटी है। विधान परिषद में पूछे गए एक सवाल के लिखित जवाब में राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने यह जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी स्कूलों की जीआईएस मैपिंग की जा रही है। यह कार्यवाही पूरी होने के बाद आवश्यक कार्यवाही की जाएगी। भुसे ने बताया कि केंद्र सरकार ने समग्र शिक्षा वार्षिक कार्य योजना और बजट साल 2025-26 मंजूर करते समय 1650 गांवों में प्राथमिक स्कूल और 6563 गांवों में उच्च प्राथमिक स्कूल नहीं की जानकारी दी थी। भुसे ने बताया कि राज्य में आरटीई अधिनियम के तहत जिन बस्तियों में प्राथमिक स्कूल एक किमी, उच्च प्राथमिक स्कूल तीन किमी और माध्यमिक स्कूल 5 किमी के दायरे में उपलब्ध नहीं हैं, ऐसी बस्तियों के बच्चों को दूसरे जगहों के स्कूलों तक पहुंचने के लिए परिवहन और निवास सुविधा दी जाती है। इसके तहत समग्र शिक्षा और पीएमश्री योजना के जरिए परिवहन के लिए विद्यार्थियों को प्रति महीने 600 रुपए दिए जाते हैं। साल भर में 10 महीने के लिए 6 हजार रुपए परिवहन भत्ता उपलब्ध कराया जाता है। इसके अलावा केंद्र सरकार के पीएम-जनमन योजना अंतर्गत 25 और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान के जरिए 22 कुल 47 छात्रावास को मंजूरी दी गई है। इससे 4700 विद्यार्थियों को छात्रावास उपलब्ध करा दिए गए हैं। सदन के राकांपा (अजित) के सदस्य शिवाजीराव गर्जे, शिवसेना (उद्धव) के सदस्य सुनील शिंदे समेत अन्य सदस्यों ने राज्य के गांवों में प्राथमिक स्कूल नहीं होने के बारे में सवाल पूछा था।
Created On :   11 July 2025 9:33 PM IST