बॉम्बे हाई कोर्ट: राजस्थान के ज्वेलर से 30 हजार जबरन वसूली का मामला, 3 आरोपी जीआरपी पुलिसकर्मियों को अग्रिम ज़मानत

राजस्थान के ज्वेलर से 30 हजार जबरन वसूली का मामला, 3 आरोपी जीआरपी पुलिसकर्मियों को अग्रिम ज़मानत
  • मुंबई सेशन कोर्ट ने निलंबित पुलिसकर्मियों को राहत देने से किया था इनकार
  • बॉम्बे हाई कोर्ट से 3 आरोपी जीआरपी पुलिसकर्मियों को मिली अग्रिम ज़मानत
  • ज्वेलर से 30 हजार जबरन वसूली का मामला

Mumbai News. बॉम्बे हाई कोर्ट से राजस्थान के एक ज्वेलर से 30 हजार रुपए जबरन वसूली के मामले में सरकारी रेलवे पुलिस (जीआरपी) के 3 आरोपी पुलिसकर्मियों को अग्रिम जमानत मिल गयी। पुलिसकर्मियों पर आरोप है कि उन्होंने मुंबई सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर ज्वेलर के बैग की जांच करने के बाद उनकी बेटी को जेल भेजने की धमकी 30 हजार रुपए की जबरन वसूली की। मुंबई सेशन कोर्ट ने निलंबित पुलिसकर्मियों को राहत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

न्यायमूर्ति नितिन आर. बोरकर की एकल पीठ ने पुलिसकर्मियों कि ओर से वकील अनिकेत निकम की दायर अग्रिम जमानत याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि शिकायत में उल्लिखित घटना को अतिरंजित किया गया है। पीठ ने निर्देश दिया कि यदि याचिकाकर्ताओं को गिरफ्तार किया जाता है, तो उन्हें 25000-25000 रुपए के निजी मुचलके पर रिहा किया जाए। उन्हें इस सप्ताह गवाहों से संपर्क नहीं करना चाहिए और जांच अधिकारी के समक्ष उपस्थित होना चाहिए।

ज्वेलर ने तीनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई, जिसमें आरोप लगाया गया कि 10 अगस्त को जब वह अपनी बेटी के साथ मुंबई से राजस्थान जा रहा था, तो बिना पहचान पत्र वाला एक पुलिस अधिकारी उनके पास आया और जांच के लिए उनसे अपने बैग खोलने को कहा। पुलिसकर्मी राहुल भोसले, ललित जगताप और अनिल राठौड़ को बैग से 31900 रुपए नकद और 14 ग्राम सोने का एक टुकड़ा मिला। उन्होंने कथित तौर पर ज्वेलर और उसकी बेटी को नकदी के बारे में पूछताछ करने के लिए एक कमरे में ले गए और उन्हें जेल भेजने की धमकी दी। उससे एक कागज़ पर जबरन हस्ताक्षर करवाए गए, जिसके बाद पुलिस ने सोना और 1900 रुपये लौटा दिए, लेकिन 30000 रुपए अपने पास रख लिए।

तीनों पुलिसकर्मियों ने अपनी याचिका में दावा किया कि एफआईआर पांच दिन की देरी से दर्ज की गई और उन्हें झूठा फंसाया गया। जीआरपी अधिकारियों ने जांच करने के लिए निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया, जिसमें रजिस्टर में प्रविष्टि करना और कमरे के अंदर तलाशी लेने के बजाय सीसीटीवी निगरानी में तलाशी लेना शामिल था।

सरकारी वकील के अनुसार देरी इसलिए हुई, क्योंकि ज्वेलर राजस्थान में अपने गृहनगर वापस चला गया था। उसने बाद में पुलिस से संपर्क किया और मामला मुंबई स्थानांतरित कर दिया गया। इससे पहले पुलिसकर्मियों कि याचिका खारिज करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रशांत काले ने कहा था कि सच्चाई सामने लाने के लिए अधिकारियों से हिरासत में पूछताछ ज़रूरी है, और अगर उन्हें राहत दी जाती है, तो उन्हें पता चल जाएगा कि वे पूरी तरह सुरक्षित हैं।

Created On :   15 Sept 2025 10:10 PM IST

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